अहमदाबाद ,वापी वलसाड समेत 4 औधोगिक विस्तार में 804443 को श्वसन तंत्र से जुड़ी गंभीर बीमारी – कैग
गुजरात में जल जंगल और जमीन तीनो स्तर पर प्रदुषण बढ़ रहा है। 14 वीं गुजरात विधानसभा के अंतिम दिन सदन के पटल पर रखी गयी कैग ( CAG ) की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड प्रदुषण नियंत्रण में पूरी तरह से विफल रहा है। अहमदाबाद की 3 , वापी वलसाड की 8 , अंकलेश्वर की 4 समेत कुल 15 औद्योगिक विस्तार के अस्पतालों में दमा , श्वसन नाली में सूझन समेत गंभीर श्वसन रोग से जुड़े 80443 मरीज इलाज के लिए हैं।
गुजरात में 202 जीआईडीसी के अलावा शहरों के अंदर औधोगिक इकाइयां है जहां श्वास से जाने वाले रजकण का प्रदूषण ज्यादा है ,कैग ने अपनी सिफारिश में इन तमाम इलाकों में वायु गुणवत्ता की जांच के लिए केंद्र बनाने की सिफारिश की है। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने 2015 में गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को औद्योगिक इकाइयों के पास से प्रदूषण की निगरानी के लिए ऑनलाइन सिस्टम स्थापित करने के लिए बैंक गारंटी लेने का आदेश दिया था। CAG की रिपोर्ट के मुताबिक 422 इकाइयों में से 67 ने ऑनलाइन सिस्टम स्थापित ही नहीं किया है। जीपीसीबी ने उनमे से महज 11 को नोटिस दिया है। जबकि 94 इकाइयों के सिस्टम जीपीसीबी के ऑनलाइन सर्वर के साथ जुड़े ही नहीं हैं। जबकि 355 इकाइयों के सिस्टम चालू हैं या बंद इसकी कभी जाँच ही नहीं की गयी।
औद्योगिक इकाइयों से ही नहीं खनन से भी पर्यावरण को नुकसान हो रहा है ,धनसुरा के पास वात्रक ,चित्रासणी ,बगसरा ,सायला ,अंबाजी सेवलिया समेत विब्भिन्न इलाकों में जंहा लिग्नाइट का खनन होता है साथ सूरत समेत वह इलाके जंहा पत्थर की खुदाई होती है वंहा पीएम -10 ,तथा पीएम 25 का स्तर बहुत ज्यादा है जो श्वास तंत्र के लिए ख़राब है।
47 विद्युत केंद्र के 2 किलोमीटर के दायरे में 6. 5 प्रतिशत श्वास के रोगी
कोयला आधारित विघुत केंद्रों के कारण वायु प्रदुषण बढ़ा है। गुजरात में 47 ऐसे विघुत केंद्र हैं जिनके 2 किलो मीटर के दायरे में 6. 5 प्रतिशत श्वास के रोगी हैं। यह खुलासा कैग ने भारत सरकार के सांख्यिकी और योजना अमलीकरण विभाग के अध्ययन के आधार पर दिया है। कच्छ के मुंद्रा में ही 14 कोयला आधारित विद्युत केंद्र है जहां नासा द्वारा खींची गयी सैटेलाइट तस्वीर में सल्फर डायॉक्साईड का स्तर बहुत ज्यादा है। मुद्रा में अदाणी विद्युत केंद्र पर निगरानी के लिए कोई प्रणाली ही शुरू नहीं की गयी है। मार्च 2016 में जीपीसीबी की सूचना के बाद भी दिसम्बर 2021 तक कोई अमल नहीं हुआ।
कैग आडिट के दौरान निचले क्षेत्रों में उड़ती राख के लिए जीपीसीबी ने अदाणी पावर को नोटिस तो दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की। फरवरी 2018 से मई 2019 के दौरान मुद्रा में नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर सबसे ज्यादा था। विघुत केंद्रों के अलावा ईट भट्टा ,पत्थरो के क्रेशर , बर्फ कारखानों पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
गुजरात सरकार भले ही वन क्षेत्र बढ़ने का दावा करती हो लेकिन कैग के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वन क्षेत्र 21 . 76 प्रतिशत है जबकि गुजरात में 7. 57 वन क्षेत्र है। पिछले दो दशक में राज्य में 36. 86 प्रतिशत जनसंख्या बढ़ी है जबकि वाहनों की संख्या में 352 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। गुजरात में बढ़ते प्रदुषण के पीछे CAG ने अपनी रिपोर्ट में जीपीसीबी के लचर रवैया को प्रमुख कारन माना है
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