अहमदाबाद: भारत की ऑस्कर एंट्री ‘छेलो शो’ (फिल्म का आखिरी शो) के बाल कलाकार (child star) 10 वर्षीय राहुल कोली के लिए उनकी पहली ही फिल्म आखिरी बन गई। राहुल का 2 अक्टूबर को अहमदाबाद के एक कैंसर अस्पताल में ल्यूकेमिया से मृत्यु हो गई। ऑटोरिक्शा चलाने वाले राहुल के पिता रामू कोली ने बताया, “वह बहुत खुश था। अक्सर मुझसे कहता कि 14 अक्टूबर (फिल्म की रिलीज की तारीख) के बाद हमारी जिंदगी बदल जाएगी। लेकिन वह उससे पहले हमें छोड़ गया।”
संयोग देखिए कि फिल्म उसकी तेरहवीं यानी मृत्यु के 13 वें दिन प्रदर्शित होगी। तेरहवीं को गुजराती में “टर्मू” कहा जाता है, जिसमें मृत्यु के बाद की कुछ रस्में निभाई जाती हैं।
अभी 12 दिन पहले ही फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) ने गुजराती भाषा की फिल्म को 95वें अकादमी पुरस्कारों (Academy Awards) में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि (official entry) के रूप में चुना है। ‘छेलो शो’ अमेरिका में रह रहे निर्देशक पान नलिन उर्फ नलिन पांड्या की अर्ध-जीवनी (semi-biographical) है। यह फिल्म सौराष्ट्र में उनके बड़े होने के वर्षों और जीवन पर पड़े फिल्मों के असर को लेकर है।
राहुल ने एक रेलवे सिग्नलमैन के बेटे और मुख्य किरदार (lead character) समय के करीबी दोस्त मनु की भूमिका निभाई है। फिल्म में छह बाल कलाकार हैं। सभी का चरित्र (characters) कहानी के लिए महत्वपूर्ण है। फिल्म निर्माता नलिन ने कहा कि राहुल की मौत ने फिल्म से जुड़े सभी लोगों को स्तब्ध कर दिया है। उन्होंने कहा, “हम परिवार के साथ रहे हैं … उसे बचाया नहीं जा सका।”
ब्लड कैंसर यानी ल्यूकेमिया से पीड़ित होने के बाद राहुल का चार महीने से इलाज अहमदाबाद के गुजरात कैंसर अनुसंधान संस्थान (GCRI) में चल रहा था। शूटिंग खत्म होने के बाद परिवार को बीमारी के बारे में पता चला। उन्हें शुरू में मामूली बुखार रहा करता था। दवा के बावजूद यह बार-बार होता रहा। रोते हुए उसके पिता ने कहा, “रविवार को उसने नाश्ता किया और फिर बार-बार बुखार आने के बाद राहुल ने तीन बार खून की उल्टी की। फिर अचानक मेरा बच्चा नहीं रहा। हमारा परिवार 14 अक्टूबर को उसकी अंतिम शुद्धि अनुष्ठान (purification rituals) करने के बाद उसकी फिल्म एक साथ देखेगा।”
उन्होंने कहा कि राहुल तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। “हम गरीब हैं, लेकिन उसका सपना हमारे लिए सब कुछ था। हमें उसके इलाज के लिए अपना रिक्शा बेचना पड़ा। जब फिल्म बनाने वालों को पता चला कि हमने क्या किया, तो उन्होंने हमें रिक्शा वापस करा दिया।”
बता दें कि 2013 की फिल्म द गुड रोड के बाद ऑस्कर में जाने वाली यह गुजराती भाषा की दूसरी फिल्म है, जहां यह ‘सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म’ श्रेणी (International Feature Film’ category) में अन्य से मुकाबला करेगी।
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