नदी लिंक परियोजना को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद एक आदिवासी प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल तथा प्रदेश भाजपा प्रमुख सी आर पाटिल से नदी लिंक परीयोजना को रद्द करने की मांग की। गुजरात भाजपा प्रदेश प्रमुख सी आर पाटिल ने प्रतिनिधिमंडल को सुनने के बाद भरोसा दिलाया कि पार – ताप्ती लिंक परीयोजना को लागु नहीं किया जायेगा। गौरतलब है भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना नदी लिंक परीयोजना है जिसके तहत बड़ी नदी से छोटी नदी को जोड़कर उस क्षेत्र की सिचाई तथा जल संकट को दूर करना है।
मुख्यमंत्री ने दिलाया भरोसा
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पार-तापी योजना के संबंध में जनजातियों के मुद्दों और अभ्यावेदन के समाधान के लिए एक उदार निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि राज्य सरकार प्रस्तावित पार-तापी योजना के संबंध में आदिवासियों की शिकायतों के निवारण के लिए प्रतिबद्ध है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम पर-तापी योजना के संबंध में आदिवासियों के अभ्यावेदन और समस्याओं को पूरी तरह से समझेंगे और उनके हित में समाधान लाएंगे.
मुख्यमंत्री ने आदिवासी समुदाय को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इस संबंध में केंद्र सरकार को अभ्यावेदन देगी और कहा कि राज्य सरकार जनजातियों के हितों की रक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है.
वित्तीय वर्ष 2022 -2023 के बजट में नदी लिंक परीयोजना के लिए वित्तीय प्रावधान भी किया है
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2022 -2023 के बजट में नदी लिंक परीयोजना के लिए वित्तीय प्रावधान भी किया है , जिसमे पार -ताप्ती नदी को जोड़ने का भी प्रावधान किया गया है। जिससे वलसाड और डांग जिला प्रभावित होगा , अकेले वलसाड जिला के 62 गांव प्रभावित होंगे। तापी और नर्मदा नदी लिंक परियोजना को लागू करने जा रही है. इस परीयोजना से वलसाड जिले के धरमपुर तालुका में पार नदी पर चसमंडवा गांव के पास एक बांध का निर्माण किया जा सकता है।
यदि बांध बन जाता है, तो क्षेत्र के कई आदिवासी परिवारों के विस्थापित होने की संभावना है, जिससे आदिवासी समुदाय और राजनीतिक और सामाजिक नेता भी सरकार की प्रस्तावित नदी लिंक परीयोजना का विरोध कर रहे हैं। इस योजना के विरोध में आदिवासी समुदाय द्वारा विरोध सभा आयोजित करने के बाद आज धर्मपुर के असुर चौकड़ी में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया था । रैली पुन: धरमपुर की सार्वजनिक सड़कों पर निकली और मामलातदार को आवेदन पत्र सौंपकर प्रस्तावित नदी लिंक परीयोजना का विरोध किया.
अनंत पटेल, एक आदिवासी नेता, जिन्होंने विरोध आंदोलन का नेतृत्व किया, और अन्य नेताओं ने सरकार की परियोजना का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार आदिवासी समुदाय की नाराजगी के बावजूद इस परियोजना को लागू करती है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.
केंद्र सरकार से योजना को रद्द करने का नोटिफिकेशन क्यों जारी नहीं करा देते – अनंत पटेल
विधायक अनंत पटेल ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मंत्रियों के बीच तालमेल की कमी है. उनके मुताबिक एक तरफ केंद्र सरकार बजट में इस लिंक प्रोजेक्ट की बात कर रही है तो दूसरी तरफ गुजरात सरकार के मंत्री सार्वजनिक तौर पर दावा कर रहे हैं कि यह प्रोजेक्ट नहीं होने वाला है.
अनंत पटेल ने भाजपा प्रदेश प्रमुख सी आर पाटिल के भरोसे को आदिवासी समाज के साथ छलावा करार देते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार की परियोजना है , केंद्र सरकार ने बजट में इसका प्रावधान भी किया है। भाजपा आदिवासी समाज के आक्रोश को देखते हुए उनके साथ छलावा कर रही है , भाजपा की केंद्र और राज्य में सरकार वह केंद्र सरकार से योजना को रद्द करने का नोटिफिकेशन क्यों जारी नहीं करा देते है , लेकिन योजना रद्द करने की बात करने से यह तो तय हो जाता है कि यह प्रोजेक्ट राज्य और आदिवासी समाज के हित में नहीं है।