गुजरात में अधिकारियों ने घूसखोरी नहीं छोड़ी, बल्कि घूस को EMI के रूप में चुकाने का लोगों को समय दे दिया.
गुजरात के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने रिश्वत लेने का नया तरीका अपनाया जिसके बारे में सुनकर हर कोई हैरान है। इस तरीके को सुनकर आपको भी हंसी छूट जाएगी। आपने ईएमआई पर सामान लेने की बात तो सुनी होगी। लेकिन क्या कभी ईएमआई पर रिश्वत लेने के बारे में सुना है। गुजरात में कुछ ऐसे ही मामले सामने आया है। जहां लोगों पर पैसों का ज्यादा बोझ न पड़े इसलिए अधिकारी किस्तों में रिश्वत लेते हैं।
ये अधिकारी मासिक किस्तों में पीड़ितों से रिश्वत के पैसे ले रहे हैं। गुजरात में ईएमआई के रूप में रिश्वत लेने के कई मामे सामने आए हैं। गुजरात में इस साल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा ऐसे दस मामले दर्ज किये गए हैं।
11 किस्तों में ली रिश्वत
मार्च में एक मामले में जीएसटी फर्जी बिलिंग घोटाले में 21 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी। यह रकम 2-2 लाख रुपये की दस किस्तों और 1 लाख रुपये की एक किस्त में बांटी गई थी। यह भारी भरकम एकमुश्त भुगतान से बचने के लिए किया गया था।
खेत समतल करने के लिए रिश्वत
4 अप्रैल को सूरत के एक उप सरपंच ने एक ग्रामीण के खेत को समतल करने के लिए 85,000 रुपये की रिश्वत मांगी। ग्रामीण की वित्तीय स्थिति को देखते हुए, अधिकारी ने EMI का विकल्प सुझाया। उसने 35,000 रुपये पहले और बाकी तीन बराबर किश्तों में देने के लिए कहा।
ये मामले भी आए सामने
हाल ही में दो पुलिस अधिकारी साबरकांठा निवासी से 4 लाख रुपए लेकर फरार हो गए। यह रकम उनके द्वारा मांगी गई 10 लाख रुपए की रिश्वत की पहली किस्त थी। एक अन्य घटना में, एक साइबर अपराध पुलिस अधिकारी ने 10 लाख रुपये की रिश्वत को चार मासिक किश्तों में बांटने पर सहमति व्यक्त की।
एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति घर, कार या कोई कीमती चीज खरीदने में असमर्थ है और उसे पूरा भुगतान नहीं कर पाता है, तो वह ईएमआई पर लोन ले लेता है। भ्रष्ट अधिकारी अब रिश्वत के मामले में भी यही तरीका अपना रहे हैं। एसीबी के निदेशक और डीजीपी (कानून व्यवस्था) शमशेर सिंह के अनुसार, यह समस्या का एक छोटा सा हिस्सा हो सकता है। उन्होंने कहा कि एजेंसी ने केवल उन मामलों की रिपोर्ट की है, जहां व्यक्ति प्रारंभिक भुगतान करने के बाद उनसे संपर्क करते हैं।
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