कुछ समय पहले देश को हिला देने वाले गेन बिटकॉइन पोंजी घोटाला अभी पूरी तरह से खुला नहीं है। बताया जा रहा है कि यह घोटाला उम्मीद से अधिक बड़ा है। इतना बड़ा कि एक लाख से अधिक लोगों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का चूना लग सकता है। गेन बिटकॉइन घोटाले में कुल 40 मामले दर्ज हैं। इनमें से 13 मामले महाराष्ट्र में दर्ज हैं।
इस घोटाले के सूत्रधार अमित भारद्वाज हैं। उन्होंने 3,85,000 से 6,00,000 के बीच बिटकॉइन जमा कर लिए थे। इनकी कुल कीमत एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। यह रकम और भी अधिक हो सकती है। इसलिए कि पिछले साल नवंबर में बिटकॉइन की कीमत सर्वकालिक उच्चतम स्तर 68,000 डॉलर पर थीं, जबकि अब इनकी कीमत करीब 21,000 डॉलर है।
दिल का दौरा पड़ जाने से अमित भारद्वाज का निधन इस साल की शुरूआत में हो गया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पुणे पुलिस ने इस मामले में 60 हजार से अधिक यूजर आईडी और ईमेल आईडी को ट्रैक किया है। अधिकतर पोंजी स्कैम की तरह गेन बिटकॉइन का ढांचा भी पिरामिड यानी बहु स्तरीय विपणन योजना की तरह था। इसमें अमित भारद्वाज शीर्ष पर बैठे थे, जबकि उनके मातहत भारत और विदेशों में कारोबार कर रहे थे।
अमित भारद्वाज ने लोगों को झांसा दिया था कि वे बिटकॉइन के रूप में जितना निवेश करेंगे, उन्हें प्रति माह दस प्रतिशत की दर से 18 माह तक उस पर रिटर्न दिया जाएगा। अमित भारद्वाज ने यह रिटर्न बिटकॉइन में ही देने का वादा किया था। निवेशक रिटर्न के लोभ में लोग अपना बिटकॉइन दे देते थे। यह पूरा मॉडल ही गलत था। निवेशकों को जब तक इसका भान होता, तब तक वे निवेश कर चुके होते थे।
निवेशकों को जब रिटर्न नहीं मिलने लगा तो वे इस मामले को सोशल मीडिया आदि पर उठाने लगे। अमित भारद्वाज ने तब उन्हें एमकैप के रूप में रिटर्न देने की बात की। लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी किसी काम की नहीं थी। यह क्रिप्टोकरेंसी कहीं सूचीबद्ध ही नहीं थी। यह भारद्वाज बंधुओं के अपने एक्सचेंज एमकैप एक्सचेंज और सी-सेक्स पर सूचीबद्ध था। यह एक्सचेंज एमकैप को बिटकॉइन में बदलने का अवसर भी नहीं दे रहा था।
नजरें अजय भारद्वाज पर
ईडी ने इस माह की शुरूआत में इस संबंध में दिल्ली सहित छह जगहों पर छापे मारे। ईडी ने कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और दस्तावेज जब्त किए थे। अभी सबकी आंखें अमित भारद्वाज के भाई अजय भारद्वाज पर टिकी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में गेन बिटकॉइन घोटाले के आरोपी अजय भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई की थी। उसने आदेश दिया था कि वह अपने क्रिप्टो वॉलेट का यूजरनेम और पासवर्ड ईडी के साथ साझा करें।
ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ता के भाई की मौत हो गई है। ऐसे में अजय के पास ही यूजरनेम और पासवर्ड हैं, जिसे जांच अधिकारियों को बताया जाना जरूरी है। ईडी की ओर से मामले की पैरवी कर रही अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच से कहा था कि यह मामला क्रिप्टोकरेंसी की वैधानिकता से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह पोंजी स्कैम है।
दरअसल इससे पहले 25 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मौखिक रूप से भाटी से कहा था कि वह क्रिप्टोकरेंसी की वैधानिकता पर रुख स्पष्ट करें। इसके बाद अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने अजय भारद्वाज को यूजरनेम और पासवर्ड न बताने को लेकर जमकर फटकार लगाई थी।
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