कहें दूं तुम्हे या चुप रहू? - Vibes Of India

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कहें दूं तुम्हे या चुप रहू?

| Updated: December 8, 2021 15:05

हम तो चले परदेस, पर थोड़ा ज्यादा जल्दी चल पड़े

उन्हें अभी हाल ही में निकाला गया है। मेरा मतलब पूर्व मुख्यमंत्री से है। वह कुछ समय पहले लंदन जा रहे थे। वहां रह रहे अपने बच्चे को देखने के उत्साह में उन्होंने अपने पासपोर्ट पर वीजा की तारीख की मुहर नहीं देखी। सो उन्होंने न केवल विमान टिकट बुक कर लिए, बल्कि अपने वीजा की अवधि शुरू होने से 48 घंटे पहले ही हवाई अड्डे पर भी पहुंच गए। हालांकि यह नई दिल्ली से एयर इंडिया की उड़ान थी, फिर भी एयर इंडिया के अधिकारियों ने उन्हें विमान में चढ़ने से रोक दिया।

यहां एयर इंडिया के कर्मचारियों की तारीफ करनी होगी कि ऐसे हालात में भी उन्होंने उनके लिए तत्काल व्यवस्था करा दी, जबकि उनकी यात्रा के लिए किसी नौकरशाह की नियुक्ति भी नहीं की गई थी। इतना ही नहीं, तब उनका पीए भी अपने भुलक्कड़पन के लिए चर्चित था। ऐसे में बड़ा बवाल मच गया। हालांकि हमें बताया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री, उफ्फ! जब से उनकी कुर्सी गई है, बेहद अच्छे और सौहार्दपूर्ण इंसान हैं। उन्होंने पहले भी कई बार विदेश यात्रा की हुई है। सो ब्रिटिश अधिकारियों ने मेहरबानी करते हुए रातोंरात उनका वीजा बदल दिया और इस तरह अपने प्यारे देश में उनका स्वागत किया।

आज रात की पार्टी कहां है?

बाबूगीरी कभी उबाऊ नहीं होती। गुजरात में इन दिनों दो आईएएस अधिकारियों के बच्चों- एक की बेटी और दूसरे के बेटे-को लेकर खूब चर्चा है। खासकर पार्टियों के शौक को लेकर। हमने भी उनकी लत के बारे में अफवाहें सुनीं। लेकिन यहां हम इसकी पुष्टि कर सकते हैं कि उन्हें कोई वैसी लत नहीं है। लेकिन आपको बता दें कि गुजरात में 40 से ऊपर के लोग असली पाखंडी हैं। खासकर जब बात विपरीत लिंग के हों। लगभग 20 साल की उम्र वाले ये दो युवा वयस्क हैं, जो कोविड के बाद गुजरात में फिर से दिखने लगे हैं और इस बारे में चल रही चर्चाओं से पछता रहे हैं।

उन दोनों के आईएएस पिता और परिवार शानदार हैं, लेकिन पाखंडी लोग इन दो युवा वयस्कों को बदनाम करने पर तुले हुए हैं। लड़की को धूम्रपान से प्यार है, तो लड़का क्लबिंग का शौकीन है। गजब, गुजरात में क्लबिंग?

दोनों आईएएस अधिकारी अपने अद्भुत स्वभाव और सेवाओं के लिए जाने जाते हैं। दरअसल दोनों ने ही सेवानिवृत्ति के बाद गुजरात में बसने का फैसला किया है। लेकिन बच्चे अब अपने माता-पिता को गुजरात में बसने के विचार पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उन्हें दिल्ली या यहां तक कि अपने मूल राज्यों में जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जो कि हल्के-फुल्के मौज-मस्ती के मामले में गुजरात से अधिक “जीवंत” हैं।

