गुजरात विरोधाभासों से भरा राज्य है। एक तरफ उसे पीएम मोदी की पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान के रूप में अन्य राज्यों से कहीं आगे बताया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ,0 गुजरात गरीबी और कर्ज में डूबे ऐसे लोगों की कहानियों से भरा पड़ा है, जो जोखिम में जान डालकर भी अमेरिका जाना चाहते हैं।
अमेरिकन ड्रीम जिंदा है। सोने नहीं दे रहा। इसके लिए ऐसी दुखद घटनाओं की भी परवाह नहीं की जाती, जिसमें जनवरी 2022 में कनाडा में मैनिटोबा सीमा से अमेरिका में अवैध रूप से घुसने की कोशिश करने में चार लोगों की जान चली गई थी। सुर्खियां बटोरने वाला चार लोगों का वह पटेल परिवार गुजरात का ही था।
दरअसल 11 गुजरातियों की जिस “खेप” में पटेल परिवार था, उनमें ज्यादातर मेहसाणा से थे। उसी में से एक वर्शिल धोबी भी था, जो “पिता के कर्ज का भुगतान करने” के लिए अमेरिका जाकर पर्याप्त कमाई करना चाहता था।
सीआईडी ने 14 अक्टूबर, 2022 की एक एफआईआर में वर्शिल को एक आरोपी बताया है। उस पर अमेरिका की यात्रा करने के लिए धोखाधड़ी से जरूरी दस्तावेजों को हासिल करने का आरोप लगाया गया है। सिटी क्राइम ब्रांच की जांच में पता चला है कि वार्शिल को अच्छी कमाई का लालच था।
मामले की तहकीकात करने पर पुलिस को पता चला कि वर्शिल के चाचा प्रकाश ने कई साहूकारों से 10 लाख रुपये का कर्ज लिया और फिर स्पेन भाग गया। एक जांच अधिकारी ने बताया, “वे ड्राई-क्लीनिंग और लॉन्ड्री का फैमिली बिजनेस करते हैं। प्रकाश के जाने के बाद साहूकारों ने वर्शिल के पिता को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी देते हुए परेशान करना शुरू कर दिया। कुछ ही समय बाद प्रकाश की पत्नी की मृत्यु हो गई। इससे उनका नाबालिग बेटा वर्शिल के पिता पंकज के पास रहने लगा। इससे साहूकारों को कर्ज वसूलने का रास्ता मिल गया। परिवार साहूकारों से लगातार धमकियां सुनता रहता था। ऊपर से उधार के पैसे लेकर भाग जाने का सामाजिक कलंक अलग लग गया था।”
किस्मत से वर्शिल का एक दोस्त “अमेरिका जाने” की योजना बना रहा था। दोस्त से उसने अपने लिए भी बात की। जल्द ही उसकी मुलाकात कलोल के एजेंट भावेश पटेल से हुई और 65 लाख रुपए में सौदा तय हो गया। इसमें से 30 लाख रुपए एडवांस देने थे।
उसके पिता ने तब दोस्तों से पैसे उधार लिए। वर्शिल ने फिर दसवीं और ग्यारहवीं की मार्कशीट के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा परीक्षण प्रणाली (IELTS) और कनाडाई अंग्रेजी भाषा प्रवीणता इंडिएक्स प्रोग्राम (CELPIP) के सर्टिफिकेट सहित नकली दस्तावेज हासिल किए। जाली दस्तावेजों ने उसे ओंटारियो के लॉयलिस्ट कॉलेज में प्रवेश दिलाने में मदद की। पुलिस अधिकारियों ने कहा, “हालांकि, वह एक भी दिन उपस्थित नहीं हुआ और अमेरिका जाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करने लगा।”
दरअसल वर्शिल के डायपर और खिलौनों वाले बैग से पुलिस का शक गहराया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जब पटेलों का दुखद अंत सामने आया, तो जांच एजेंसियों ने उस ग्रुप के अन्य लोगों की जोरदार तरीके से तलाश शुरू की। वार्शिल को शिकागो में खोजा गया। पता चला कि पटेल भी उसके ग्रुप में शामिल थे, लेकिन रास्ते में कहीं भटक गए थे।
पंकजभाई धोबी आज तक कर्ज में डूबे हुए हैं। वह इस बात से परेशान हैं कि उनका बेटा इस समय कहां है। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी गुजरात में और भी कई लोग अमेरिकी सपने को जीने के लिए तैयार बैठे हैं। भले ही उसकी कीमत अवैध इमिग्रेशन ही क्यों न हो।