दिसंबर में आयोजित गुजरात विधानसभा चुनाव केवल एक राज्य का चुनाव नहीं है , यह चुनाव 2024 की जमीन तैयार करेगा ,साथ ही कांग्रेस का भविष्य भी। यह स्थानीय कांग्रेस नेतृत्व भी बेहतर तौर से समझ रहा है और एआईसीसी भी। इसलिए पूरी ताकत से गुजरात चुनाव लड़ने के एक एआईसीसी और जीपीसीसी ने मिलकर 9O दिन की कार्ययोजना बनाई है , जिसके सहारे सत्ता तक पहुंचने का लक्ष्य है। कार्ययोजना में अपनी ताकत और कमजोरी का बारीकी से समावेश किया गया है , और अतीत की गलतियों से मिले बोध पाठ को भी। कागज में दिख रहा ब्लू प्रिंट जमीन में क्या असर दिखाएगा यह परिणाम के बाद पता चलेगा
लेकिन जमीनी शुरुआत हो चुकी है। पहली बार AICC ने गुजरात कांग्रेस को फ्री हैण्ड दिया है। अपने सबसे अनुभवी अशोक गहलोत को समन्वय की जिम्मेदारी दी है , स्थानीय नेताओं को अधिकतम 2 जिलों की जिम्मेदारी दी है। AICC के वरिष्ठ पर्यवेक्षक और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के गुजरात प्रवास के दौरान पूर्व प्रमुख सिद्धार्थ पटेल के आवास पर आयोजित गोपनीय बैठक के दौरान ब्लू प्रिंट को अंतिम रूप दिया गया। इस बैठक में ” खास नेताओं ” को ही आमंत्रित किया गया था।
गुजरात कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर कहते हैं आम आदमी पार्टी की बात इसलिए हो रही क्योंकि भाजपा को पता है कि उसका मुकाबला कांग्रेस से है। खरीद फरोख्त के इस दौर में भी कांग्रेस के 67 विधायक है। हर बूथ में हमारे कार्यकर्ता है ,आप है कहा ? सूरत -गांधीनगर में आप को जगह इसलिए मिली क्योकि हमसे कुछ गलतियां हुयी थी अब वह दोबारा नहीं होने वाली है। हमारे पास योजना भी है , कार्यकर्ता भी है हम लक्ष्य निर्धारित करके काम कर रहे है। परिणाम कांग्रेस के पक्ष में होगा।
2017 के विधानसभा चुनाव में सूरत के दोनों छोर आंदोलन की चपेट में थे , एक तरफ पाटीदार आंदोलन इतना प्रभावी था कि तात्कालिक भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह की सभा में हंगामा हो गया था , वही दूसरी तरफ कपडा व्यापारी जीएसटी को लेकर आंदोलनरत थे , 21 कपड़ा बाजार बंद था। फिर सूरत शहर में कांग्रेस का खाता नहीं खुला था , शहर और जिला की कुल 16 में से महज एक सीट कांग्रेस को मिली थी। इस बार भाजपा प्रदेश प्रमुख सूरत से है , सरकार में मंत्री के तौर पर 4 -4 विधायकों की हिस्सेदारी के बावजूद कांग्रेस आशान्वित है। दक्षिण गुजरात कांग्रेस प्रभारी और एआईसीसी के सचिव बीएन संदीप कहते है , हमें पता है पिछली बार क्या गलती हुयी थी , इस बार दक्षिण गुजरात बेहतर परिणाम देगा। हमारा एक योजना से काम कर रहे है। आप परिणाम देखना।
पिछले चुनाव में युवा नेता के तौर पर उभरे हार्दिक पटेल अब भाजपा के साथ है। सौराष्ट्र प्रभारी रामकिशन ओझा कहते हैं आज हार्दिक कहा हैं? जो विधायक गए थे उनकी हालत देखिये , सौराष्ट्र पिछली बार से अच्छा परिणाम देगा। मै तीन महीने से यहा हु, हमें जमीनी हकीकत पता है। वह आप ( आम आदमी पार्टी )की सौराष्ट्र में उपस्थिति से ही इंकार करते है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रमुख अर्जुन मोढवाडिया मानते है कि कांग्रेस एक विशेष रणनीति के तहत चुनाव लड़ रही है। केंद्रीय नेतृत्व का सहयोग भी मिल रहा है. मोढवाडिया को भरोसा है की विशेष योजना , कार्यकर्ताओं की मेहनत और भाजपा सरकार की विफलता इस बार कोंग्रस को सत्ता तक पहुचायेगी।
