केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने नियंत्रित वितरण विनियमन को अधिसूचित किया है। इसके तहत तस्करी को रोकने के उपाय के रूप में सीमा शुल्क अधिकारियों को “संदिग्ध” खेप की आवाजाही की निगरानी के लिए ट्रैकिंग डिवाइस लगाने की अनुमति है।
इससे अब बंदरगाहों पर सीमा शुल्क अधिकारी “उचित विश्वास” होने पर नियंत्रित वितरण के लिए निर्यात और आयात दोनों खेपों को “संदिग्ध” मानते हुए उसके मूवमेंट की निगरानी कर सकता है।
नए रेगुलेशन में सोना-चांदी, नशीले पदार्थ और साइकोट्रोपिक पदार्थ, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर, शराब, मुद्रा, सिगरेट और तंबाकू, वन्यजीव उत्पाद और प्राचीन वस्तुएं शामिल हैं।
CBIC अधिकारियों ने कहा कि यह कदम सोने की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया है। सीमा शुल्क ने पहले ही अधिकारियों को अधिक सावधान रहने के लिए सतर्क कर दिया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि आयात शुल्क में वृद्धि से सोने की तस्करी बढ़ सकती है।
CBIC की अधिसूचना के अनुसार, यदि एक उचित अधिकारी को लगता है कि संदिग्ध माल को सामान के रूप में भारत में आयात या निर्यात किया जा रहा है, तो वहफॉर्म- I में रिपोर्ट दर्ज करेगा, जिसमें इस तरह के खेप की जानकारी होगी।
रिपोर्ट को एक निर्दिष्ट अधिकारी- प्रधान अतिरिक्त महानिदेशक या राजस्व खुफिया महानिदेशालय (DGRI) के अतिरिक्त महानिदेशक द्वारा अनुमोदित और अधिकृत किया जाना है। अधिसूचना के अनुसार, इसके लिए सीमा शुल्क अधिकारी को जल्द से जल्द मंजूरी लेनी होगी। लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं हो पाया हो, तो डिलीवरी के 72 घंटे बाद तक इसे हर हाल में हासिल करना होगा।
नियंत्रित वितरण करने के लिए निर्दिष्ट प्राधिकारी का अनुमोदन प्राप्त करने पर उचित अधिकारी, “यदि आवश्यक हो, किसी भी निशान को चिपका सकता है या किसी विशेष जांच उपकरण को स्थापित कर सकता है। इसमें संदिग्ध खेप की ट्रैक-एंड-ट्रेस निगरानी के लिए उपकरण शामिल हैं।