गुजरात में, जहां मुंबई, दिल्ली या चंडीगढ़ को तो भूल ही जाएं, पुणे या चेन्नई के सामान्य लोगों की तुलना में भी एक चौथाई वयस्क लड़कियों को ही पार्टी करते या किसी बड़े आदमी के साथ घूमते देखा जा सकता है- ये दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते। फिर भी पार्टी करने के अपने तौर-तरीकों के लिए जाने जाते हैं, जो गुजरात से मेल नहीं खाता। हम इसे पाखंड ही कहेंगे। तो, हम वास्तव में ठीक थे जब हम हाल ही में एक पार्टी में इन दोनों से मिले। वहां शराब या कोई नशीला पदार्थ नहीं था, लेकिन इस राज्य में तो स्पेगेटी पहनने पर भी भौंहें तन गईं। मानो हम नहीं जानते।

लेकिन गुजरात के सभी युवाओं के लिए हमारी एक सलाह है। मत पीयो। आपको पुलिस स्टेशन में बैठकर काफी कड़वाहट झेलनी पड़ सकती है। इसलिए इसे भूल ही जाओ बच्चों।

तो आओ, शराब और ड्रग्स के बिना ही पार्टी करते रहते हैं।

बाबू जी, इतना भी मत मचलो, आप ऐसे तो नहीं थे

सचिवालय में प्रवेश करते ही एक चीज जो आपको हर विभाग में सुनने को मिलेगा, वह है- वाइब्रेंट गुजरात। उद्योग और खान से लेकर शिक्षा विभाग तक; अधिकतर आईएएस अधिकारी मेगा बिजनेस इवेंट की तैयारी में जुटे हुए हैं। दूसरा पहलू यह है कि, जहां कुछ वास्तव में काम से लदे हुए हैं, वरहीं दूसरों ने इसे काम से बचने के अवसर के रूप में लिया है। वाइब्रेंट गुजरात के कारण कई विभागों में काम ठप हो गया है। यानी एक ऐसा कार्यक्रम, जो बढ़ते कोविड के नए संस्करण ओमाइक्रोन के डर के कारण अपने आप में एक सवाल है।

सरकारी दफ्तरों की पुरानी अलमारियों में कई अहम फाइलें जंग खा रही हैं और कई टेंडर अभी तक नहीं निकल पाए हैं। अधिकारियों ने घोषणा की है कि आयोजन पूरा होने के बाद ही फाइलों का निस्तारण किया जाएगा। न केवल आईएएस अधिकारी, यहां तक कि मंत्री भी अंतरराष्ट्रीय आयोजन के लिए कमर कस रहे हैं। हालांकि इसके लिए अभी डेढ़ महीने का समय बाकी है। फिर भी अपने लंबित कार्य के लिए सचिवालय आने वाले सभी लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ता है। ऐसा लगता है कि ‘दो वाइब्रेंट गुजरात’ हैं। एक, जो अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करता है और दूसरा जो अपने ही लोगों को निराश करता है।

हम तो ठहरे भूमि हथियाने वाले, कहीं भी उड़ जाएंगे…

जामनगर के एक कुख्यात भूमि हड़पने वाले पटेल की गतिविधियों ने कानून और व्यवस्था के लिए अनिगनत समस्याएं पैदा कर दी हैं। पटेल का नापाक नेटवर्क इस कदर बेलगाम होने लगा कि इस खतरे पर लगाम कसने के लिए डीसीपी दीपन भद्रन को विशेष रूप से जामनगर में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात करना पड़ा।

परिमल नथवानी

इतना ही नहीं, उस पर राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी जैसी बड़ी हस्ती का ध्यान गया, जिन्होंने सोशल मीडिया के जरिए उसका पर्दाफाश किया। परिमल नथवानी ने नए पुलिस अधीक्षक दीपन भद्रन का स्वागत करते हुए पिछले साल जयेश पटेल की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा करते हुए ट्वीट की एक श्रृंखला में इस मुद्दे को उठाया था।

