सितंबर 2022 के आखिर में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने प्रयोग के तौर पर एक उल्कापिंड (asteroid) को अपने अंतरिक्ष यान (spacecraft) से टक्कर मारी थी। इस टक्कर को प्लैनेटरी डिफेंस टेस्ट नाम दिया गया था। इसके जरिए वैज्ञानिक यह परखना चाहते थे कि भविष्य में धरती के लिए खतरा बनने वाले एस्टेरॉयडों का रास्ता किस तरह बदला जा सकता है। प्रयोग काफी हद तक सफल रहा।
अब चिली के एक टेलीस्कोप द्वारा ली गई नई तस्वीर से पता चला है कि नासा के ‘डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट’ ((DART) अंतरिक्ष यान द्वारा इरादतन टक्कर मारकर जिस उल्कापिंड को तोड़ा गया था, उसका मलबा 10 हजार किलोमीटर यानी लगभग 6000 मील में फैला हुआ है। डार्ट के अंतरिक्षयान ने डाइमॉरफोस नाम के उल्कापिंड को 26 सितंबर को टक्कर मारी थी। डाइमॉरफोस वास्तव में डिडमोस (Dimorphos) नाम के एस्टेरॉयड का पत्थर था।
यह पहला ग्रह रक्षा परीक्षण था, जिसमें एक अंतरिक्ष यान के प्रभाव ने एस्टेरॉयड की कक्षा को बदलने का प्रयास किया था। डार्ट की टक्कर के दो दिन बाद अंतरिक्ष विज्ञानियों ने चिली में 4.1-मीटर दक्षिणी खगोल भौतिकी अनुसंधान ((SOAR) ) टेलीस्कोप का उपयोग एस्टेरॉयड की सतह से उड़ी धूल और मलबे के विशाल ढेर की तस्वीरों को लेने के लिए किया। नई तस्वीरों में वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष यान और एस्टेरॉयड की सीधी टक्कर से पैदा हुए मलबे की 10 हजार किलोमीटर लंबी लकीर दिखाई पड़ी। तस्वीरों में दिख रहा है कि यह लकीर एस्टेरॉयड से टूटे टुकड़ों और धूल से बनी है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि जिस समय यह तस्वीरें ली गई, उस समय डिडमोस की पृथ्वी से दूरी टक्कर के बिंदु से कम से कम 10,000 किलोमीटर के बराबर होगी। लोवेल वेधशाला के टैडी कारेटा ने कहा, “यह अद्भुत है कि हम टक्कर के बाद के दिनों में संरचना और उसकी सीमाओं की इतनी स्पष्ट तस्वीरें लेने में सक्षम थे।”
सदर्न एस्ट्रोफिजिकल रिसर्च टेलिस्कोप के डाटा की समीक्षा करने वाले मैथ्यू नाइट को लगता है कि मलबे की ये लकीर अभी और लंबी होती चली जाएगी। फिर ऐसा समय भी आएगा, जब ये इतनी अस्त-व्यस्त हो जायेगी कि इसे ट्रैक करना भी मुश्किल होगा। नाइट के मुताबिक, “उस वक्त ये मटीरियल उस धूल की तरह हो जाएगा, जो सौर मंडल के चारों तरफ है।”
बता दें कि डायमॉरफस को टक्कर मारने वाले नासा के डार्ट स्पेसक्राफ्ट को करीब एक साल पहले धरती से रवाना किया गया था। यह 32.5 करोड़ डॉलर का अभियान था।
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