अहमदाबाद: शहर के एक सेशन कोर्ट ने उन तीन एजेंटों को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया, जिन्हें पिछले साल जनवरी में अवैध रूप से यूएस-कनाडा सीमा पार करने के दौरान डिंगुचा गांव के एक परिवार के चार सदस्यों की मौत के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमांग त्रिवेदी ने तीनों एजेंटों- योगेश पटेल, भावेश पटेल और दशरथ चौधरी के सभी तर्कों को खारिज कर दिया। यह कहते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया कि अपराध में उनकी भागीदारी डिंगुचा मामला: अहमदाबाद में एजेंटों को जमानत देने से इनकार
अहमदाबाद: शहर की एक सत्र अदालत ने मंगलवार को उन तीन एजेंटों को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया, जिन्हें पिछले साल जनवरी में अवैध रूप से यूएस-कनाडा सीमा पार करने के दौरान डिंगुचा गांव के एक परिवार के चार सदस्यों की मौत के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमांग त्रिवेदी ने तीनों एजेंटों – योगेश पटेल, भावेश पटेल और दशरथ चौधरी द्वारा उठाए गए सभी तर्कों को खारिज कर दिया। यह कहते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया कि अपराध में उनकी भागीदारी पहली नजर में देखी गई है। वैसे भी जांच अभी शुरुआती चरण में ही है।
तीनों को पिछले महीने अपराध शाखा (डीसीबी) की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाप धोखाधड़ी, गैर इरादतन हत्या से लेकर मानव तस्करी (human smuggling) के लिए आपराधिक साजिश के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
तीनों ने निर्दोष होने का दावा करते हुए कहा कि डिंगुचा के पीड़ित- जगदीश पटेल (39) पत्नी वैशाली (37), बेटी विहंगी (11) और बेटा धार्मिक (3)- अमेरिका-कनाडा सीमा पर इसलिए मारे गए, क्योंकि उनके पास पर्याप्त गर्म कपड़े नहीं थे। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका-कनाडा सीमा पर हुई किसी घटना के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पीड़ित वैध वीजा पर कनाडा गए थे, और अपराध कनाडा जाने के बाद तब शुरू हुआ जब वे अवैध रूप से अमेरिका जा रहे थे। इसलिए इस घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि यह घटना यूएस-कनाडा सीमा पर हुई थी और अहमदाबाद शहर के सेशन कोर्ट के पास इसे सुनने का अधिकार नहीं है। मौतें एक साल पहले हुई थीं और देरी के लिए कोई सफाई नहीं देते हुए अब एफआईआर दर्ज की गई है। सीआईडी (अपराध) मानव तस्करी के आरोपों के संबंध में पहले ही एफआईआर दर्ज कर चुकी है।
सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने धारा 164 के तहत दर्ज गवाहों के बयानों पर अदालत का ध्यान आकर्षित करते हुए ज़मानत याचिकाओं का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी ने मानव तस्करी में सक्रिय भूमिका निभाई है और जांच अभी भी चल रही है।
दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि वह जमानत देने के लिए अपने विवेक का उपयोग नहीं करेगी। साथ ही नोट किया कि आवेदकों पर तीन अन्य- फेनिल पटेल, बिट्टू पाजी और स्टीव शैंड – के लिए अमेरिका की सीमा से लगे देशों के वीजा दिलाने की साजिश रचने का भी आरोप है। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने पीड़ितों को ठंड के मौसम में तस्करी कर अमेरिका ले जाने की कोशिश की, जहां उनका जीवन खतरे में था। पीड़ितों के पास माइनस 35 डिग्री सेल्सियस तापमान से बचने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े नहीं थे, और यह भारतीय नागरिकों को गुमराह करने और उन्हें अवैध रूप से अमेरिका भेजने का अमानवीय काम था।
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