अहमदाबाद: कुबेरनगर निवासी अक्षय पांचाल को अपने स्कूटर (Scooter )के लिए बीमा राशि (Insurance Coverage) प्राप्त करने में आठ साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। स्कूटर तब चोरी हो गया था, जब वह सड़क के किनारे पेशाब करने के लिए रुके थे। उस समय गलती से चाबी को इग्निशन में ही छोड़ दिया था और मोबाइल फोन पर बात करने में व्यस्त हो गए थे।
पांचाल का स्कूटर 24 मई 2014 को तब चोरी हो गया था, जब वह बीच रास्ते में स्कूटर को सड़क के किनारे खड़ा कर चाबी को इग्निशन में छोड़ दिया था। वह पेशाब करने के लिए रुके थे। संयोग से, उसी दौरान वह फोन पर किसी से बात करने में भी मशगूल थे। वापस लौटने पर देखा तो उनका स्कूटर चोरी हो गया था। उन्होंने गांधीनगर पुलिस (Gandhinagar Police) से संपर्क किया, जिसने उन्हें कुछ समय इंतजार करने के लिए कहा। जब उन्हें अपना स्कूटर नहीं मिला, तो उन्होंने 1 जून को प्राथमिकी दर्ज कराई। साथ ही अपने वाहन का बीमा करने वाली कंपनी- आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड(ICICI Lombard General Insurance Company Limited )- को सूचित किया।
बीमाकर्ता ने लगा दिया लापरवाही बरतने का आरोप
जब अक्षय पांचाल ने अपने चोरी हुए स्कूटर के लिए बीमा राशि का दावा पेश किया, तो उसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उन्होंने पुलिस शिकायत दर्ज करने में आठ दिन की देरी की और घटना के 10 दिन बाद बीमाकर्ता को सूचित किया। साथ ही उन पर स्कूटर में ही चाबी लगी छोड़ देने के लिए लापरवाही का आरोप भी लगा दिया। कंपनी ने कहा कि ये सभी पॉलिसी शर्तों के उल्लंघन में आते हैं, इसलिए वह पैसा पाने के योग्य नहीं हैं।
पांचाल ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग( Consumer Disputes Redressal Commission) , अहमदाबाद (ग्रामीण) से संपर्क किया। उसने जुलाई 2017 में उनकी शिकायत को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह उनकी ओर से पॉलिसी की शर्त का उल्लंघन था, क्योंकि उन्होंने बीमाकर्ता (Insurer )को देर से सूचित किया और इग्निशन में चाबी छोड़ कर लापरवाही की। इसके बाद उन्होंने गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Gujarat State Consumer Disputes Redressal Commission) से संपर्क किया और अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि अगर घटना वास्तविक है तो बीमा कंपनियों को वाहन चोरी के मामले में दावे से इनकार नहीं करना चाहिए। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (irda ) की ओर से जारी गाइडलाइन का भी हवाला दिया गया।
इग्निशन में चाबी छोड़ने की देर से सूचना और लापरवाही वाले व्यवहार को देखते हुए राज्य आयोग ने बीमाकर्ता को स्कूटर के कुल घोषित मूल्य का 75% गैर-मानक आधार पर भुगतान करने का आदेश दिया। कंपनी को 45,500 रुपये के मूल्य के मुकाबले 34,900 रुपये 7% ब्याज के साथ देने को कहा गया है।
बोलीं बिलकिस बानोः 2022 अचानक ही हमारे लिए 2002 जितना डरावना हो गया है