डिजिटल कंपनियों ने फार्मा को पछाड़ा, गुजरात में बनीं शीर्ष करदाता - Vibes Of India

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डिजिटल कंपनियों ने फार्मा को पछाड़ा, गुजरात में बनीं शीर्ष करदाता

| Updated: July 16, 2021 15:01

गुजरात और इसकी फलती-फूलती फार्मा कंपनियों ने कोविड के समय में हालांकि रेमडेसिविर, फैबीफ्लू, वायराफिन सहित अन्य कई दवाओं और इंजेक्शनों के निर्माण व बिक्री के साथ शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन उन्होंने अपना शीर्ष स्थान खो दिया है।

पहली बार, गुजरात की डिजिटल कंपनियों ने आयकर का भुगतान करने के मामले में फार्मा क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया है।

प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (पीआरसीसीआईटी), गुजरात, रवींद्र कुमार ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि लगता तो है कि सबसे बड़ी कंपनियां फार्मा की हैं, लेकिन गुजरात में डिजिटल कंपनियों ने कुल मिलाकर अधिक आयकर का भुगतान किया है। उन्होंने कहा, ‘मैं व्यक्तियों के बारे में नहीं बल्कि कंपनियों के बारे में बात कर रहा हूं।’

विटामिन और कुछ विशिष्ट दवा निर्माण कंपनियों ने उच्च आयकर का भुगतान किया है, लेकिन कुल मिलाकर फार्मा को नुकसान हुआ है। दंत चिकित्सा, आर्थोपेडिक सर्जन या यहां तक कि कार्डियोलॉजिस्ट जैसी वैकल्पिक सर्जरी में भी मंदी आई है। अभी तक फार्मा सेक्टर गुजरात में सबसे बड़ा टैक्स देने वाला सेक्टर था, लेकिन इस साल डिजिटल कंपनियों ने कब्जा कर लिया है।गुजरात ने भारत का फार्मा हब होने का गौरव पाया है। वाइब्स ऑफ इंडिया ने हाल ही में बताया था कि कैसे हैदराबाद ने हाल ही में फार्मा सेक्टर में गुजरात को पीछे छोड़ दिया है।
गुजरात ने एक समय भारत के फार्मास्युटिकल कारोबार और निर्यात दोनों में 20 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी दिखाई है। वर्तमान में गुजरात में 3,500 से अधिक दवा निर्माण इकाइयां हैं और राज्य में कुछ स्थापित कंपनियां हैं जैसे जायडस कैडिला, टोरेंट फार्मा, क्लेरिस, इंटास फार्मा, अलेंबिक एवं कई अन्य। जायडस कैडिला उन पहली कंपनियों में से से जिसे उसकी जायकोव-डी के लिए मंजूरी मिली थी। यहां तक कि टोरेंट फार्मास्युटिकल्स ने भी कोविड के इलाज के लिए दवाओं के उत्पादन में अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन महामारी के कारण डिजिटल कंपनियों ने अप्रत्याशित बढ़त हासिल की है।

गुजरात के फार्मा उद्योग में महामारी के कारण आई तेजी से ऐसा लग सकता है कि वे पिछले डेढ़ वर्षों में सबसे बड़े करदाता हैं; लेकिन प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (पीआरसीसीआईटी) गुजरात, रवींद्र कुमार-1986 बैच के आईआरएस अधिकारी ने वीओआई को बताया कि अब ऐसा नहीं है। 25 से अधिक वर्षों से फार्मा कंपनियां पहले स्थान पर रहीं, लेकिन पहली बार डिजिटल कंपनियों ने उन्हेंं पीछे छोड़ दिया।

गुजरात में स्थित सॉफ्टवेयर, डिजिटल और प्रौद्योगिकी से संबंधित कंपनियां शीर्ष करदाता हैं। एप क्रिएटर्स और ओटीटी प्लेटफॉम्र्स ने अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति डेटा उपयोग में 50 गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेेेज) ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया है।

भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ और आयकर के 161 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। उत्सव के एक भाग के रूप में, प्रशासन और करदाता सेवा महानिदेशालय ने विभाग का पहला साउंडप्रूफ कम्युनिकेशन सेंटर ‘संवाद’ लॉन्च किया है। सीबीडीटी के अध्यक्ष जगन्नाथ महापात्र ने 15 जुलाई को दोपहर 1 बजे लाइव स्ट्रीमिंग कार्यक्रम के माध्यम से केंद्र का उद्घाटन किया।

उन्होंने कहा, ‘टैक्स को लेकर लोगों का भ्रम आसानी से दूर हो जाएगा। साथ ही, हम एक विभाग के तौर पर प्रौद्योगिकी के कारण अधिक कुशल हो गए हैं। पहले कर चोरी करने वाले भाग जाते थे, क्योंकि हमारे पास डाटा एनालिसिस नहीं था। हमारा डाटा-कीपिंग सिस्टम पारंपरिक था और हमारे पास संसाधनों की भी कमी थी। यहां तक कि अगर हमारे पास डाटा था, तो इसे संसाधित करना हमारे लिए मानवीय रूप से असंभव था। अब बिग बॉस आपको देख रहे हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप अपना टैक्स चुकाएं।’ उन्होंने टैक्स रिटर्न के स्वैच्छिक अनुपालन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम करदाताओं पर जबरन कुछ भी लागू नहीं करना चाहते हैं।

कर संग्रह में तेजी का रुझान


कुमार ने स्वीकार किया कि पिछले डेढ़ साल में गुजरात से कर संग्रह कम हुआ है। कई लोग जो अर्थव्यवस्था में योगदानकर्ता थे, उन्होंने कोविड के कारण अपनी जान गंवा दी और यह कर संग्रह में दिखता है। वर्ष 2020-21 में कर संग्रह में बड़ी गिरावट आई, लेकिन हमारे डाटा से पता चलता है कि अब हम 2020-21 की तुलना में बढ़ रहे हैं।उन्होंने कहा, जब हम 1986 में सेवा में शामिल हुए थे, तब देश का कुल कर संग्रह 10,000 करोड़ था और 2019-20 में हमने 14 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए थे। कोई भी कंपनी इस तरह की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट नहीं देती है।’

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