छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल (Chhattisgarh chief minister Bhupesh Baghel) ने राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन (governor Biswabhusan Harichandan) को पत्र लिखकर राज्य के ओबीसी महासभा (OBC Mahasabha) और राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए समय देने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में उल्लेख किया है कि 27 अगस्त को रायपुर में आयोजित ओबीसी महासम्मेलन के दौरान छत्तीसगढ़ ओबीसी महासभा (OBC Mahasabha) एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ (backward classes welfare association) द्वारा उनसे कहा गया था कि वे अपनी लंबित मांगों को लेकर राज्यपाल से मिलना चाहते हैं। इसलिए, वह राज्यपाल से प्रतिनिधिमंडल को मिलने और उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए समय आवंटित करने का अनुरोध कर रहे हैं।
एसोसिएशन के सदस्यों ने रविवार को सीएम से मुलाकात कर लंबित पड़ी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में ओबीसी वर्ग को लाभ देने के संदर्भ में अपनी मांग रखी। संघों ने जल्द से जल्द 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने का आग्रह किया है।
2012 में, पिछली रमन सिंह सरकार ने आरक्षण फॉर्मूले को संशोधित किया, जिसमें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 12 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत आवंटित किया गया, जिससे कुल आरक्षण 58 प्रतिशत हो गया।
हालाँकि, 2022 में राज्य उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए आदेश को रद्द कर दिया कि 50 प्रतिशत से अधिक कोई भी आरक्षण असंवैधानिक है। इसके बाद मामले की अपील सुप्रीम कोर्ट में की गई।
भूपेश बघेल सरकार ने दिसंबर 2022 में राज्य विधानसभा में दो विधेयक पारित किए, जिसका लक्ष्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) को 13 प्रतिशत, और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को चार प्रतिशत करना है। इस कदम से राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 76 प्रतिशत हो जाता।
विधेयकों को मंजूरी के लिए छत्तीसगढ़ की तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उइके को सौंपा गया था। हालाँकि, उन्होंने अभी तक अपनी सहमति नहीं दी है और बिल तब से लंबित हैं।
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