नई दिल्ली: दिल्ली एम्स में कंप्यूटरों की हैकिंग की घटना की जांच में चीन स्थित हैकर्स की भूमिका की ओर इशारा किया गया है। एम्स में सेवाएं अभी तक प्रभावित हैं और मैनुअल मोड में बनी हुई हैं।
साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, दो चीनी रैनसमवेयर ग्रुप- ‘इम्पेरर ड्रैगनफ्लाई’ (Emperor Dragonfly) और ‘ब्रॉन्ज़ स्टारलाइट (DEV-0401)’ काफी समय से दुनिया भर में फार्मा संस्थानों को टारगेट कर रहे थे, लेकिन अभी भी इसकी पुष्टि की जा रही है कि क्या साइबर अटैल के पीछे वाकई यही ग्रुप थे। एक अन्य संदेह लाइफ नाम के ग्रुप पर है, जिसे वानारेन (WannaRen) नामक रैंसमवेयर का नया वर्जन माना जा रहा है।
जांच से यह भी पता चलता है कि हो सकता है कि हैकर्स ने बेचने के लिए डेटा को डार्क वेब पर डालना शुरू कर दिया हो। इसलिए उनकी मांग पूरी नहीं हुई थी। इससे नेताओं सहित लाखों रोगियों का गोपनीय डेटा लीक होने की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, अधिकारी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि किसी भी डेटा के साथ छेड़छाड़ की गई है। जांच में पुष्टि हुई है कि पांच मुख्य सर्वरों को चीनी हैकर्स ने निशाना बनाया था, जिन्होंने बाद में इसे डार्क वेब पर डाल दिया। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक बयान में कहा कि प्रभावित सर्वरों की मिरर इमेज को फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए लैब में भेज दिया गया है। अधिकारियों ने कहा कि एम्स प्रशासन और अन्य एजेंसियां सेवाओं को बहाल करने और फिर से शुरू करने की प्रक्रिया में हैं।
हैकर्स द्वारा क्रिप्टो करेंसी में 200 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की खबरों से दिल्ली पुलिस इनकार किया है। दिल्ली पुलिस ने हालांकि एम्स के सुरक्षा अधिकारी की शिकायत पर जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद की एफआईआर दर्ज की है।
दो खुफिया एजेंसियों के अलावा इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग और नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर के बेहतरीन दिमाग रैंसमवेयर से होने वाले नुकसान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि एनआईसी ई-हॉस्पिटल डेटाबेस और ई-हॉस्पिटल के लिए एप्लिकेशन सर्वर को काफी हद तक बहाल कर दिया गया है।
करीब 1,200 सिस्टम और 20 सर्वर को सैनिटाइज किया गया। एक अधिकारी ने कहा कि सेवाओं को बहाल करने का अभियान अगले सप्ताह तक जारी रह सकता है।
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