मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल Chief Minister Bhupendra Patel ने गुरुवार को गांधीनगर में अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड डे international wetland day के अवसर पर गुजरात के समृद्ध वेटलैंड Rich Wetlands of Gujarat को उजागर करने वाली ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की थीम पर आधारित फिल्म को लॉन्च किया। रूपकुमार राठोड़ द्वारा स्वरबद्ध की गई यह फिल्म उनके ही संगीत से सजी है। इस अवसर पर वन मंत्री मूळुभाई बेरा Forest Minister Moolubhai Bera और वन राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल Minister of State for Forest Mukeshbhai Patel भी उपस्थित थे।
इस फिल्म में कजाकिस्तान, सऊदी अरब, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया Kazakhstan, Saudi Arabia, Europe and Australia जैसे देशों से आने वाले पक्षियों को शामिल किया गया है, जो राज्य के छारीढंढ, थोल, नल सरोवर, कच्छ का छोटा रण और वढवाण जैसे वेटलैंड स्थलों पर नजर आते हैं। यह फिल्म पक्षीविदों और नागरिकों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगी।
उल्लेखनीय है कि पक्षी अपने अस्तित्व के समय से इस धरती के सभी कोनों में प्रवासी बनकर सफर करते रहे हैं और धरती, आकाश और जल क्षेत्र को अपना घर मानते हैं। ये पक्षी ही उपनिषदों में लिखी ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को सार्थक करते हैं। पक्षी धरती के हर छोर से भारत आने के लिए मध्य एशियाई उड़ान मार्ग का उपयोग करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने गुजरात के चारों रामसर स्थल (अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) और कच्छ के छारीढंढ जैसे क्षेत्र में मेहमान बनने वाले प्रवासी पक्षियों तथा गुजरात के समृद्ध वेटलैंड को एक छोटी संगीतमय फिल्म में दर्शाया है। श्री पटेल ने कहा कि प्रतिवर्ष गुजरात के मेहमान बनने वाले लाखों यायावर पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पक्षियों की आकर्षक तसवीरें प्रस्तुत करती एक कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया।
ज्ञात हो कि भारत इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है, तब जी20 के कुल 20 देशों में से प्रतिवर्ष 18 देशों के पक्षियों की लगभग 300 प्रजातियां गुजरात के वेटलैंड की मेहमान बनती हैं, जो भारत के लिए गर्व की बात है।
श्री रूपकुमार राठोड़ एक उम्दा संगीतकार के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी हैं और बेहतरीन वन्यजीव फोटोग्राफर भी हैं। गुजरात के राष्ट्रीय उद्यानों के साथ उनका अद्भुत नाता है। उन्होंने गुजरात के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में वन्यजीवों और पक्षियों की काफी तस्वीरें भी खींची हैं। प्रकृति के साथ जुड़ाव के कारण ही उन्होंने गुजरात के सरोवरों और पक्षियों के विषय में इस नवीनतम धुन की रचना की है।
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