गुजरात हाई कोर्ट ने एक बीएसएफ उम्मीदवार की शिकायत का निपटारा कर दिया है। उसके जाति प्रमाणपत्र (caste certificate) को अधिकारियों ने मान्यता देने से इनकार कर दिया था। अंतिम नियुक्ति पत्र के लिए यह सर्टिफिकेट जरूरी शर्त है।
दरअसल उम्मीदवार ने जो जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था, वह उसे ओबीसी वर्ग का बताता है। इसे अधिकारियों ने इस आधार पर मानने से इनकार कर दिया था कि यह किसी दूसरे राज्य से जारी किया गया था, जबकि भर्ती गुजरात इकाई कर रही थी।
पीड़ित पक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां न्यायमूर्ति एवाई कोग्जे ने फैसला सुनाया कि उम्मीदवार को उस तारीख से ही नौकरी में रखा जाएगा, जिस दिन भर्ती शुरू होनी थी।
विद्वान न्यायाधीश ने कहा कि विज्ञापन में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया था कि केवल एक विशेष राज्य का ही प्रमाणपत्र स्वीकार किया जाएगा। बल्कि उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्रस्तुत प्रमाणपत्र बीएसएफ द्वारा आवश्यक प्रारूप में (the certificate produced was in the format required by BSF) था। उम्मीदवार कुम्भर समुदाय से था, जिसे किसी भी तरह से राज्य और केंद्रीय सूचियों में ओबीसी समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया (candidate happened to be from the Kumbhar community, which in any way is notified as an OBC community in State and central lists) है।
हाई कोर्ट ने पाया कि भर्ती करने वाले संगठन का काम केवल इस तथ्य को सत्यापित करने तक सीमित था कि उम्मीदवार ओबीसी श्रेणी से था या नहीं। चूंकि उम्मीदवार ने विज्ञापन में मांग की गई औपचारिकताओं को निर्धारित समय सीमा के भीतर निर्धारित प्रारूप में पूरा किया, इसलिए जाति प्रमाणपत्र को स्वीकार नहीं करना अन्याय है।
हाई कोर्ट ने पीड़ित के वकील की दलीलों को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया कि उम्मीदवार को भर्ती की तारीख से बीएसएफ में शामिल कर लिया जाए।