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कांग्रेस ने मोदी सरकार की ‘नाकाम विदेश नीति’ पर साधा निशाना, कहा- अमेरिकी टैरिफ से भारत की व्यापारिक अर्थव्यवस्था को झटका

| Updated: April 9, 2025 13:01

विदेश नीति को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कांग्रेस ने कहा है कि सरकार की “कमज़ोर और विफल कूटनीति” के कारण भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपमान का सामना करना पड़ा है और अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 27 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाए जाने से देश का विदेशी व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा।

हालांकि कांग्रेस ने अमेरिका के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, लेकिन पार्टी ने साफ किया कि ऐसे रिश्ते भारत के राष्ट्रीय हितों की कीमत पर नहीं होने चाहिए। ये टिप्पणियां उस प्रस्ताव के मसौदे में की गई हैं, जिस पर विचार-विमर्श चल रहा है और जिसे बुधवार को होने वाले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) सत्र में पेश किया जाएगा।

पार्टी सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि मसौदा अंतिम रूप से पेश होने से पहले इसमें संशोधन हो सकता है।

अमेरिका में सार्वजनिक अपमान और प्रवासियों के साथ बुरा व्यवहार

मसौदा प्रस्ताव में कहा गया है, “प्रधानमंत्री की वॉशिंगटन यात्रा के दौरान भारत को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया और हमारे देश को ‘टैरिफ दुरुपयोगकर्ता’ (tariff abuser) कहा गया। भारतीय प्रवासियों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया गया — उन्हें जंजीरों और हथकड़ियों में बांधकर अमेरिका से निकाला गया। दुर्भाग्य से, संसद में विदेश मंत्री ने इस अमानवीय व्यवहार का बचाव किया।”

कांग्रेस ने अमेरिका द्वारा लगाए गए 27 प्रतिशत टैरिफ पर गहरी चिंता जताई है और कहा है कि इससे भारत के निर्यात को बड़ा झटका लगेगा। साथ ही मसौदे में यह भी कहा गया है कि अमेरिका, भारत से कृषि, शराब, ऑटोमोबाइल और फार्मा सेक्टर में अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाने का दबाव बना रहा है।

मसौदे में कहा गया, “यदि ऐसा होता है, तो इसका सीधा नुकसान भारतीय किसानों के साथ-साथ हमारी घरेलू ऑटोमोबाइल और दवा उद्योग को होगा।”

विदेश नीति को बना दिया गया ‘व्यक्तिगत ब्रांडिंग’ का जरिया: कांग्रेस

कांग्रेस ने पूर्ववर्ती सरकारों की विदेश नीति को “सिद्धांत आधारित और दूरदर्शी” बताते हुए कहा कि भारत का वैश्विक प्रभाव पहले कहीं अधिक मजबूत था।

मसौदे में कहा गया, “हमारी सरकारों की विदेश नीति हमेशा भारत के हितों की रक्षा, वैश्विक संतुलन बनाए रखने, संवाद और सहयोग से समाधान खोजने तथा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान निकालने पर आधारित थी।”

इसके विपरीत, मौजूदा सरकार पर विदेश नीति को “व्यक्तिगत ब्रांडिंग और निहित स्वार्थों” की सेवा में लगाने का आरोप लगाया गया।

चीन, बांग्लादेश और वैश्विक संकटों पर चिंता

मसौदे में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारत की लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। “लाल आंख दिखाने वाली सरकार, अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है,” प्रस्ताव में कहा गया।

इसके अलावा, ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा बनाए जा रहे दुनिया के सबसे बड़े बांध को भी कांग्रेस ने पूर्वोत्तर भारत, विशेषकर असम के लिए गंभीर खतरा बताया है।

बांग्लादेश में हालिया घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए मसौदे में कहा गया है कि “कट्टरपंथी तत्वों की वापसी और उनका उभार वहां के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए असुरक्षित माहौल पैदा कर रहा है।”

इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर भारत की चुप्पी को भी कांग्रेस ने ‘भारत की स्थापित कूटनीतिक परंपराओं के खिलाफ’ बताया। मसौदे में कहा गया, “इस मानवीय संकट, बमबारी और निर्दोषों की मौत पर सरकार की निष्क्रियता और चुप्पी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

‘कमज़ोर नेतृत्व’ और ‘आत्मसमर्पण’ की नीति को बताया अस्वीकार्य

कांग्रेस ने कहा, “वर्तमान भाजपा सरकार के तहत भारत की विदेश नीति कमजोर नेतृत्व और लाचारीपूर्ण आत्मसमर्पण में बदल गई है। यह स्थिति देश के लिए कतई स्वीकार्य नहीं है।”

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