यूं तो , गुजरात में विभिन्न शैक्षिक और प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार या भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। लेकिन भावनगर में हाल ही में सामने आए” डमीकांड ” घोटाले ने गुजरात के शिक्षा जगत को भी शर्मसार कर दिया है भयानक भ्रष्टाचार और पैसे के खेल ने भर्ती परीक्षाओं में घुसपैठ कर ली है और गुजरात को बहुत बुरी स्थिति में डाल दिया है। डमी कांड की घटना यह भी साबित करती है कि विकसित गुजरात में अब प्रतियोगी परीक्षाओं में पूरी पारदर्शिता नहीं है, कई जगहों पर खामियां हैं और इसका फायदा भ्रष्ट लोग उठा रहे हैं.
बात भावेणा की है। इधर भावनगर एलसीबी पीआई ने सूचना के आधार पर पिछले एक दशक में विभिन्न परीक्षाओं में डमी उम्मीदवारों को बैठाकर पैसा बनाने के घोटाला को उजागर किया है । पुलिस ने दिहोर के शरदकुमार भानुशंकर पनोत को एक गुप्त सूचना के आधार पर गिरफ्तार किया, जिसमें खुलासा हुआ कि उसने 2012 से 2023 तक विभिन्न परीक्षाओं में एक से अधिक छात्रों को डमी बनाया था। इसको लेकर एलसीबी प्रभारी पीआई सिंगारखिया ने 36 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और सभी व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है कि उन्होंने कंप्यूटर के माध्यम से आधार कार्ड और हॉल टिकट में फोटो बदलकर पूरे कांड को अंजाम पहुंचाया और सरकार को नुकसान पहुंचाया है. डमी कांड के संबंध में भावनगर एलसीबीए द्वारा दायर शिकायत से, एक स्पष्ट तस्वीर उभरती है कि भावेणा इस कांड का एपी सेंटर है, क्योंकि शिकायत में नामित 36 अभियुक्तों में से 33 अभियुक्त भावनगर जिले के हैं।
डमी कांड को लेकर आप नेता युवराज सिंह पर गंभीर आरोप लगे थे
पुलिस पिछले तीन दिनों से भावनगर में डमी कांड की जांच कर रही थी। वहीं आप नेता युवराज सिंह पर नाम ना लेने के लिए पैसे लेने और डमी कांड में गड़बड़ी करने वालों पर पर्दा डालने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगाया है. युवराज सिंह के पुराने दोस्त बिपिन त्रिवेदी ने उन पर डमी कांड में नाम ना लेने के लिए रुपये लेने का आरोप लगाया है. बिपिन त्रिवेदी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह कह रहे हैं कि डमी कांड में नाम न आने के लिए युवराज सिंह ने 55 लाख रुपए लिए हैं। हालांकि, वाइब्स ऑफ इंडिया इस वीडियो का समर्थन नहीं करता है। इसके अलावा भावनगर में डमी प्रत्याशियों में आम आदमी पार्टी के नेता की संलिप्तता सामने आई है।
आप नेता की संलिप्तता?
इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता की भी संलिप्तता सामने आई है। आम आदमी पार्टी के नेता रमणीक जानी के खिलाफ भी पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है। रमणीक जानी सीहोर के रबारीका के रहने वाले हैं और आम आदमी पार्टी के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. फिलहाल ज्ञात हुआ है कि रमणीक जानी भूमिगत हो गया है और पुलिस उसकी तलाश में जुट गई है.
गिरफ्तार किए गए 4 आरोपियों में 3 सरकारी कर्मचारी हैं
डमी कांड में हैरान करने वाली बात यह है कि गिरफ्तार चार आरोपियों में तीन सरकारी कर्मचारी हैं. इससे कोई भी यह समझ सकता है कि गुजरात में सरकारी भर्तियां और प्रतियोगी परीक्षाएं कैसे होती होंगी भर्ती कौन और कैसे करता होगा । पुलिस ने डमी मामले में शरद कुमार पनोत, प्रकाश उर्फ पीके दवे, प्रदीप और बलदेव को गिरफ्तार किया है. उसने विभिन्न परीक्षाओं में डमी छात्रों को बैठाकर वर्ष 2012 से 2023 तक पूरे घोटाले को अंजाम दिया।
हैरानी की बात यह है कि इन चार मुख्य आरोपियों में तीन सरकारी कर्मचारी हैं। आरोपी शरद पनोत कोबडी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक है। एक अन्य आरोपी प्रकाश दवे तलाजा बीआरसी स्कूल में काम करता है। तीसरा आरोपी प्रदीप बारैया जेसर कोर्ट में क्लर्क के तौर पर काम करता है, जबकि बलदेव राठौर डाक्यूमेंट एडिटिंग का काम कर रहा था। ये सभी लोग गुजरात में आयोजित होने वाले शैक्षिक बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं में डमी छात्रों को बैठाकर लाखों रुपये कमा रहे थे. उनकी योजना काफी सरल थी। उनके एजेंट पूरे गुजरात में फैले हुए थे। अगर कोई सरकारी परीक्षा पास करना चाहता है, तो वे उससे परीक्षा के स्तर और विभाग के लिहाज से 10 लाख से 50 लाख तक रुपये लेते थे।
फर्जी पहचान पत्र बनाने में शरद, प्रकाश और बलदेव को खास महारत हासिल थी। इसके लिए वे पेड कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते थे। साथ ही पूरे गुजरात में उसका नेटवर्क था। पिछले 11 सालों में उन्होंने मेधावी छात्रों का एक “बैंक” भी बनाया था। जिसके लिए वे प्रत्येक युवक को डमी छात्र के रूप में परीक्षा में बैठकर बदले में उन्हें 25,000 रुपये देते थे। मिलन बारिया का उदाहरण लें। उसने अन्य लोगों के नाम पर 11 अलग-अलग परीक्षाएं दी हैं। आज इन 11 में से दो न्यायपालिका में कार्यरत हैं। बताया जा रहा है कि 2012 से 2023 तक इन लोगों ने डमी छात्रों के जरिए कई लोगों की परीक्षा कराकर लाखों रुपए कमाए। गुजरात में सरकारी भर्ती परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार के स्तर की कल्पना कीजिए!
