जब अहमदाबाद की रहने वाली पंक्ति जोग ने स्थानीय पुलिस से पूछा कि क्या हम एक सत्तावादी या सामंती राज्य में रहते हैं और क्या लोकतांत्रिक सिद्धांतों के बजाय मंत्रियों के तुगलकी फरमानों को मानना ही पड़ेगा, गोया कि वे राजा हों और हम प्रजा? दरअसल वह ऐसा मानती भी हैं।
गुजरात के अहमदाबाद में स्थानीय पुलिस ने लगभग 300 लोगों को तीन घंटे तक अपने घरों में सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने को कहा। लेकिन वाजिब कारणों के आधार पर पंक्ति नामक महिला ने इस आदेश पर सवाल उठा दिया।
वेजलपुर थाने की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है, “आज्ञा का पालन करते हुए सूचित किया जाता है कि भारत के आदरणीय गृह मंत्री श्री अमित शाह रविवार को एक सामुदायिक हॉल का उद्घाटन करने के लिए इस क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। चूंकि उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है, इसलिए उनकी सुरक्षा महत्वपूर्ण है। इसलिए रविवार 11 जुलाई, 2021 को कृपया अपने अपार्टमेंट या घरों के सभी दरवाजे और खिड़कियां सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक बंद रखें। यह आदेश वेजलपुर के पुलिस इंसपेक्टर एलडी ओडेदरा ने जारी किया था।
पुलिस ने स्वामीनारायण पार्क सोसाइटी, स्वाति अपार्टमेंट समेत कम से कम पांच अपार्टमेंट के रहवासियों को नोटिस दिया गया था। इससे मध्यमवर्गीय मोहल्ले में करीब 300 रहवासियों को अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखनी पड़ीं। इन अपार्टमेंटों को नोटिस 10 जुलाई को दिया गया था।
वाइब्स ऑफ इंडिया ने पता किया कि ऐसा कोई निर्देश अमित शाह की सुरक्षा टीम की ओर से नहीं था। अमित शाह की सुरक्षा टीम में दस राष्ट्रीय सुरक्षा कमांडो (एनएसजी) समेत 55 जवान हैं। अमित शाह दो दिनों के लिए अहमदाबाद में हैं। रविवार को उन्होंने एपीएमसी, आंगनवाड़ियों और स्मार्ट कक्षाओं के लिए दस से अधिक कार्यक्रमों का उद्घाटन किया और नींव रखी। गुजरात में दिसंबर 2021 में चुनाव होने हैं। कल उनके उद्घाटन में एक पुस्तकालय, एक नागरिक केंद्र, एक जल वितरण परियोजना के अलावा वेजलपुर में सामुदायिक हॉल का उद्घाटन शामिल था। जब तक आप इस समाचार को पढ़ेंगे, अमित शाह अपने कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को सुबह 4 बजे भगवान जगन्नाथ की मंगला आरती में शामिल हो चुके होंगे। यह एक वार्षिक अनुष्ठान है, जिसे अमित शाह दशकों से निभाते आ रहे हैं।
वेजलपुर पुलिस द्वारा विभिन्न सोसायटियों को सर्कुलर जारी करने के बाद इनके अध्यक्षों और सचिवों ने लोगों से इसका पालन कड़ाई से सुनिश्चित कराया। इससे वेजलपुर में एक अपार्टमेंट के ए ब्लॉक की तीसरी मंजिल पर रहने वाली 44 वर्षीय महिला पंक्ति स्तब्ध रह गईं।
उन्हें बचपन से अस्थमा है और ताजी हवा के अभाव में उनके फेफड़ों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचता है। उन्हें अस्थमा का दौरा पड़ने लगता है। इसलिए वह वेजलपुर पुलिस स्टेशन गईं और पूछा कि क्या “हम लोकतंत्र में रहते हैं या मंत्री अभी भी राजा हैं?”
जब वाइब्स ऑफ इंडिया ने वेजलपुर पुलिस स्टेशन के पीआई एलडी ओडेदरा से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, “हमने निवासियों से अनुरोध किया, न कि मजबूर किया। दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने का अनुरोध इसलिए किया गया था, ताकि उद्घाटन स्थल के पास थोड़ी-सी भी हलचल पकड़ी जा सके। इमारतें कम्युनिटी हॉल से सटी हुई थीं और इसलिए हमें सावधानी बरतनी पड़ी।”
पंक्ति एक आरटीआई कार्यकर्ता हैं। उन्हें अपने गोवा-गुजराती होने पर गर्व है। उन्होंने इस बारे में शाहीबाग के पुलिस आयुक्त कार्यालय को एक ईमेल भेजा। इस पर आखिरकार उन्होंने कार्रवाई भी की। पंक्ति ने यह सब फेसबुक पर लिखा है। लिखा है- सभी यह मानते हैं कि जब कोई राजनेता किसी क्षेत्र से गुजर रहा होता है तो दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने का एक अलिखित नियम होता है। लेकिन जेड प्लस सुरक्षा प्रोटोकॉल में ऐसा कोई नियम नहीं है। पुलिस हमें कुछ आधिकारिक रूप से बताती है और हम उस पर विश्वास कर लेते हैं।
आज वेजलपुर पुलिस ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने सिर्फ अनुरोध किया है, न कि आदेश दिया है। लेकिन यहां सवाल खिड़कियां दो घंटे तक खुला रखने का नहीं है। सवाल यह है कि मैं अपने घर में कैसे रहती हूं, यह सरकार क्यों तय करे? कहना ही होगा कि हम एक लोकतंत्र में रहते हैं न कि एक आधिकारिक या सामंती राज्य में। उन्होंने पूछा है कि,“ आज खिड़कियां हैं, क्या कल यह सरकार तय करेगी कि मैं क्या खाऊं और कहां जाऊं?”