9 मुद्दे 90 दिन
कांग्रेस 5 सितम्बर से 5 दिसम्बर तक तीन महीनों में 9 पूरी ताकत से चुनावी मोड़ पर रहेगी ,परियम लेन के लिए जिसके 9 बिंदु तय किये गए गए है। कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार ने कहा इस बार आतंरिक असंतोष नहीं है , जिनको जाना था वह जा चुके है ( पार्टी छोड़ चुके हैं )। AICC प्रभारी रघु शर्मा और AICC सचिव अधिकतम समय गुजरात को दे रहे हैं , इसलिए समन्वय बेहतर है। इसलिए ब्लू प्रिंट साकार हो सकता है।2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 99 सीटों पर सफलता मिली थी ,जबकि 182 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस को 77 ,उसके सहयोगी बीटीपी को 2 और कांग्रेस समर्पित निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी जीतने में कामयाब हुए थे।
1 – बूथ जीतने पर जोर
जीत को जो मंत्र 2012 में भाजपा को मिल गया था ,कांग्रेस उस पर अभी अमल कर रही है। जिसके लिए “मेरा बूथ मेरा गौरव ” अभियान शुरू किया गया है। हर बूथ पर दो जन मित्र बनाये जा रहे हैं जिनकी निगरानी विधानसभा स्तर AICC नियुक्त बीएलओ कर रहे है , प्रदेश कांग्रेस ने अलग से विधानसभा प्रभारी नियुक्त किये हैं। 24 -26 दिसंबर तक शीर्ष नेतृत्व अपने विधानसभा के बूथ में जनसम्पर्क करेगा। गुजरात कांग्रेस जगदीश ठाकोर के मुताबिक सितंबर के अंत में 50000 बूथों पर जनमित्र को पहचान पत्र दे दिया जायेगा। उनका रिकॉर्ड जीपीसीसी के एप में होगा।
2 – फर्जी वोटर हटाओ
कांग्रेस मतदाता सूची को लेकर गंभीर है , चुनाव आयोग से मिलकर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने फर्जी वोटर की शिकायत भी दर्ज करा दी है , केवल मेहसाणा विधानसभा में ही 9000 मतदाता ऐसे हैं जिनका नाम एक से अधिक बार है , या उनकी मौत हो चुकी है, या वह दर्शाये गए पते पर रहते नहीं है। कांग्रेस के एक प्रभारी के मुताबिक हमने हर विधानसभा में ऐसे नाम निकाले है , जो आश्चर्यजनक ढंग से 8 -15 हजार है। विधानसभा स्तर पर भी इन नामों की मतदाता सूची भेज दी गयी है , यह नाम कटवाएंगे , नहीं हटाया गया तो कोर्ट जायेंगे। कांग्रेस का आरोप है की इन फर्जी वोटरों के नाम का इस्तेमाल फर्जी वोट के तौर पर होता है , क्योकि जब आदमी ही नहीं है तो उसका मतदाता पहचान पत्र कौन लेगा ? प्रशासन यहा भाजपा समर्थक की भूमिका निभाता है।
3 – जनसम्पर्क बनाओ – सरकार बनाओ
राजनीति का जनसम्पर्क बढ़ाकर ही सरकार बन सकती है ,का मूल पाठ कांग्रेस को अभी समझ में आया है , इसके तीन चरण बनाये गए है , पहले चरण में पार्टी की विचारधारा से जुड़े लोगो से सीधी मुलाकात , दूसरे में पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात और अंतिम में सामाजिक संगठन ,एनजीओ , बौद्धिक वर्ग और विभिन्न पेशो से जुड़े लोगों से मुलाकात शामिल है। इसका पहला चरण पूरा हो चूका है।
4 – घोषणा पत्र में जन समावेश
गुजरात कांग्रेस AICC के पूर्व महासचिव दीपक बाबरिया के नेतृत्व में चुनाव घोषणा पत्र तैयार कर रही है , लेकिन घोषणा पत्र में मुद्दे कौन से होगें इसके लिए विधानसभा स्तर पर सभा और नुक्कड़ बैठक आयोजित की जा रही है ,ताकि तमाम मुद्दों का समावेश हो और उसमे जनभागेदारी हो।