इस मामले में बीजेपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि, ”50 लाख रुपये कोई बड़ी रकम नहीं है. अगर किसी उम्मीदवार को अच्छी पोस्टिंग मिलती है तो वह एक साल में इतने रुपये वापस पा सकता है। भ्रष्टाचार की इस गति ने गुजरात में सरकारी नौकरियों को एक बहुत ही आकर्षक प्रस्ताव बना दिया है। पिछले एक साल में 21 से ज्यादा परीक्षा प्रश्नपत्र लीक हो चुके हैं और अब इस घोटाले का पर्दाफाश हो गया है.
भावनगर क्यों?
डमीकांड के लिए भावनगर एक बहुत ही स्मार्ट विकल्प है। इसके पीछे का आधार भी समझने लायक है . पहली बात तो यह है कि यह घोटाला करीब 11 साल से चल रहा था। भाजपा के वरिष्ठ नेता जीतू वाघाणी भावनगर के रहने वाले हैं। वह एक शक्तिशाली राजनेता हैं और 2016 से 2021 तक गुजरात भाजपा के अध्यक्ष थे। बाद में उन्हें गुजरात का शिक्षा मंत्री भी बनाया गया। इसी बीच उनका पुत्र मीत वाघाणी यूनिवर्सिटी की परीक्षा में नक़ल करते पकड़ा गया। उसके पास से 27 पर्चियां मिलीं और उसे परीक्षा से निकाल दिया गया। उनके पिता ने शुरू में कॉलेज के प्रिंसिपल को चुप कराने की कोशिश की और अपने बेटे का बचाव किया। हालांकि, प्रिंसिपल ने अपने दावे को साबित करने के लिए सीसीटीवी फुटेज रिकॉर्ड किए थे। वाइब्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, प्रिंसिपल ने कहा, “हर कोई गुजरात में शिक्षा के स्तर के बारे में शिकायत करता है। तो देखिए, उसका कारण यह है।
यहां यह याद रखने वाली बात है कि इससे पहले उसी जीतू वाघाणी के हवाले से दिए गए एक बयान ने भारी हंगामा खड़ा कर दिया था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री और भाजपा अध्यक्ष ने कथित बयान में कहा, “जो लोग गुजरात की शिक्षा प्रणाली को पसंद नहीं करते हैं, जहां वे रहते हैं और बड़े हुए हैं उन्हें उस राज्य की आलोचना करने के बदले उन्हें उस राज्य और देश में चले जाना चाहिए जो उनको पसंद आता हो।
क्या कहती है पुलिस?
