आदिवासी, दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यकों जैसे अपने पारंपरिक वोट बैंक को दोबारा जोड़ने की दिशा में कदम उठाते हुए कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को अहमदाबाद में आयोजित एआईसीसी अधिवेशन में गुजरात के लिए एक विशेष प्रस्ताव पारित किया। इसमें राज्य में जातिगत जनगणना कराने और संविधान प्रदत्त अधिकारों व सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया।
पार्टी ने इसे अपने 140 वर्षों के इतिहास में पहली बार किसी राज्य के लिए विशेष प्रस्ताव बताया और कहा कि अगर कांग्रेस गुजरात में सत्ता में आती है तो वह न केवल आधुनिक और विकसित गुजरात बल्कि समावेशी भारत के निर्माण के लिए भी प्रतिबद्ध होगी।
‘न्याय पथ’ प्रस्ताव में बीजेपी सरकार पर निशाना
कांग्रेस के मुख्य प्रस्ताव ‘न्याय पथ’ में भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा गया कि पिछले 10 वर्षों में एससी/एसटी सब-प्लान और उसका बजटीय आवंटन पूरी तरह समाप्त कर दिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि “50% आरक्षण की मनमानी सीमा और जातिगत जनगणना की अनुपस्थिति ने ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों को उनके वाजिब हक से वंचित कर दिया है।”
पार्टी के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “यह प्रस्ताव इसलिए आवश्यक था क्योंकि एआईसीसी का यह सत्र उस राज्य में हो रहा है जहां कांग्रेस 30 वर्षों से सत्ता से बाहर है। 1960 से 1990 तक कांग्रेस ने गुजरात की विकास नींव रखी थी, जिसे भाजपा ने नष्ट किया। राज्य की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह विशेष प्रस्ताव लाया गया है।”
गुजरात के लिए कांग्रेस का विज़न डॉक्यूमेंट
‘गुजरात की अधूरी अपेक्षाएं: विकास के केंद्र में केवल कांग्रेस’ नामक इस प्रस्ताव में कांग्रेस ने राज्य के लोगों की मेहनत, व्यापारिक सोच और उद्यमशीलता को सराहा और भविष्य का विस्तृत सामाजिक-आर्थिक खाका प्रस्तुत किया।
इसमें कहा गया है कि आदिवासियों को वन अधिकार अधिनियम के तहत जमीन का अधिकार दिलाया जाएगा और पेसा कानून (1996) को पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा। प्रस्ताव में चरागाहों की रक्षा, बंजर भूमि के पुनर्जीवन और अतिरिक्त भूमि को अनुसूचित जातियों, जनजातियों और ओबीसी को देने की योजना का भी उल्लेख है, जिससे श्रमिक किसान बन सकें।
रोजगार को लेकर कांग्रेस ने ठेके, आउटसोर्सिंग और फिक्स वेतन जैसी व्यवस्थाओं को खत्म कर स्थायी नौकरियों की बात कही और “समान कार्य के लिए समान वेतन” के अधिकार को लागू करने का संकल्प लिया।
कुपोषण और नशाखोरी के खिलाफ कड़ा रुख
प्रस्ताव में बताया गया कि गुजरात में 40% बच्चे कुपोषित हैं और 55% महिलाएं एनीमिक हैं। कांग्रेस ने राज्य को कुपोषण और नशामुक्त बनाने का संकल्प लिया और संगठित ड्रग माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही।
औद्योगिक और समुद्री विकास पर फोकस
कांग्रेस ने राज्य में औषधि, रसायन, कपड़ा, सिरैमिक, पेट्रोकेमिकल्स, टेक्सटाइल और ऑटोमोबाइल जैसे पारंपरिक और आधुनिक उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कही। साथ ही, कंप्यूटर, सेमीकंडक्टर और तकनीकी क्षेत्र में युवाओं को अवसर देने की बात कही।
गुजरात के लंबे समुद्री तट का उपयोग कर आयात-निर्यात को बढ़ावा देने और बंदरगाहों को आधुनिक बनाने का संकल्प लिया गया जिससे लाखों रोजगार सृजित किए जा सकें। मत्स्य उद्योग को भी आधुनिक रूप देने की बात प्रस्ताव में शामिल है।
महिलाओं, छोटे उद्योगों और शिक्षा पर विशेष ध्यान
कांग्रेस ने छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को सुरक्षा देने, हर जिले में कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने, शिक्षा, पर्यटन और स्वास्थ्य सेवाओं के विकास का वादा किया। महिलाओं को सुरक्षा, समानता और आत्मनिर्भरता दिलाने की प्रतिबद्धता जताई।
अंत में, प्रस्ताव में कहा गया, “कांग्रेस अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के जीवन में हो रहे शोषण और हस्तक्षेप के खिलाफ संघर्ष करेगी। जब हम सत्ता में आएंगे, तो इन वर्गों को न्याय दिलाया जाएगा।”
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