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कोर्ट ने अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी करने का दिया आदेश

| Updated: November 28, 2024 14:01

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए अदालत के आदेश को लेकर तनाव के बीच राजस्थान में भी इसी तरह का विवाद छिड़ गया है। बुधवार को अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने ऐतिहासिक अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण की मांग करने वाली याचिका के संबंध में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किए।

यह याचिका हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दायर की है, जिनका दावा है कि दरगाह, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार, मूल रूप से एक शिव मंदिर थी। सिविल जज मनमोहन चंदेल ने गुप्ता की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किए, हालांकि अदालत के आदेश को अभी तक पक्षों के साथ साझा नहीं किया गया है।

गुप्ता ने अपने दावों के समर्थन में ब्रिटिशकालीन न्यायाधीश और शिक्षाविद हर बिलास सारदा के लेखों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सारदा की पुस्तक में दरगाह के नीचे शिव मंदिर की मौजूदगी का उल्लेख है।

गुप्ता ने कहा, “स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि करीब 50 साल पहले तक यहां एक शिवलिंग मौजूद था, जिसे तहखाने में ले जाया गया था।”

याचिका में मांग की गई है कि दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित किया जाए, इसका मौजूदा पंजीकरण रद्द किया जाए और सच्चाई को उजागर करने के लिए एएसआई सर्वेक्षण कराया जाए।

अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे सांप्रदायिक सद्भाव पर हमला बताया। उन्होंने कहा, “दरगाह विविधता में एकता का प्रतीक है, जहां सभी धर्मों के अनुयायी रहते हैं।

इस तरह के दावे विभाजनकारी हैं और राष्ट्र के हित में नहीं हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि दरगाह को पहले भी इसी तरह के विवादों का सामना करना पड़ा है, जिसमें 2007 में हुआ बम विस्फोट भी शामिल है।

यह घटनाक्रम राजस्थान सरकार द्वारा अजमेर के होटल खादिम का नाम बदलकर “अजयमेरु” करने के साथ मेल खाता है, जो पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के दौरान शहर के ऐतिहासिक नाम की याद दिलाता है।

इस बीच, देश के अन्य हिस्सों में भी धार्मिक संरचनाओं को लेकर इसी तरह के विवाद सामने आए हैं, जैसे कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह।

पिछले हफ़्ते शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद संभल में हिंसा भड़क उठी थी, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई थी।

अजमेर कोर्ट ने अगली सुनवाई 20 दिसंबर के लिए निर्धारित की है।

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