पति-पत्नी में समझौता नहीं हो पाने के बाद एक बुजुर्ग दंपती से जुड़ा मामला गुजरात हाई कोर्ट की एक बेंच को भेज दिया गया है। 72 वर्षीय पति और 65 वर्षीया पत्नी 2006 से तलाक के मामले में उलझे हुए हैं।
पति पेशे से डॉक्टर है। उसने तलाक मांगा है। साथ ही फैमिली कोर्ट द्वारा पत्नी को 20,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती भी दी है। दंपती के दो विवाहित बच्चे हैं।
इस जोड़े ने 42 साल पहले 1980 में हिंदू रीति-रिवाज से शादी की थी। शादी के चार साल बाद ही दोनों में विवाद हो गया। मामला 2017 में गुजरात हाई कोर्ट में तब पहुंचा, जब फैमिली कोर्ट ने तलाक की मांग करने वाले व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए पत्नी को 20,000 रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दंपती को मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझाने को कहा। हालांकि इससे बात नहीं बनी। अब दोनों हाई कोर्ट में केस लड़ेंगे। यह एक दुर्लभ मामला है, जहां बुजुर्गों का जोड़ा तलाक के मामले में उलझा है।
विवाद तब शुरू हुआ, जब महिला ने कथित तौर पर अपने पति को अलग रहने के लिए छोड़ दिया। उसने 1985 में भरण-पोषण के लिए मामला दायर किया। हालांकि, बाद में वे एक समझौते पर पहुंचे। समझौते के अनुसार, पति किराए के मकान में अलग रहने लगा और उसे मासिक गुजारा भत्ता दिया।
उस व्यक्ति ने बाद में दावा किया कि पत्नी ने फिर से अलग रहने के लिए अपना घर छोड़ दिया और उसके खिलाफ मामला दर्ज करा दिया है। उसने अपने साथ क्रूरता और लगातार झगड़े का आरोप लगाते हुए पत्नी से तलाक मांगा। वहीं, पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति का किसी अन्य महिला के साथ संबंध है।
एक दशक तक चली मुकदमेबाजी के बाद फैमिली कोर्ट ने पति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही महिला को मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दिया।
इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने दंपती की उम्र को देखते हुए मामले को मध्यस्थता के जरिए सुलझाना उचित समझा और मामले को मध्यस्थता केंद्र भेज दिया। दंपती को मध्यस्थता के लिए बुलाया गया, लेकिन प्रयास का कोई अच्छा नतीजा नहीं निकला।
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