अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं के साथ-साथ संपदा विभागों द्वारा अस्पतालों और नर्सिंग होम को जारी किए गए नोटिस का कड़ा विरोध हो रहा है। एएमसी ने यह नोटिस गहन चिकित्सा इकाइयों (ICU) और कांचदार अगले भागों वाले अस्पतालों और नर्सिंग होम में अग्नि सुरक्षा के उपायों को लागू कराने के गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर जारी किया है। इससे नाराज अहमदाबाद हॉस्पीटल्स एंड नर्सिंग होम्स (AHNA) ने मंगलवार को कहा कि अगर इन “अवैज्ञानिक” निर्देशों को वापस नहीं लिया गया तो वे अपने आईसीयू को बंद करने के लिए मजबूर होंगे।
30 जून को अग्नि सुरक्षा पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य को “तत्काल कदम उठाने” का निर्देश दिया था, ताकि दिसंबर 2020 की अदालत के एक आदेश पर अमल सुनिश्चित किया जा सके, जिसमें अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए गए थे। ये निर्देश अस्पतालों, विशेष रूप से आईसीयू के लिए थे।”
उसी जनहित याचिका पर 15 दिसंबर 2020 के आदेश में गुजरात हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने महीने में एक बार वेंटिलेटर, एयर कंडीशनर जैसे भारी भार वाले उपकरणों की सर्विसिंग जैसे निर्देश जारी किए थे।
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एजे शास्त्री की पीठ ने निर्देश दिया था कि “आईसीयू को केवल भूतल पर स्थित होना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर बिस्तरों को बाहर निकालने के लिए वैकल्पिक निकास होना चाहिए।” साथ ही “कांच वाले बाहरी भाग को हटाया जाना चाहिए।” इसके अलावा तत्काल और सीढ़ियां पैरापेट की दीवार के ऊपर पूरी तरह हवादार रखनी होंगी।”
AHNA ने वैज्ञानिक कारणों का हवाला देते हुए इस कदम का विरोध किया और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा नीतियां बनाने की भी मांग की। AHNA के अध्यक्ष डॉ भरत गढ़वी ने कहा, “इस निर्णय में साक्ष्य आधारित चिकित्सा वाले मसले को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। भूतल पर आईसीयू बनाना वैज्ञानिक कारणों के खिलाफ है, क्योंकि इससे रोगियों में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। आप रोगियों को आग से बचा सकते हैं, लेकिन संक्रमण से नहीं।”
एएमसी ने अहमदाबाद के सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम से अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। आईसीयू प्लानिंग एंड डिजाइनिंग 2020 पर इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिकल एक्सपर्ट्स कमेटी कंसेंट स्टेटमेंट का हवाला देते हुए एएचएनए ने कहा, “बयान स्पष्ट रूप से कहता है कि ग्राउंड फ्लोर से बचा जाना चाहिए और आईसीयू के पास लिफ्ट उपलब्ध होने पर ऊंची मंजिलें उपयुक्त हैं। आईसीयू अस्पतालों के पृथक क्षेत्रों में होना चाहिए। इस समिति के सदस्य प्रतिष्ठित सरकारी और निजी अस्पतालों से हैं।”
AHNA के सदस्यों ने यह मसला भी उठाया कि ICU को ऑपरेशन थिएटर के साथ-साथ कैथलैब के करीब होना चाहिए। इसलिए देश और विदेश के लगभग सभी अस्पतालों में भूतल पर आईसीयू नहीं है।
एएचएनए सचिव डॉ वीरेन शाह के अनुसार, “मानसून के मौसम के दौरान आईसीयू में बाढ़ की आशंका बढ़ जाती है।”
एसोसिएशन ने अध्ययनों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि कोविड के दौरान अस्पतालों में आग की बड़ी घटनाएं 100 प्रतिशत भरे होने, एसी, वेंटिलेटर और अन्य उपकरणों के संचालन के साथ-साथ पीपीई किट, ऑक्सीजन और सैनिटाइज़र जैसे अधिक ज्वलनशील सामग्री की उपस्थिति के कारण हुई थीं।
आगे के कांचदार भागों के संबंध में AHNA ने कहा, “यदि कांच के अग्रभाग केवल एक तरफ हैं, तो दूसरी तरफ से धुआं निकल सकता है। इसके अलावा, अगर वे खुले हैं तो उन्हें हटाने का कोई कारण नहीं है।” AHNA ने गुजरात हाई कोर्ट से उनकी बात भी सुनने का अनुरोध किया है।
डॉ गढ़वी ने कहा, “चल रहे अस्पताल की इमारत में कोई भी बदलाव करना बहुत मुश्किल है। AHNA ने जुलाई 2021 में हमें अपने विचार रखने के लिए चल रहे मामले में एक पक्ष बनाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन उन्होंने हमें अनुमति नहीं दी, यह अन्याय है। हम उम्मीद करते हैं कि हाई कोर्ट कम से कम हमारे दृष्टिकोण को अवश्य सुनेगा। ”