सरकार सेमी-हाई-स्पीड, अगली पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनों को तेजी से पटरी पर लाने की योजना बना रही है। इसलिए वित्त वर्ष 23-24 के केंद्रीय बजट प्रस्तावों में 300-400 नई ट्रेनों की घोषणा होने की संभावना है। रेल मंत्रालय के अधिकारियों को इसका अहसास है।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के लिए वित्त बजट में निर्धारित 1.37 ट्रिलियन रुपये से सकल बजटीय समर्थन (gross budgetary support) को और बढ़ाया जा सकता है, ताकि रेलवे को सरकारी मदद अधिक से अधिक दी जा सके। चालू वित्त वर्ष के बजट में यह समर्थन 2021-22 के 1.07 ट्रिलियन रुपये से 28% अधिक था।
सरकार धीरे-धीरे राजधानी और शताब्दी सहित सभी मौजूदा हाई-स्पीड ट्रेनों को वंदे भारत से बदलने की योजना बना रही है। इससे चुनिंदा रूटों पर ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 180 किलोमीटर प्रति घंटे की हो जाएगी। ऐसा कर पाने के लिए अगले वित्त वर्ष में लगभग 100 वंदे भारत ट्रेनों का उत्पादन होने की उम्मीद है।अधिकारियों ने कहा कि लेकिन 300-400 की घोषणा का मतलब होगा कि उत्पादन सुविधाएं बाद के वर्षों में और अधिक बढाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल इन आधुनिक ट्रेनों को लंबी घरेलू यात्राओं के लिए सुसज्जित करने में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें निर्यात करने का अवसर भी मिलेगा।
इससे भारत उन आठ देशों की बराबरी पर आ जाएगा, जिनके पास 180 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक की गति वाली ट्रेन बनाने की क्षमता है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत वित्त वर्ष 26 तक वंदे भारत ट्रेनों का निर्यात शुरू कर देगा। गौरतलब है कि रेलवे की रेलवे की निर्यात शाखा- रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस लिमिटेड या राइट्स (Rite)- के साथ बांग्लादेश जैसे कुछ पड़ोसी देशों ने पूछताछ की है और तकनीक के इस्तेमाल में रुचि दिखाई है।
इस बीच, राजस्थान में जोधपुर के पास ब्रॉड और स्टैंडर्ड दोनों तरह की वंदे भारत ट्रेनों के लिए टेस्टिंग ट्रैक बिछाए जा रहे हैं। 220 किलोमीटर प्रति घंटे तक की अधिकतम गति के लिए ट्रेनों का टेस्ट किया जाएगा। वैष्णव ने कहा कि यह यूरोप, लैटिन अमेरिका और पूर्वी एशिया के बाजारों के लिए आदर्श परीक्षण आधार मुहैया कराएगा, जो कम कीमतों पर अत्याधुनिक ट्रेनें खरीदने में बड़ी रुचि रखते हैं।
मंत्री ने कहा कि इन ट्रेनों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए रेलवे उत्पादन सुविधाओं को भी बढ़ाया जा रहा है। इन ट्रेनों के उत्पादन के लिए नई सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हम एक साल में 10-12 लाख किलोमीटर के लिए कम से कम 100 वंदे भारत ट्रेनें चलाकर दुनिया को तकनीक दिखाना चाहते हैं। यह टेक्नोलॉजी की विश्वसनीयता को साबित करता है और वैश्विक बाजार में कम्पीट करने में मदद करता है।” इस बीच,स्टैंडर्ड चेयर-कार के अलावा जनवरी-मार्च 2024 में ट्रेन का एक स्लीपर वर्जन भी लॉन्च करने की तैयारी है।
रेलवे अगले 25 वर्षों में लगभग एक लाख किलोमीटर तक नई ट्रेन पटरियों को जोड़ने की भी सोच रहा है जो इसे अपने नेटवर्क पर ट्रेनों की औसत गति बढ़ाने में भी मदद करेगा। यह 12% की वार्षिक वृद्धि दर पर 2030 तक 3,000 मिलियन टन कार्गो की आवाजाही को भी टारगेट कर रहा है।