अहमदाबाद: पांच वर्षों में लगभग 50 करोड़ रुपये खर्च करने और हाई कोर्ट द्वारा बार-बार कार्रवाई किए जाने के बावजूद अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) शहर को आवारा पशुओं की समस्या से छुटकारा दिलाने में विफल रहा है।
पशु उपद्रव एवं नियंत्रण विभाग (सीएनसीडी) के सूत्रों के अनुसार, 2018-19 से 2022-23 तक यानी पांच वर्षों में विभाग ने मवेशियों की जब्ती, लावारिस पशुओं के रखरखाव, आरएफआईडी टैग और वेतन पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जहां एएमसी ने आरएफआईडी टैग लगाने पर लगभग एक करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया है, वहीं नगर निकाय को शहर में आवारा पशुओं की आबादी के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है, क्योंकि कोई वैज्ञानिक सर्वेक्षण हुआ ही नहीं।
सूत्रों ने कहा कि 2018 में हाई कोर्ट की फटकार के बाद एएमसी ने आवारा पशुओं को आरएफआईडी टैग लगाने के लिए आठ टीमों का गठन किया। इन टीमों के साथ 40 बाउंसर थे, जिनमें से प्रत्येक को मासिक वेतन के रूप में 22,000 रुपये का भुगतान किया गया था। एएमसी ने प्रक्रिया की वीडियोग्राफी के लिए 10 कैमरे खरीदे, लेकिन ये अब बेकार पड़े हैं।
सूत्रों ने कहा कि पशुओं के आजीवन रखरखाव में वृद्धि ने भी नगर निकाय के खजाने में सेंध लगा दी है। नवंबर 2021 में नागरिक निकाय ने पशु आश्रयों के लिए एकमुश्त आजीवन रखरखाव भुगतान को 2,500 रुपये से बढ़ाकर 4,000 रुपये प्रति पशु कर दिया। लावारिस जानवर एएमसी की जिम्मेदारी बन जाते हैं। एक बार एएमसी द्वारा संचालित दो पशु स्थल भर जाने के बाद इन जानवरों को शहर के बाहर स्थित आश्रयों में स्थानांतरित कर दिया जाता है। सूत्रों ने कहा कि एएमसी इन जानवरों को स्थानांतरित करने वाली एजेंसियों को आजीवन रखरखाव के रूप में एकमुश्त भुगतान करती है। सूत्रों ने बताया कि अभी तक आवारा पशुओं के मालिक पर 3,000 रुपये जुर्माना और पशु रखरखाव के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। दूसरे कार्यालय के लिए जुर्माने को बढ़ाकर 4,500 रुपये और रखरखाव के लिए 1,500 रुपये और तीसरे अपराध के लिए क्रमशः 6,000 रुपये और 2,000 रुपये करने का प्रस्ताव था। लेकिन प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
14,844 गायें जब्त, जुर्माना केवल 12% ने दियाः
एएमसी का अनुमान है कि शहर में 51,000 से अधिक पंजीकृत पशु हैं, जिनमें से 30,000 से अधिक को आरएफआईडी टैग लगा दिया गया है। एएमसी के पशु उपद्रव नियंत्रण विभाग (सीएनसीडी) ने अप्रैल में स्थायी समिति को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उसने इस वित्तीय वर्ष में 14,844 आवारा पशु जब्त किए हैं- पिछले वर्ष की तुलना में 79.4% की वृद्धि। लेकिन जुर्माना कुछ ही प्रतिशत ने भरा। एएमसी के एक अधिकारी ने कहा, “मालिकों ने 1,852 जानवरों को वापस ले लिया और 1.41 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा किया, जबकि शेष जानवरों को पशु आश्रयों में भेज दिया गया।” अधिकारी ने कहा कि जुर्माना लावारिस जानवरों को बनाए रखने की लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं था। नवंबर 2020 में एकमुश्त रखरखाव शुल्क में वृद्धि हुई थी- इसे 2,500 रुपये प्रति जानवर से बढ़ाकर 4,000 रुपये कर दिया गया था, लेकिन जानवर अभी भी एएमसी के खजाने पर बोझ हैं।