5 -120 सीटों पर अधिसूचना के पहले उम्मीदवारों की घोषणा
अंतिम समय तक उम्मीदवारों के चयन में उलझी रहने वाली कांग्रेस इस बार 120 चयनित विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा चुनाव की अधिसूचना के पहले घोषित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पार्टी के प्रदर्शन के लिहाज से विधानसभा क्षेत्रों को तीन भागों में बांटा गया है। जिनमे 50 सीट ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस कमजोर है , उन सीटों पर पहले प्रत्याशी घोषित होने के आसार है , इन में शहरी और ग्रामीण दोनों सीटें शामिल हैं। कांग्रेस के निर्दलीय जिग्नेश मेवाणी समेत 67 मौजूदा विधायक है जिनमे से लगभग 60 विधायकों को फिर से मैदान में उतारा जायेगा। 9 बार के विधायक और पूर्व नेता विधानसभा मोहन राठवा चुनाव लड़ने से मना कर चुके है , 2 और विधायक इस सूची में शामिल हैं , वंहा उनकी सहमति से उम्मीदवार तय किया जायेगा। जबकि लगभग 23 सीट ऐसी हैं जिनमें एक नाम पर सहमति है। पहले उम्मीदवार घोषित करने से उसे चुनाव प्रबंधन का समय मिलेगा।
6 -लक्षित वोटर का मतदान प्रतिशत बढ़ाना
किसी भी राजनीतिक दल को पता होता है की उसका मतदाता कौन है , और किस बूथ पर वह मजबूत है , देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल को भी यह पता है। गुजरात कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर के मुताबिक हमारा मतदाता 45 -50 प्रतिशत ही मतदान करने घर के बाहर निकलता है , इस बार हमें इस आकड़े को 70 प्रतिशत तक ले जाना है। मतदाता को घर से निकालने और उसका मतदान सुनिश्चित कराने पर हमारा जोर रहेगा।
7 -आक्रामक प्रचार
कांग्रेस ने अंतिम समय में आक्रामक प्रचार की रणनीति तैयार की है , जिसमे 300 से अधिक बड़ी सभा प्रस्तावित है ,राहुल गाँधी गुजरात के चारों जोन में जनसभा और रोड शो करेंगे। आदिवासी और शहरी विस्तार में प्रियंका गाँधी मोर्चा सभालेंगी। जबकि कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी ,पूर्व मुख्यमंत्री ,पूर्व केंद्रीय मंत्री विधानसभा स्तर पर अपने संपर्कों का इस्तेमाल करेंगे।
8 – सरकार पर हमलावर
गुजरात का चुनाव गुजरात के मुद्दों पर लड़ा जाय , इसलिए गुजरात सरकार और स्थानीय भाजपा नेतृत्व पर हमलावर रुख अख्तियार किया जायेगा। जिसके लगभग 100 पत्रकार परिषद की जाएगी। औसतन हर तीसरे दिन एक केंद्रीय नेता पत्रकार परिषद करेगा। शुरूआती दो महीने में अहमदाबाद में पत्रकार परिषद होगी , जबकि अंतिम महीने सूरत ,वडोदरा , राजकोट जैसे बाकि 6 महानगरों में पत्रकार परिषद का आयोजन किया जायेगा
9 – भाजपा के जाल से बचें
चुनाव के दौरान अक्सर कांग्रेस नेता ही भाजपा को अपनी बयानबाजी या भाषण से मुद्दा दे देते है , जिसके बाद चुनाव बदल जाता है , इस बार कांग्रेस ने भाजपा के जाल से बचने की हिदायत अपने नेताओं और प्रवक्ताओं को दे रखी है। बिलकिस बानो मामले में भी यह दिखा केवल पवन खेड़ा और राजयसभा सांसद अमी याग्निक ने बोला। बाकी नेता खामोश रहे ताकि सन्देश भी चला जाये और ध्रुवीकरण भी ना हो।
लेकिन यह योजना है , चुनावी समर में कितनी साकार होगी यह समय के गर्भ में है। रणनीति तो हर दल बनाता है और अपने जीतने के लिए ही बनाता , लेकिन साकार नहीं होता।