पुलिस अधीक्षक दीपन भद्रन

लेकिन अब हमें बताया गया है कि जयेश पटेल अमेरिका चले जाने के बावजूद निडर होकर यहां अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। क्या उसे जमीन हथियाने की लत है? हमें बताया गया है कि जयेश पर एक आईपीएस अधिकारी का आशीर्वाद है। और यह अच्छी तरह से नेटवर्क वाला आईपीएस अधिकारी जांच की गति को धीमा करने में कामयाब रहा है। बेशक, यह सब मोटी हिस्सेदारी में चल रहा है। ना, यहां एक और पी. पटेल के लिए नहीं, बल्कि पार्टनरशिप के लिए है।

हम तो हुए दीवाने, ममता जी के काम के

एनर्जी और पेट्रोकेमिकल्स के अधिकारी इन दिनों थोड़ा अलग हैं। 1996 बैच की आईएएस अधिकारी ममता वर्मा को जून 2021 में विभाग का प्रभार दिए जाने के बाद से विभाग में नई ऊर्जा देखी जा रही है। चर्चा यह है कि कर्मचारी गुजरात कैडर की इस आईएएस अधिकारी को विनम्र, व्यावहारिक और कुशल मान रहे हैं। इसलिए विभाग के कर्मचारी उनकी नियुक्ति से बेहद खुश हैं। उन्हें अपना काम कराने के लिए कभी आवाज नहीं उठानी पड़ती। वाइब्रेंट गुजरात हो या फिर टेंडर का सामान्य काम, विभाग पूरी ताकत से काम कर रहा है।

1996 बैच की आईएएस अधिकारी ममता वर्मा

एक सूत्र ने कहा, “हैरानी की बात यह कि कभी-कभी हमें ही उन्हें याद दिलाना पड़ता है कि वह थोड़ा कड़क रहें या कम से कम ऐसा कड़क मिजाज का दिखावा ही करती रहें!” एक सूत्र ने कहा। जाहिर है, विभाग के सभी कर्मचारी दिल खोलकर ममता वर्मा की सराहना करते हैं।

मेरे पास बिल्डिंग है, लैंड है, पर रोटी खत्म हो गई

कोई फर्क नहीं पड़ता कि आयोजन क्या है, हम गुजराती हमेशा जानना चाहते हैं कि खाने में क्या है। हाल ही में अहमदाबाद में एक रियल एस्टेट एक्सपो में राज्य भर के सबसे बड़े बिल्डरों ने उद्योग से जुड़ी शिकायतों को कैबिनेट मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी के सामने पेश किया। लेकिन सोच कर बताएं कि असली शिकायत क्या रही होगी! रोटी। बिरादरी के 400 से अधिक सदस्य दोपहर के भोजन के लिए एक साथ पहुंचे थे, तो वहां पर्याप्त रोटियां नहीं थीं। दुर्भाग्य से, मेहमानों को दाल, चावल और पंजाबी सब्जी ही खानी पड़ी। भला हो, मिष्ठान्न का! जिन्होंने हमें बचा लिया।

कैबिनेट मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी

इंतेहा हो गई इंतजार की, आई ना कुछ खबर मेरे ट्रांसफर की

गुजरात में बाबूगीरी चुन-चुन कर भूलने की बीमारी का शिकार है। यह देखते हुए लग सकता है कि कैसे आमतौर पर आईएएस प्रशासन द्वारा अपनाए जाने वाले ढाई साल के स्थानांतरण चक्र का उल्लंघन हो रहा है और कम से कम 16 अधिकारियों को लगभग पांच साल होने पर भी स्थानांतरित नहीं किया गया है।

सबसे ज्वलंत उदाहरण नर्मदा शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में एचजे देसाई का है, जो आठ साल से इस पद पर हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) मुकेश पुरी भी पिछले साढ़े चार महीने से अपने पद पर काबिज हैं। वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी संजय नंदन ढाई साल से अधिक समय से फंसे हुए हैं।

अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) मुकेश पुरी

एक ही कार्यालय में कई अधिकारी हैं, जो देसाई और पुरी की तरह स्थानांतरण आदेशों का इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह पर्यटन निगम के एमडी जेनू देवम, मद्य निषेध निदेशक सुनील कुमार ढोली, सीईओ औदा अतुल गोर, अतिरिक्त ग्रामीण विकास आयुक्त कुमारी भार्गवी दवे, स्टाम्प ड्यूटी अधीक्षक डीजी पटेल, एमआई पटेल- संयुक्त सचिव, बिजली सभी ने अपने-अपने कार्यालयों में कार्यकाल से 40-42 महीने अधिक का समय बिता लिया है।