भावनगर स्थानीय अपराध शाखा के प्रभारी पुलिस निरीक्षक बीएच शिंगरखिया ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनकी स्थानीय अपराध शाखा को इस सप्ताह की शुरुआत में 10 अप्रैल को विशिष्ट सूचना मिली थी कि प्रमुख सूत्राधार शरद पनोत, प्रकाश कुमार उर्फ पीके दवे और बलदेव राठौर सरकारी नौकरी करने के इच्छुक उम्मीदवारों को डमी परीक्षार्थी उपलब्ध कराकर उनकी जगह परीक्षा दिलाकर मोटी रकम वसूलते थे। उन्होंने परीक्षा के आधार पर उम्मीदवारों के हॉल टिकट और आधार कार्ड की तस्वीर से छेड़छाड़ करा असली परीक्षार्थी की जगह डमी उम्मीदवारों को बैठाते थे।
पुलिस के पास इस बात के सबूत हैं कि कैसे इस मास्टरमाइंड तिकड़ी ने सेनेटरी इंस्पेक्टर, फॉरेस्ट गार्ड, लैब टेक्नीशियन, कोर्ट क्लर्क, बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं सहित परीक्षाओं के लिए डमी उम्मीदवारों का इस्तेमाल किया। 19 वर्षीय मिलन बरैया ने कम से कम सात परीक्षाएं लिखने और पास करने की बात स्वीकार की है। एक अन्य डमी उम्मीदवार है जिसने 11 परीक्षा पास की है। मिलन ने कहा कि वह अवयस्क था और ये परीक्षाएं नहीं दे सकता था। डमी होने के नाते उसे परीक्षा का अभ्यास करना और 25,000 रुपये कमाने को मजबूर किया । हाल ही में इन तीनों मास्टरमाइंडों ने 9 अप्रैल को हुई जूनियर क्लर्क परीक्षा के लिए भी दो डमी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन आप नेता युवराज सिंह जडेजा ने परीक्षा में गड़बड़ी और डमी उम्मीदवारों को खड़ा करने का आरोप लगाया जिसके बाद दोनों डमी उम्मीदवारों को घर लौटने को कह दिया गया
पुलिस ने शरद पनोट के लैपटॉप से 80 फर्जी परीक्षा हॉल टिकट जब्त किए हैं। एक अन्य आरोपी, प्रदीप बरैया, जो भावनगर के पास जेर शहर में एक अदालत में क्लर्क के रूप में काम करता है, ने खुलासा किया कि उसने 2022 में आयोजित स्वच्छता निरीक्षक परीक्षा में नौकरी के इच्छुक दो उम्मीदवारों अभिषेक पांड्या और चंदू पांड्या के लिए डमी उम्मीदवार बैठाये थे। भावनगर स्थानीय अपराध शाखा के प्रभारी पुलिस निरीक्षक बीएच शिंगारखिया ने आगे कहा कि अभिषेक और चंदू ने प्रदीप बरैया को 12 लाख रुपये का भुगतान किया गया। फिलहाल ये दोनों सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं।
छात्र नेता युवराज सिंह जाडेजा गुजरात सरकार की परीक्षा में डमी उम्मीदवारों के इस्तेमाल के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले व्यक्ति थे। वह 2021 में गुजरात विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे । अब पुलिस का कहना है कि युवराज ने काफी चुनिंदा जानकारियां सार्वजनिक की थीं. पुलिस का आरोप है कि वह खुद डमी घोटाले में शामिल है। इस मामले को लेकर वाइब्स ऑफ इंडिया की ओर से युवराज सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए है। गुजरात में, मेहसाणा पुलिस ने भी राजकोट, वडोदरा, मेहसाणा, अहमदाबाद, नवसारी, नडियाद और आनंद में सात केंद्रों पर आईईएलटीएस (अंतर्राष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा परीक्षण प्रणाली) परीक्षा में अनियमितताओं की जांच कर रही है।
पुलिस अधिकारियों ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनके पास सबूत हैं कि कम से कम 965 छात्रों ने इस साल 14 लाख रुपये का भुगतान करके धोखाधड़ी से उच्च आईईएलटीएस स्कोर प्राप्त किए। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये सभी अब अमेरिका, कनाडा या यूनाइटेड किंगडम में हैं। पुलिस ने कहा कि कदाचार का पहला मामला अप्रैल में सामने आया था जब नडियाद में एक छात्र को डमी परीक्षा देते हुए पकड़ा गया था। बाद में पता चला कि नवसारी और मेहसाणा में दो केंद्रों के सीसीटीवी डमी उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए बंद कर दिए गए थे.
डमी कांड राज्य के शैक्षणिक स्तर और व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है
भावनगर का यह डमी कांड गुजरात की शिक्षा व्यवस्था से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं के पूरे ढांचे पर कई सवाल खड़े करता है। पेपरों के लगातार फूटने से जहां औसत छात्र और अभिभावकों का प्रतियोगी परीक्षाओं से विश्वास उठ गया है, वहीं डमी कांड जैसे मामले उनके अविश्वास को और मजबूत करते हैं। गुजरात में 7 मई को तलाटी भर्ती परीक्षा होने जा रही है जिसमें 17.10 लाख उम्मीदवारों ने फॉर्म भरा है. ऐसे में अगर पिछले दरवाजे से कोई घोटाला चलाकर या पैसे के बल पर इस तरह की अनियमिता होती है तो गुजरात के आम युवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षा पास करना और मेहनत, ईमानदारी से नौकरी पाना एक सपना ही बन जाएगा. ऐसे में सब कुछ इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर निर्भर करता है।
गुजरात का अब तक का सबसे सफल छात्र आंदोलन माने जाने वाले नवनिर्माण आंदोलन के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल को इस्तीफा देना पड़ा था। इस आंदोलन के कर्ताधर्ताओं में से एक मनीषी जानी, जो अब एक शिक्षक, फिल्म निर्माता हैं, का कहना है कि गुजरात में शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। शिक्षा विभाग में भी अन्य विभागों की तरह नैतिकता नहीं है। सरकार काफी बेशर्म हो गई है और इसका शिकार गुजरात के मेहनतकश युवा हो रहे हैं।
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