उन्होंने यह भी लिखा है, “एक और महत्वपूर्ण बात। वह यह कि सांसद, विधायक, मंत्री भगवान नहीं होते हैं। वे दस सिर वाले राक्षस हैं, जिनके बारे में हम पुराणों में पढ़ते हैं। कोई जरूरत नहीं है कि हम उनसे डरें और पूरी तरह से उनके सामने आत्मसमर्पण कर दें। वे लोक सेवक हैं, जन प्रतिनिधि हैं। उन्हें लोगों को जवाब देना होगा। वे हमें जवाब देने के लिए बाध्य हैं। अगर सब्जी और अन्य चीजें बेचने वाले सभी गरीब एकजुट होकर इस मुद्दे को उठाते, तो उन्हें अपने छोटे व्यवसायों को लगातार तीन दिनों तक बंद नहीं रखना पड़ता।
सरकारी नियमों से ज्यादा भयावह, या राजनीतिक कार्यकर्ताओं के दबाव से ज्यादा भयावह, चिंताजनक और बुरा यह है कि हम डरते हैं, हम अधिकारियों की नम्रता से सुनते हैं और हम सवाल नहीं उठाते हैं।”
जोग ने रविवार रात वाइब्स ऑफ इंडिया से कहा, “वेजलपुर इलाके में करीब 1500 वेंडर काम करते हैं। उन सभी को तीन दिन के लिए अपना काम बंद करना पड़ा। उनके नुकसान की भरपाई कौन करेगा? यह सरकार की फितरत है कि वह अपने प्रोटोकॉल के माध्यम से नागरिकों की स्वतंत्रता पर हमला करती है।” वाइब्स ऑफ इंडिया ने अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर संजय श्रीवास्तव से संपर्क किया, जिन्होंने इस सर्कुलर को जारी करने वाली स्थानीय पुलिस की जमकर खिंचाई की। उन्होंने वाइब्स ऑफ इंडिया को आश्वासन देते हुए कहा,
“इंस्पेक्टर ओडेदरा एक वरिष्ठ और अनुभवी पुलिस कर्मी हैं और उनसे इस कृत्य में शामिल होने की उम्मीद नहीं की गई थी। उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा, “राजनीतिक नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि वे लोगों को सुविधाएं दें, उनकी समस्याओं का समाधान करें, न कि उसे बढाएं। यदि राजनेता सार्वजनिक स्थान पर असुरक्षित महसूस करते हैं तो उन्हें उद्घाटन स्थलों पर अपने लगातार दौरे से बचना चाहिए। गृह मंत्री उद्घाटन नहीं करें, तब भी सामुदायिक हॉल तो काम कर ही सकता है। ” उन्होंने कुछ सप्ताह पहले राजनेताओं के ऐसे ही उस अनुचित व्यवहार पर भी प्रकाश डाला, जब उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक 50 वर्षीय महिला की कोरोना से मौत हो गई। उस वक्त अस्पताल जाते समय उसकी कार शहर में पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कारण लगे भीषण ट्रैफिक जाम में फंस गई थी।
हालांकि, भाजपा ने इस घटना से इनकार किया और इंस्पेक्टर ओडेदरा के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के पुलिस आयुक्त के बयान से अपने को अलग कर लिया। दरअसल, गुजरात भाजपा ने इसे सामान्य बात माना है। गुजरात भाजपा के मुख्य प्रवक्ता यमल व्यास ने कहा, “गृह मंत्री की सुरक्षा करना सुरक्षा बलों का विशेषाधिकार है। और व्यक्ति चाहे जो भी हो, सुरक्षा सेवाएं पिछले 30-40 वर्षों से इसी तरह से चल रही हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। यहां तक कि रथ यात्रा के दौरान भी लोगों को अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने के लिए कहा जाता है और यह उनकी सुरक्षा के लिए ही है। एक नागरिक के रूप में मैं तो नियमों का पालन करूंगा और दूसरों से भी यही उम्मीद करूंगा। ” पंक्ति जोग की चिंताओं के बारे में उन्होंने कहा, “वह पुलिस को अपनी सरोकारों से अवगत करा सकती थीं। चूंकि उनकी समस्या वास्तविक है, मुझे यकीन है कि पुलिस ने उन्हें छूट दी भी होगी।”
बहरहाल, उन्होंने जो सवाल किया वह था, “हमें अपनी बुनियादी स्वतंत्रता के लिए कब तक गिड़गिड़ाना होगा?” यहां उन्होंने एक कविता भी उद्धृत किया है। यह कविता पंजाबी के प्रसिद्ध कवि अवतार सिंह संधू उर्फ पाश की है-
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना – बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना – बुरा तो है
मुट्ठियां भींचकर बस वक्त निकाल लेना – बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता
सबसे ख़तरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प ना सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना