मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि दो विकलांग बच्चों के माता-पिता तीसरा, सामान्य बच्चा गोद लेना चाहते हैं, तो इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है। कोर्ट ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) को मुंबई के एक दंपति की अर्जी पर छह सप्ताह के भीतर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की पीठ ने CARA के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें 2023 में दंपति की गोद लेने की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी गई थी कि उनके पहले से दो जैविक बच्चे हैं। दंपति ने कोर्ट को बताया कि उनके दोनों बच्चे, जो क्रमशः 2014 और 2019 में जन्मे थे, ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम’ (PwD Act) के तहत आते हैं।
कोर्ट ने टिप्पणी की, “अगर वे अपने परिवार में एक नया सदस्य जोड़ने की आशा और उत्साह के साथ जीवन को और अधिक सार्थक बनाना चाहते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।”
CARA ने 2023 में जारी एक कार्यकारी आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि जिन दंपतियों के पहले से दो बच्चे हैं, वे सामान्य बच्चा गोद नहीं ले सकते। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि 2022 में बनाए गए दत्तक ग्रहण नियमों में “विशेष परिस्थितियों” में नियमों में छूट देने का प्रावधान है, और इस मामले में उन नियमों को समग्र रूप से देखा जाना चाहिए था।
पीठ ने आगे कहा, “कानूनी प्रावधानों का ऐसा अर्थ नहीं निकाला जा सकता कि दो विकलांग बच्चों वाले दंपति को सामान्य बच्चा गोद लेने से वंचित किया जाए। मानव जीवन स्वयं अपेक्षाओं, संघर्षों और आशाओं का मिश्रण है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चों से गहरे भावनात्मक रिश्ते, जीवन को सार्थकता प्रदान करते हैं।
दंपति ने 10 सितंबर 2022 को CARA के पोर्टल ‘Child Adoption Resource Information and Guidance System (CARINGS)’ पर गोद लेने के लिए पंजीकरण कराया था। उस समय 2017 के दत्तक ग्रहण नियम प्रभावी थे, जिनके तहत आवेदन के 30 दिनों के भीतर होम स्टडी रिपोर्ट (HSR) तैयार की जानी थी — जो समय पर पूरी हो गई थी।
लेकिन 22 सितंबर 2022 को नए नियम लागू हुए, जिनमें कहा गया कि जिन दंपतियों के दो जैविक बच्चे हैं, उन्हें केवल ‘विशेष आवश्यकताओं वाले’ या ‘कठिन परिस्थितियों में गोद लिए जाने वाले’ बच्चों के लिए ही योग्य माना जाएगा। मार्च 2023 में CARA ने दंपति की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि वे केवल ‘तत्काल गोद लेने योग्य’ या ‘विशेष आवश्यकता वाले’ बच्चों के लिए पात्र हैं।
सितंबर 2024 में दंपति ने CARA से विशेष छूट की मांग की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने 2025 में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने पाया कि दंपति की अर्जी को खारिज कर दिया गया था और कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया। कोर्ट ने कहा कि मामला “special consideration” का पात्र है और इसे mechanical application of the 2022 के नियमों का कठोरता से पालन करके खारिज नहीं किया जाना चाहिए था।
यह फैसला भविष्य में ऐसे मामलों में दिशा-निर्देश के रूप में कार्य कर सकता है, जहां विकलांग बच्चों के माता-पिता सामान्य बच्चा गोद लेना चाहते हैं।
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