गुजरात भूमि हथियाने अधिनियम के मामले में गुजरात के महाधिवक्ता ने गुजरात हाईकोर्ट में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण बयान दिया है| इस संबंध में नए साल की शुरुआत में इस कानून में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन करने के लिए अध्यादेश लाने का जिक्र किया गया है| याचिकाकर्ता गुजरात उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री के समक्ष भूमि हथियाने अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती दे रहे थे।
इस बीच, महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि राज्य सरकार भूमि हथियाने में सुधार के लिए नए साल की शुरुआत में एक अध्यादेश लाएगी।
इस कानून को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता विराट पोपट ने कहा कि अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधान निजी भूमि को भी कवर करते हैं। इसका मतलब है कि पिछले वर्षों में किए गए निजी भूमि की बिक्री और खरीद के समझौते भी इस अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।
यदि किसी व्यक्ति ने गलत तरीके से जमीन पर कब्जा कर लिया है तो बेटे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराकरमामला दर्ज किया जा सकता है, जिसके बाद बेटे को अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। इसका मतलब यह है कि निजी पक्षों के बीच चल रहे भूमि विवाद में सभी को अपराधी के रूप में कवर करना उचित नहीं है।
इस प्रकार इस कानून के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है। इसलिए आपने इस कानून को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी है|