पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सीबीआई की विशेष अदालत ने एक “क्लोजर रिपोर्ट” को खारिज कर दिया। कहा कि भारत में पत्रकारों को जांच एजेंसियों को अपने स्रोतों का खुलासा करने से कोई वैधानिक छूट (statutory exemption) नहीं है। सीबीआई अदालत ने “क्लोजर रिपोर्ट” को खारिज करते हुए मामले की आगे की जांच का भी निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को पत्रकारों को यह जरूर बता देना चाहिए कि जांच के दौरान स्रोत का खुलासा करना जरूरी और महत्वपूर्ण है। जांच एजेंसी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धाराओं के तहत सार्वजनिक व्यक्तियों को अनिवार्य रूप से जांच में शामिल कर सकती है। इस सिलसिले में वह सभी तरह की जानकारियां हासिल कर सकती है। जानकारियों के बारे बताना उनका फर्ज भी है।
राउज एवेन्यू डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) अंजनी महाजन ने दस्तावेजों की कथित जालसाजी से संबंधित एक मामले में सीबीआई द्वारा दायर “क्लोजर रिपोर्ट” को खारिज कर दिया। एजेंसी ने दावा किया था कि कथित जाली दस्तावेजों को प्रकाशित और प्रसारित करने वाले पत्रकारों ने अपने स्रोत का खुलासा करने से इनकार कर दिया। इसलिए वह मामले की जांच पूरी नहीं हो सकी।
यह मामला मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले से जुड़ा है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले 9 फरवरी, 2009 को एक गलत रिपोर्ट एक अखबार द्वारा प्रकाशित और कुछ न्यूज चैनलों द्वारा प्रसारित किया गया था।
सीबीआई ने तब एक एफआईआर दर्ज की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ अनजान लोगों ने जांच एजेंसी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए गलत और मनगढ़ंत खबर दी। जांच के बाद सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की।
कोर्ट ने बाद में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया। इसने नोट किया कि जांच को उसके तार्किक नतीजे तक नहीं ले जाया गया था। इसलिए उसने जांच एजेंसी को पत्रकारों से पूछताछ करने का निर्देश दिया।
अदालत ने 17 जनवरी को आदेश जारी करते हुए कहा, “केवल इसलिए कि संबंधित पत्रकारों ने अपने संबंधित स्रोतों को प्रकट करने से इनकार कर दिया, जैसा कि अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है, जांच एजेंसी को पूरी जांच पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी। भारत में पत्रकारों को जांच एजेंसियों को अपने स्रोतों का खुलासा करने से कोई वैधानिक छूट नहीं है। विशेष रूप से जहां एक आपराधिक मामले की जांच में सहायता और सहायता के उद्देश्य से इस तरह का खुलासा जरूरी है। “
सीबीआई ने यह भी कहा था कि जांच के दौरान संबंधित मीडिया घरानों से संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन उन्होंने नहीं दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2007 में सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा अर्जित संपत्ति की जांच करे।
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