कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर संकट के बादल मडराने लगे हैं | चुनाव आयोग और केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय के बीच हुयी बैठक में भी कोई निर्णय नहीं हो सका वही जनवरी के पहले सप्ताह में फिर से चुनाव आयोग स्वास्थ मंत्रालय के साथ बैठक कर निर्णय लेगा | विदित हो कि पंजाब ,उत्तरप्रदेश ,उत्तराखंड ,मणिपुर ,और गोवा की विधानसभा का कार्यकाल फरवरी , मार्च में खत्म हो रहा है , कार्यकाल समाप्त होने के पहले चुनाव आवश्यक है ,अन्यथा राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा |
विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती भी शुरू हो गयी हैं , जिसके कारण तमाम राजनीतिक दल लगातार बड़ी बड़ी जनसभा , रैली का आयोजन कर रहे हैं , अकेले उत्तरप्रदेश में प्रधानमंत्री 10 जनसभा को पिछले डेढ़ महीनों में सम्बोधित कर चुके हैं |, जबकि दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने कोरोना के नए वैरिएंट के फैलते प्रभाव को रोकने के लिए राज्य सरकारों को मार्गदर्शिका जारी करके प्रतिबन्ध लगाने को कहा है ,कई राज्यों ने नाईट कर्फ्यू भी लगा दिया है | फिर चुनाव स्थगित करने की मांग समाज के कई तबको से उठ रही है | इलाहबाद हाई कोर्ट ने भी प्रधानमंत्री से अपील की थी कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राजनीतिक रैली और राज्य चुनाव स्थगित किये जाये , वहीँ सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर कर चुनाव स्थगित कराने की मांग की गयी है |
चुनाव आयोग ने स्वास्थ सचिव राजेश भूषण से चुनाव प्रचार ,मतदान और मतगणना पर सुझाव मांगे साथ ही कोरोना के प्रभाव और चुनाव पर भी चर्चा की गयी , लेकिन कोई निर्णय नहीं किया जा सका , जनवरी के पहले सप्ताह में फिर से बैठक के बाद निर्णय लिया जायेगा | अभी तक देश में कोरोना के नए वैरिएंट आमिक्रोन के 578 मामले सामने आये हैं जिनमे से 151 मरीज स्वस्थ हो गये हैं हालांकि चुनाव प्रभावित राज्यों में इनका असर कम है उत्तर प्रदेश में 2 ,उत्तराखंड में एक मामला ही सामने आया है जबकि उक्त तीनों मरीज ठीक हो चुके हैं | अगले कुछ दिन में कोरोना का बढ़ता प्रभाव पांच राज्यों का चुनाव तय करेगा |