प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमित्र (amicus curi) सीनियर वकील केवी विश्वनाथन ने गलत कहा है। वह मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाले मामले में अपना पक्ष रख रहे थे।
उन्होंने अपनी बात के समर्थन में विनीत नारायण और अन्य बनाम भारत संघ (Vineet Narain & Ors v. Union of India ) और कॉमन कॉज बनाम भारत संघ (Common Cause v. Union of India) में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया। कहा कि यह मुद्दा वर्तमान निदेशक के बारे में बिल्कुल नहीं है, बल्कि सिद्धांत के बारे में है। उन्होंने कहा, “सरकार का दावा है कि सीवीसी कानून में एक संशोधन है और उसी के हिसाब से 17 नवंबर, 2021 को विस्तार दिया गया। विनीत नारायण, कॉमन कॉज़ आदि मामलों के मद्देनजर मेरे हिसाब से यह गलत है। मेरी बातें वर्तमान विवाद तक नहीं है, बल्कि सिद्धांत से जुड़ा है, जिसे आगे ले जाना होगा।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने हलफनामे पर आरोप लगाया कि मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को उन विपक्षी नेताओं ने चुनौती दी है, जो मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं।
जस्टिस बीआर गवई और अरविंद कुमार की बेंच ने हालांकि कहा कि वह इस बात से चिंतित नहीं है कि याचिकाकर्ता आरोपों का सामना कर रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च, 2023 को होगी।
कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका में मिश्रा को दिए गए तीसरे विस्तार को चुनौती दी गई है। मिश्रा को पहली बार नवंबर 2018 में दो साल के कार्यकाल के लिए ईडी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। यह कार्यकाल नवंबर 2020 में समाप्त हो गया था। मई 2020 में वह 60 वर्ष की रिटायरमेंट उम्र तक पहुंच गए थे। हालांकि, 13 नवंबर 2020 को केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति ने 2018 के आदेश को संशोधित किया है। इस तरह ‘दो साल’ के कार्यकाल को ‘तीन साल’ में बदल दिया गया था। एनजीओ कॉमन कॉज ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2021 के फैसले में संशोधन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन मिश्रा को और एक्सटेंशन देने के खिलाफ फैसला सुनाया था।
2021 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) कानून में संशोधन करते हुए केंद्र सरकार एक अध्यादेश ले आई। इसमें उसने खुद को ईडी निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने का अधिकार दिया। इसे भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
केंद्र सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ईडी निदेशक मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाएं कांग्रेस नेताओं को बचाने के इरादे से दायर की गई हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे हैं। केंद्र ने आगे कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी निदेशकों के कार्यकाल को दो साल की घोषित अवधि से आगे बढ़ाने पर “कोई प्रतिबंध नहीं” है।
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