सीईओ औदा अतुल गोर

उधर जीआईपीसीएल में एमडी वत्सला वासुदेव, विनोद राव प्राथमिक शिक्षा से, भावनगर नगर आयुक्त एमए गांधी और नई दिल्ली में गुजरात सरकार की रेजिडेंट कमिश्नर आरती कंवर ने भी तीन से चार साल पूरे कर लिए हैं।

बड़े-बड़े देश में छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं 

एक राजनीतिक दल जो अपने कॉर्पोरेट-जैसे त्रुटिहीन प्रबंधन के लिए जाना जाता है, वह कभी-कभार होने वाली चूक से सुरक्षित नहीं है। पार्टी और सरकार के बीच समन्वय की कमी हाल ही में तब स्पष्ट हुई, जब नए मंत्रिमंडल के एक मंत्री ने बैंड, बाजा और बारात के साथ एक राजनीतिक कार्यक्रम के लिए सचिवालय में अपने लिए सभी अपेक्षित काम छोड़ दिया। उनके पीए ने उस इलाके के स्थानीय बीजेपी नेता को फोन किया, जहां से जुलूस निकलने वाला था। केवल यह पूछने के लिए कि किस तरह के इंतजाम किए गए हैं।

जब स्थानीय भाजपा ने स्पष्ट किया कि इतने कम समय में सभा के लिए सम्मानजनक भीड़ की व्यवस्था करना संभव नहीं है, तब मंत्री साहब को कोबा सर्कल से वापस अपने कार्यालय लौटना पड़ा।

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एक साल बाद?

गुजरात प्रशासनिक सेवा (जीएएस) कैडर के सोलह अधिकारी जो आईएएस में शामिल हो गए हैं, उन्हें डर है कि नए कैडर के अनुसार उनकी पोस्टिंग आने में अधिक समय लगेगा। पिछले बैच का भी यही हश्र हुआ था, जिसे लगभग एक साल तक इंतजार करना पड़ा।

 जीईआरसी का झटका

पूर्व मुख्य सचिव अनिल मुकीम अच्छे और मिलनसार व्यक्ति हैं। हालांकि उन्होंने कभी भी हमारे साथ कोई कहानी साझा नहीं की है;  फिर भी हम उन्हें पसंद करते हैं। वास्तव में, हमारी टीम के एक साथी के बुरे दौर में उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी के लिए भी अच्छी सलाह दी थी। वह शासन के साथ भी बहुत दोस्ताना रहे और अब भी हैं। लेकिन हम अनुमान लगा रहे थे कि उन्हें गुजरात इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जीईआरसी) के चेयरमैन से कहीं ज्यादा बेहतर और बड़ा कुछ मिलेगा। हमें लगता है कि वह एक बेहतर पोस्टिंग के हकदार थे। तो क्या कई अन्य लोग इसे केवल मुंबई या दिल्ली में किसी बड़ी चीज के लिए पायदान के तौर पर देखते हैं।

पूर्व मुख्य सचिव अनिल मुकीम

तुमने पुकारा तो हम पार्टी में चले आए

क्या आपने इस वरिष्ठ अधिकारी के बारे में सुना है। अभी-अभी किनारे लगा दिए गए उस आईएएस अधिकारी के पास रिटायर होने के लिए एक वर्ष से अधिक का समय नहीं है, वह अधिकारी से अधिक सोशलाइट बन गया है। नन्ही चिड़िया ने हमें शराब और महिलाओं के साथ पार्टी करते हुए और अपने आस-पास की हर खूबसूरत चीज की तस्वीरें भेजी है। उसने हमसे उन तस्वीरों को प्रकाशित करने का अनुरोध किया है। लेकिन नहीं, हम ऐसा कतई नहीं करेंगे।

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