जेनीबेन ठाकोर ने भाजपा पर एक ऐसे उम्मीदवार को खड़ा करने का आरोप लगाया है, जिसका “समुदाय या चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है।”
गुजरात के बनासकांठा जिले के वाव विधानसभा क्षेत्र के भाभर तालुका में कांग्रेस विधायक जेनीबेन ठाकोर (46) का अपना नाम है। वहां वह अपनी एसयूवी के सनरूफ से लेकर मोटरसाइकिल रैली में सवार होकर ग्रामीणों का अभिवादन करने निकलती हैं।
गुरुवार की सुबह मीरा गांव में महिलाओं की भीड़ के के सामने ठाकोर कहती हैं, “मैं आज अपने मायके में हूं।”
लोगों को इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि कार्यक्रम में अन्य नेताओं को क्या कहना था, अचानक खड़े हो गए और सुनने के लिए दौड़ पड़े। यह जानने के लिए उनकी “बेटी और बहन” को क्या कहना था। फायरब्रांड कांग्रेस विधायक गैलरी आकर कहती हैं, “अपनी बेटी को वोट दो। मुझे अपने गांव में भाजपा या कांग्रेस के बारे में भाषण देने की जरूरत नहीं है। मैं जीतूं या हारूं, लेकिन मैं आपके सुख-दुख में हमेशा आपके साथ हूं। गांव में एक भी परिवार ऐसा नहीं है, जिससे मैं कोविड महामारी के दौरान खुद जाकर नहीं मिली हूं।”
जेनीबेन का स्वागत करने वाले 80 वर्षीय ग्रामीण चेलाबा ठाकोर कहते हैं, “वह हमारी बेटी है, जिसने हमें गौरवान्वित किया है।” कक्षा 9 की पढ़ाई छोड़ चुकी हैं 15 साल की रेखा ठाकोर को याद है कि कुछ महीने पहले उन्होंने सरकारी हाई स्कूल के उद्घाटन के समय जेनीबेन को देखा था।
विधायक को विधानसभा सत्रों के दौरान कुछ मुखर कांग्रेस विधायकों में से एक होने और महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर आवाज उठाने से नहीं कतराने के लिए जाना जाता है। वह 2012 में वाव से भाजपा के शंकर चौधरी से 72,000 से अधिक वोटों से हार गई थीं। लेकिन पांच साल बाद उन्हें ही 6,600 से अधिक वोटों से हरा दिया। इस बार चौधरी को पड़ोसी थराद विधानसभा क्षेत्र में भेज दिया गया है। सत्ता पक्ष ने उनकी जगह स्वरूपजी ठाकोर को चुनाव मैदान में उतारा है।
जेनीबेन चौथी बार विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं। ग्रामीणों से यह पक्का करने की अपील करती हैं कि ठाकोर वोट विभाजित न हों। वह कहती हैं, “जब एक ही समुदाय के दो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हों, तो सावधान रहें कि समुदाय (ठाकोर) के वोट विभाजित न हों। आप समाज या समुदाय के दबाव में परिवार के एक उम्मीदवार को पांच वोट और दूसरे को तीन वोट देने के लिए सहमत हो सकते हैं। मैं आपसे अनुरोध कर रही हूं कि आप इस जाल में न पड़ें।”
गांव-गांव घूम कर कांग्रेस नेता इसी तरह की अपील करती हैं। जेनीबेन कहती हैं, “2012 में भी ऐसा ही हुआ था। चंदूलाल (ठक्कर) ने एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के टिकट पर चुनाव लड़ा और 30,000 से अधिक मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। वह जीत तो नहीं पाए, लेकिन समुदाय के 20,000 वोट बर्बाद कर दिए और 10,000 वोट बीजेपी को चले गए। अगर ये वोट मेरे पास गए होते, तो मैं नहीं हारती।”
भाजपा पर ठाकोर वोटों को विभाजित करने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए वह कहती हैं, “भाजपा के पास हमारे समुदाय के कई नेता थे, लेकिन (स्वरूपजी ठाकोर को) रातोंरात टिकट दिया गया। उनका भाजपा या चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है। वह केवल वोटों को बांटने के लिए हैं।
गुजरात राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास (Co-operative Agri and Rural Development Bank) बैंक के सदस्य केसरदन पी गढ़वी भी जेनीबेन के साथ भाभर में प्रचार अभियान में शामिल हुए। वह कहते हैं कि हमें समुदाय के वोटों को दो भागों में नहीं बांटना चाहिए। हमें उन्हें दिखाना चाहिए कि ठाकोर इतने मूर्ख नहीं हैं।
Also Read: ‘जख्म, जो कभी नहीं भरेगा’: मुंबई में 4 दिनों का आतंक, 26/11 का हमला कैसे हुआ और फिर क्या हुआ