ऐसे समय में जब सुप्रीम कोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, तब राज्यसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया है। इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता में इसके लिए एक चयन समिति बनाने की बात कही गई है। इसे केरल के सीपीआई (एम) सदस्य जॉन ब्रिटास ने शुक्रवार को पेश किया। संविधान (संशोधन) बिल- 2022 में उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता, तटस्थता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की बात कही है। साथ ही चुनाव आयोग के लिए एक स्थायी स्वतंत्र सचिवालय (secretariat) बनाने की बात भी कही गई है।
ब्रिटास ने बताया कि नवंबर में चुनाव आयुक्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले उन्होंने लगभग दो महीने पहले राज्यसभा सचिवालय को बिल जमा किया था। 22 नवंबर को सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश को लेकर एक ऐसी समिति बनाई जा सकती है, जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का सबसे कम दखल देने वाला तरीका हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने तब सरकार से नियुक्ति प्रक्रिया का पूरा ब्योरा भी मांगा था। विशेष रूप से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइलें, जो 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (voluntary retirement) लेने तक आईएएस अधिकारी थे। उन्हें अगले ही दिन राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया था। .
ब्रिटास ने कहा कि यह एक संयोग है कि उनके बिल में चुनाव आयोग की नियुक्ति के लिए सीजेआई की अध्यक्षता में ही समिति बनाने और लोकसभा अध्यक्ष और विपक्ष के नेता को शामिल करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि इस मामले में यह सबसे कारगर तरीका हो सकता है।
ब्रिटास ने कहा कि बिल में मुख्य चुनाव आयोग (ईसीआई) के लिए एक स्वतंत्र सचिवालय बनाने का प्रस्ताव है, जो वर्तमान प्रणाली के विपरीत है, जहां नौकरशाह को चुनाव पैनल में तैनात किया जाता है। उदाहरण के लिए, जिस तरह लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय में अधिकारियों की भर्ती का तरीका अलग होता है, उसी तरह ईसीआई सचिवालय का भी अपना सिस्टम हो सकता है। उन्होंने कहा कि जिन अधिकारियों ने जिला स्तर पर काम किया है, रिटायर जज और कानूनी क्षेत्र से अन्य लोगों को ईसीआई सचिवालय के लिए उपयुक्त माना जा सकता है।
बिल में संविधान के अनुच्छेद (Article) 324 के खंड (Clause) 2 में संशोधन का प्रस्ताव है, जो सीईसी और ईसी की नियुक्ति से संबंधित है। राष्ट्रपति द्वारा की जा रही नियुक्तियों के बजाय बिल में संबंधित खंड में “एक समिति की सिफारिशों के अनुसार” पंक्ति को जोड़ने का प्रस्ताव है, जिसमें सीजेआई अध्यक्ष, लोकसभा अध्यक्ष सह-अध्यक्ष और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल हों। बिल में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि जब एक सीईसी पद छोड़ता है, तो सबसे सीनियर ईसी को सीईसी नियुक्त किया जाएगा, जब तक कि समिति उसे अयोग्य नहीं पाती है। अभी तक परंपरा है कि सीनियर ईसी को सीईसी के रूप में प्रमोट किया जाता है, लेकिन यह एक संवैधानिक व्यवस्था नहीं है।
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