अहमदाबाद: ट्रायल कोर्ट (Trial Court) ने इस साल आठ महीनों में 11 मामलों में 50 लोगों को मौत की सजा (Sentenced To Death) सुनाई है। यह 1960 में राज्य बनने के बाद से गुजरात में किसी भी साल सबसे ज्यादा है।
कोर्ट के दस्तावेजों से पता चलता है कि यह रिकार्ड मुख्य रूप से 2008 के सिलसिलेवार विस्फोटों (Serial Blasts Case) के मामले में एक विशेष अदालत द्वारा फरवरी में 38 लोगों को फांसी की सजा देने के कारण बना है। बाकी में बलात्कार और हत्या के मामले शामिल हैं। पीड़ित नाबालिग लड़कियां थीं। गुजरात (Gujarat) में इस साल मौत की सजा की संख्या पिछले 15 वर्षों में राज्य की अदालतों द्वारा दी गई कुल संख्या के बराबर है। 2022 तक ऐसी सजा की सबसे अधिक संख्या 2011 में 13 थी। तब 2002 के गोधरा (Godhra) ट्रेन नरसंहार मामले के अधिकांश दोषियों को मृत्युदंड (Capital Punishment) मिला था।
2006 और 2021 के बीच निचली अदालतों द्वारा विरल से विरल अपराधों के लिए मौत की सजा पाए 50 लोगों में से चार मामलों में हाई कोर्ट ने अधिकतम सजा को बरकरार रखा। दिसंबर 2019 में हाई कोर्ट ने तीन साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या (Rape And Murder) पर सूरत के अनिल यादव को मौत की सजा की पुष्टि की। 2010 में हाई कोर्ट ने 2002 के अक्षरधाम मंदिर हमले के मामले में आदम अजमेरी, मुफरी अब्दुल कयूम मंसूरी और शनमिया उर्फ चांद खान की मौत की सजा को बरकरार रखा था। हालांकि तीनों को 2014 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बरी कर दिया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या इतने कम समय में मौत की सजा की सर्वाधिक संख्या समाज में कोई अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है, अहमदाबाद की एक पूर्व प्रधान सत्र न्यायाधीश ज्योत्सना याज्ञनिक ने कहा: “यह एक विशेष न्यायाधीश का एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण है। यदि जज इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अपराध भयानक है और समाज को संदेश मिलना चाहिए, तो वे मृत्युदंड (Death Penalty) देंगे।”