केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी देने के लिए जनवरी से फल-फूल रहे एक फ्रांसीसी वीजा धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है। इस सिलसिले में उसने छह लोगों को गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने कहा कि एफआईआर में नामजद छह लोगों में से दो दिल्ली में फ्रांसीसी दूतावास के वीजा सेक्शन के पूर्व कर्मचारी हैं। वे अन्य लोगों के साथ मिलकर इस साल जनवरी से छह मई तक वीजा रैकेट चला रहे थे।
सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्ली, पटियाला, गुरदासपुर और जम्मू में आरोपियों के छह ठिकानों पर तलाशी ली। इस दौरान लैपटॉप, मोबाइल फोन, संदिग्ध पासपोर्ट समेत आपत्तिजनक दस्तावेज और सामान बरामद किए गए। सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए छह आरोपियों में फ्रांसीसी दूतावास के वीजा सेक्शन में काम कर चुके शुभम शौकीन और आरती मंडल भी हैं। बाकी गिरफ्तार लोगों में नवजोत सिंह, चेतन शर्मा, सतविंदर सिंह पुरेवाल और मनप्रीत सिंह हैं।
साजिशः
सीबीआई के मुताबिक, “पंजाब और जम्मू के आवेदकों (applicants) ने पोर्ट-ले-हावरे, फ्रांस की प्राइवेट कंपनियों में नौकरी के लिए फ्रांसीसी महावाणिज्य दूतावास (Consulate General) को एंट्री वीजा जारी करने के लिए जो दस्तावेज दिए थे, वे फर्जी थे। उन्हें बेंगलुरु स्थित एक प्राइवेट कंपनी ने फर्जी तरीके से तैयार किया था।”
आरोप है कि दूतावास में काम कर चुके शुभम और आरती ने प्रति वीजा 50 हजार रुपये लेकर फ्रांस का एंट्री वीजा जारी कर दिया था। उन्होंने ऐसा दूतावास के वीजा विभाग के प्रमुख की जानकारी के बिना ही किया। इसके बाद सबूत भी खत्म कर दिए।
बताया जा रहा है कि पांच महीने में दोनों ने पंजाब और जम्मू के कई आवेदकों को फर्जी दस्तावेज पर ही फ्रांस का वीजा जारी किया है। इनमें ज्यादातर पंजाब के युवा किसान या बेरोजगार हैं, जिन्होंने पहले कभी यात्रा नहीं की है।
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