हर युद्ध का सब देशो पर कुछ न कुछ परिणाम देखने को मुलता है, अगर रूस और यूक्रेन के बिच युद्ध होता है तो इसके असर भारत पर भी दिखाई देंगे| भारत में 90 प्रतिशत सुरहमुखी तेल उक्रेन और रूस से आता है|
चूंकि दो देशो के बीच संघर्ष किसी भी तरह से शांत नहीं हो रहा है,भारत जैसे देश, जिनके प्रमुख उद्योग उन दोनों से आयात पर निर्भर हैं, पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
मौजूदा संकट का असर भारत के फार्मास्युटिकल सेक्टर, एलएनजी इंडस्ट्री और कच्चे तेल के बिल पर पड़ेगा और प्रत्येक भारतीय परिवार प्रभावित होगा क्योंकि रूस-यूक्रेन भारत के सूरजमुखी तेल आयात का 90 प्रतिशत हिस्सा है।
यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सूरजमुखी खाद्य तेलों में दूसरा सबसे अधिक आयातित तेल है। अकेले 2021 में, भारत ने 1.89 मिलियन टन सूरजमुखी तेल का आयात किया, जिसमें से 20 प्रतिशत रूस से और 70 प्रतिशत यूक्रेन से आया।
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सूरजमुखी के तेल के लिए भारत का दूसरा विकल्प अर्जेंटीना है जो कुल आयात का 10 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि, इन विरोधियों के बीच संकट के क्षणों में अर्जेंटीना एक व्यवहार्य विकल्प नहीं हो सकता है। यह केवल 3.5 मिलियन टन सूरजमुखी के बीज का उत्पादन करता है जो यूक्रेन और रूस की तुलना में बहुत कम है क्योंकि वे क्रमशः 17 और 15.5 मिलियन टन बनाते हैं।
यूक्रेन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है क्योंकि यह उनसे एलएनजी और फार्मास्युटिकल उत्पादों का आयात करता है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यूक्रेन संकट की स्थिति में भारत को सूरजमुखी के तेल की एक भी खेप भेजने में सक्षम नहीं था।