गांधीनगर में डिंगुचा से गए एक परिवार के चार लोगों के कनाडा की सीमा के पास कड़कड़ाती ठंड में मारे जाने के बाद अवैध आव्रजन रैकेट (illegal immigration) चलाने वाले एजेंटों पर सबकी नजरें टिक गईं। देशभर में चल रहा उनका नेटवर्क जांच के दायरे में आ गया। इसलिए कि वे लोगों को गलत तरीके अपनाते हुए अमेरिका जाने में मदद करते हैं। त्रासदी के लगभग एक साल बाद दिल्ली पुलिस ने 40 यात्रियों से जुड़े गलत इमिग्रेशन के कम से कम 20 मामलों में 12 गुजराती मानव तस्करों (human smugglers) के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, पिछले तीन सालों में उनके पास दर्ज मानव तस्करी के मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है। 2019 में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) की पुलिस ने आठ एफआईआर में 10 अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। यह संख्या 2022 में बढ़कर 20 एफआईआर और 40 अभियुक्तों तक पहुंच गई।
दिल्ली पुलिस से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, आईजीआई हवाईअड्डा पुलिस ने 2021 में मानव तस्करी के मामलों में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनमें मेहसाणा से छह और नाडियाद से एक शामिल थे। इन सभी एजेंटों पर धोखाधड़ी, जालसाजी और जाली दस्तावेजों को असली के रूप में पेश करने और पासपोर्ट कानून की धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
2022 में, उन्होंने अहमदाबाद से तीन, गांधीनगर, वलसाड और खेड़ा से दो-दो और पाटन, जामनगर और वलसाड से एक-एक सहित 12 एजेंटों को गिरफ्तार किया।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि पाटन के एक मानव तस्कर मनीष उर्फ केतन पटेल के खिलाफ लोगों को अवैध रूप से अमेरिका भेजने के लिए जाली पासपोर्ट और वीजा के लिए चार अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे। एक अन्य मानव तस्कर खेड़ा के दुष्यंत ब्रह्मभट्ट पर तीन अलग-अलग मामलों में आरोप लगाए गए थे।
बता दें कि जगदीश पटेल (35), उनकी पत्नी वैशाली (33), पुत्री विहंगी (12) और तीन वर्षीय पुत्र धार्मिक की 19 जनवरी 2022 को चोरी-छिप अमेरिका जाते समय कनाडा की सीमा पर मौत हो गई थी। मीडिया में चर्चित और हाई-प्रोफाइल पुलिस जांच के बावजूद इस कांड ने विदेश में बसने के सपने पाले
गुजरातियों को बहुत कम प्रभावित किया।
गुजरात में अवैध इमिग्रेशन रैकेट की जांच कर रही राज्य और केंद्रीय एजेंसियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मेहसाणा, गांधीनगर और अहमदाबाद जिलों के लगभग 4,900 लोगों ने डिंगुचा त्रासदी के बाद अवैध रूप से अमेरिका की यात्रा की है।
जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “इसके लिए एक परिवार मानव तस्करों को 75 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक भुगतान करता है। इसमें फ्लाइट टिकट, भोजन और रहने से लेकर सिम कार्ड तक शामिल है।
एजेंट आमतौर पर कनाडा या तुर्की-मेक्सिको रूट के जरिये लोगों को गलत तरीके से अमेरिका भेजते हैं।
वे ग्राहकों को दुबई, सिंगापुर या मलेशिया की एक छोटी यात्रा पर पासपोर्ट टिकट लेने के लिए भेज देते हैं, ताकि यह दिखाया जा सके कि ये दुनिया की यात्रा करने की इच्छा और साधन वाले लोग हैं।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि मानव तस्करों का पता लगाने और उन्हें पकड़ने के लिए उनकी कई टीमें गुजरात में डेरा डाले हुई हैं। उधर, गुजरात पुलिस अब तक सिर्फ तीन एजेंटों को ही गिरफ्तार कर पाई है। अहमदाबाद सिटी क्राइम ब्रांच ने जहां दो लोगों को गिरफ्तार किया, वहीं स्टेट मॉनिटरिंग सेल ने डिंगुचा मामले के बाद एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। सीआईडी (अपराध) ने पिछले जनवरी में डिंगुचा मामले की जांच शुरू की थी।
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