देश भर में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में अस्पताल के बिस्तरों की कमी पड़ रही थी और मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही थी। देश समेत गुजरात में भी ऐसा ही हाल था। इतने सालों में पहली बार लोगों को अस्पतालों में बेड के लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ा है। गुजरात के सभी अस्पतालों में बेड की कमी थी, जिसने सरकार पर कई सवाल खड़े किए थे, क्योंकि गुजरात के अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या आवश्यक बिस्तरों की संख्या से कम थी| जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई थी ऐसे सरकार पर आरोप लगाए जा रहे है|
सरकार के नीति आयोग द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में एक जिला अस्पताल में प्रति 1 लाख आबादी पर औसतन 24 बिस्तर हैं, जिसमें बिहार का औसत सबसे कम है। वहा के अस्पताल में सिर्फ छह बिस्तरों है और पांडिचेरी में 222 बिस्तरों वाला औसत अधिक है।
अध्ययन में आगे कहा गया है, “भारत में जिला अस्पतालों में प्रति 1 लाख आबादी पर 1 से 408 बिस्तर हैं। 217 जिला अस्पतालों में प्रति 1 लाख की आबादी पर कम से कम 22 बिस्तर पाए गए।
अध्ययन के निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह कोविड -19 के आने से ठीक पहले आयोजित किया गया था। निष्कर्षों का मतलब है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना, विशेष रूप से जब देश में महामारी का प्रकोप हुआ तब जिला स्तर पर अपर्याप्त थी । यह कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान अनुभव किया गया था, जब देश की स्वास्थ्य सुविधाएं अपर्याप्त थीं।
आईपीएचएस 2012 के दिशा-निर्देशों के अनुसार नीति आयोग की रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जिला अस्पतालों में बिस्तरों की औसत संख्या प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 22 बिस्तरों से कम थी। प्रति राज्यमें बेड की संख्या इस प्रकार थी, बिहार में 6, झारखंड में 9, उत्तरप्रदेश में 13, हरियाणा में 13, महाराष्ट्र में 14, जम्मू-कश्मीर में 17, असम में 18, आंध्र प्रदेश में 18, पंजाब में 18, गुजरात में 19, राजस्थान में 19, पश्चिम बंगाल में 19, छत्तीसगढ़ में 20 और मध्य प्रदेश में 20 बेड की संख्या थी|
जबकि 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बिस्तरों की संख्या प्रति लाख जनसंख्या पर 22 बिस्तरों की अनुशंसित संख्या से अधिक थी। जैसे की पांडिचेरी में 222, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 200, लद्दाख में 150, अरुणाचल प्रदेश में 102, दमन और दीव में 102, लक्षद्वीप में 78, सिक्किम में 70, मिजोरम में 63, दिल्ली में 59, चंडीगढ़ में 57, मेघालय में 52, नागालैंड में 49, हिमाचल प्रदेश में 46, हिमाचल प्रदेश में 46, गोवा में 32, त्रिपुरा में 30, मणिपुर में 24, उत्तराखंड में 24, केरल में 22, ओडिशा में 22 और तमिलनाडु में 22 बिस्तर हैं।
हालाकि यह रिपोर्ट निति आयोग के सभी डॉ. वी.के. पॉल, सीईओ अमिताभ कांत, भारत में WHO के प्रतिनिधि डॉ.रोडेरिको आफरीन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में प्रस्तुत किया गया था।