गुजरात कांग्रेस के पूर्व प्रमुख और लगभग एक दशक से प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष जीपीसीसी को नियंत्रित कर रहे भरत सिंह सोलंकी एक बार फिर अपने समर्थको की उपेक्षा से नाराज होकर दिल्ली में डेरा डाला हुआ है , इसके एक दिन पहले वह गुजरात के अपने जिला वार समर्थको और विधायकों को बुलाकर खुले तौर से शक्ति प्रदर्शन किया था। दवाब की राजनीती में माहिर सोलंकी अपनी शिकायत लेकर दिल्ली पहुंचे हैं जब गुजरात में उन्ही के गुट से जगदीश ठाकोर प्रमुख है। पूर्व अध्यक्ष अमित चावड़ा आज भी राजीव भवन का प्रबंधन देख रहे है।
चावड़ा भी सोलंकी के परिवारवाद और कृपापात्र की उपज थे। इसलिए राजनीतिक नियुक्ति के अभिलाषी लोग भी जगदीश ठाकोर के बजाय भरत सिंह के पास जाते थे ,लेकिन उनका नाम घोषित सूची में नहीं था , साथ ही दो कार्यकारी अध्यक्ष के नियुक्ति की भी चर्चा है ,जिसमे सोलंकी गुट का समावेश नहीं है।
आलाकमान के कभी नजदीकी रहे भरत सिंह सोलंकी का वजन अब दस जनपथ में वह रहा नहीं , कई शहरो के प्रमुख के तौर पर भी उनकी पसंद को प्राथमिकता नहीं मिली. सोलंकी को द्वरिकाअधिवेशन के दौरान भी राहुल गाँधी ने डाटा था , उनकी पत्नी रेशमा से जुड़े विवाद के कारण पार्टी की छवि ख़राब होने की शिकायत की गयी थी।
वहीँ इस पीसीसी से अर्जुन मोढवाडिया भी असंतुष्ट है , जगदीश ठाकोर के भी मन की नहीं हुयी है , उनके पुत्र की पार्टी में बढ़ती दखल का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक इस्तीफ़ा देने वाले विजय दवे उपाध्यक्ष बने हैं। सूत्रों की माने सोलंकी कांग्रेस में अपने लोगो से ही घिर रहे हैं।
अब देखना यह होगा की सोलंकी के दबाब की सियासत के सामने आलाकमान का रुख क्या होता है। विदित हो की तीन दिन पहले ही विस्तृत पीसीसी घोषित की गयी है। जिसमे 75 महासचिव ,25 उपाध्यक्ष बनाये गए थे। जबकि 250 सचिव की नियुक्ति बाकी है।
कोई बचा तो नहीं -गुजरात कांग्रेस में बने 75 महासचिव ,25 उपाध्यक्ष , 250 सचिव की नियुक्ति बाकी