सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य बोर्डों, सीबीएसई और आईसीएसई द्वारा कक्षा 10वीं, 12वीं की ऑफलाइन परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका से भ्रम पैदा होता है.ऐसी याचिकाएं छात्रों को झूठी उम्मीद देती हैं और कंफ्यूजन पैदा करती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये प्री मेच्योर याचिका है, ऐसी याचिकाओं से बच्चे गुमराह होंगे. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि अधिकारी पहले से ही तारीखों और अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं.
यदि उन्हें अंतिम रूप देने के बाद कोई समस्या है तो पीड़ित पक्ष अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि ये गैरजिम्मेदाराना ढंग से जनहित याचिका का दुरुपयोग है.
यह थी याचिका
दरअसल, कोरोना वायरस (COVID 19) के चलते सीबीएसई, सीआइसीएसई समेत कई स्टेट बोर्ड 10वीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षा 50-50 प्रतिशत सिलेबस के आधार पर दो टर्म में आयोजित कर रहे हैं। टर्म 1 की परीक्षाएं ऑनलाइन मोड में आयोजित की गई थी। वहीं कोविड-19 के घटते संक्रमण को देखते हुए टर्म 2 की परीक्षाएं ऑफलाइन मोड में आयोजित करने का फैसला लिया है। सीबीएसई टर्म 2 परीक्षाएं 26 अप्रैल से शुरू होंगी।
दूसरी ओर छात्र 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं का परंपरागत ऑफलाइन मोड में आयोजित करने का विरोध कर रहे हैं। छात्रों और पैरेट्स का कहना है कि महामारी के चलते स्टूडेंट्स की पढ़ाई ऑनलाइन मोड में हुई है, तो परीक्षाएं ऑनलाइन मोड में क्यों नहीं हो सकती?
कुछ छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन क्लालेस में उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हुई, इसलिए ईवैल्यूएशन इंटर्नल एसेसमेंट के आधार पर टर्म 2 के मार्क्स दिए जाने चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कोविड -19 की स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन क्लासेस पूरी नहीं हुई हैं।
न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा, ‘पाठ्यक्रम पूरा किए बिना परीक्षा कैसे कराई जा सकती है।’
याचिका को ना केवल ख़ारिज कर दिया बल्कि इसे जनहित याचिका का दुरप्रयोग भी बताया
बेंच, जिसमें जस्टिस ए एम खानविल्कर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सी टी रविकुमार ने कहा कि याचिका की अग्रिम प्रति केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और अन्य संबंधित प्रतिवादियों के स्थायी वकील को दी जाए। याचिकाकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय की ओर से पेश वकील ने मामले को रखा और पीठ से इस पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।
याचिका में सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्ड को अन्य माध्यमों से परीक्षा कराने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्ड ने 10वीं और 12वीं के लिए ऑफलाइन माध्यम से बोर्ड परीक्षाएं कराने का प्रस्ताव दिया है।
लेकिन अदालत ने कठोर रुख अख्तियार करते हुए याचिका को ना केवल ख़ारिज कर दिया बल्कि इसे जनहित याचिका का दुरप्रयोग भी बताया।
सीबीएसई ने जारी किया नोटिफिकेशन: ऑनलाइन क्लासिस न भरने वाले छात्रों को माना जायेगा एब्सेंट