मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा है कि 2016 के नबाम रेबिया वाले मामले के फैसले को रेफरेंस की आवश्यकता है या नहीं, इस पर 21 फरवरी को विचार किया जाएगा। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने की जरूरत नहीं है। बेंच ने कहा, “अब इसकी मेरिट पर सुनवाई मंगलवार को सुबह 10:30 बजे होगी।” बेंच में एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं।
शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वकीलों कपिल सिब्बल और एएम सिंघवी ने नबाम रेबिया के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए मामलों को सात जजों की बेंच को सौंपने की मांग की थी। पार्टी के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे और एनके कौल ने बड़ी बेंच को भेजने का विरोध किया था। महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस मामले को बड़ी बेंच को सौंपने के किसी भी कदम का विरोध किया था।
बता दें कि 2016 में पांच जजों की संविधान पीठ ने नबाम रेबिया के अरुणाचल प्रदेश वाले मामले में फैसला सुनाया था कि अगर विधानसभा अध्यक्ष को हटाने की मांग वाली कोई कोई याचिका सदन में पहले से पेंडिंग है, तो वह विधायकों की अयोग्यता पर विचार नहीं कर सकता। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे गुट ने शिंदे गुट में जाने वाले 16 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। इन विधायकों की बगावत के बाद एकनाथ शिंदे ने भाजपा की मदद से महाराष्ट्र में नई सरकार बनाई हुई है।
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