बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS) का ई-रिक्शा के जरिये एक छोर से दूसरे छोर तक कनेक्टिविटी में सुधार वाला प्रोजेक्ट वहीं है, जहां जुलाई 2022 में था। जुलाई 2021 से पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर 60 ई-रिक्शा को सर्विस में शामिल किया गया था, लेकिन जुलाई 2022 में परियोजना समाप्त होने के बाद वे वाहन उपलब्ध नहीं हैं। जानकारों ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट को अंजाम देने वाली कंपनी का रिक्वेस्ट प्रपोजल (RFP) विचाराधीन है। अहमदाबाद नगर निगम यानी एएमसी के इस पर निर्णय लेने के बाद ही सेवा फिर से शुरू होने की संभावना है।
2018 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाई थी। उसके बाद तीन कंपनियों ने इसके लिए बोली लगाई थी। प्रोजेक्ट के तहत बोली लगाने वाली कंपनी निवेश से लेकर ऑटो, ड्राइवरों और वाहन के रखरखाव के लिए जिम्मेदार होती। हालांकि, बोली जीतने वाली इन कंपनियों में से दो की बैंक गारंटी जब्त कर ली गई थी। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट में सीएनजी और ई-रिक्शा चालकों के बीच कम्पीटीशन और झड़पें भी बहुत देखी गईं।
अहमदाबाद के रहने वाले आईआईटी-बॉम्बे के ग्रेजुएट व्रज शाह ने एएमसी अधिकारियों से संपर्क किया। वह ओरिजनल बोली लगाने वालों में से एक थे, लेकिन उनका चयन नहीं किया गया था। वह इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत भावुक हैं। यहां तक कि इसके लिए उन्होंने अमेरिका में अपना ठिकाना भी छोड़ दिया। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर शिवरंजनी से कॉर्पोरेट रोड तक ई-रिक्शा चलाने की शुरुआत की। बाद में प्रत्येक रूट पर छह ई-रिक्शा के साथ और भी रूट जोड़े गए। इससे कंपनी को बढ़िया लाभ मिला। 29 वर्षीय शाह ने कहा कि परियोजना पीपीपी मॉडल के तहत चलाई गई थी। ई-रिक्शा शिवरंजनी, नेहरूनगर, हिम्मतलाल पार्क, अंधाजन मंडल और मेमनगर स्टेशनों पर चल रहे थे। उन्होंने कहा कि सेवा के लिए एक ऐप की वजह से लोगों को एक ही समय में ऑटो और बीआरटीएस टिकट बुक करने में मदद मिलेगी।
दिलचस्प बात यह है कि डिपो में 60 ई-रिक्शा में से केवल 25 ही काम करने की स्थिति में हैं, क्योंकि बाकी को रखरखाव की जरूरत है। जब सेवा उपलब्ध थी, तो अधिकांश ग्राहक इसे साझा सवारी (shared ride) के रूप में उपयोग करते थे।
शाह ने कहा कि सीएनजी की तुलना में ई-रिक्शा सस्ते हैं। एनर्जी इंजीनियर शाह ने कहा कि परियोजना पर्यावरण के लिए अच्छी है, गरीब-लाचार चालकों की मदद करती है। साथ ही उत्सर्जन (emission) और ट्रैफिक के मुद्दों को भी हल कर सकती है। यहां तक कि 60 ई-रिक्शा भी प्रति माह 75 टन CO2 की बचत करते हैं।
बीआरटीएस के जनरल मैनेजर विशाल खानमा ने कहा कि वे 300 ई-रिक्शा रखने के लिए आरएफपी का मूल्यांकन कर रहे हैं, जिससे एक से दूसरे छोर को जोड़ने में मदद मिल सके।
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