अरबपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी पोर्ट्स ने गडोट के साथ मिलकर इजराइल के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक हाइफा पोर्ट को खरीदने की बोली जीत ली है। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने गुरुवार यानी 14 जुलाई को खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी। हाइफा, भूमाध्यसागर के तट पर स्थित इजराइल के सबसे प्रमुख बंदरगाहों में से एक है और एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। इजराइल सरकार ने इस बंदरगाह के निजीकरण के लिए दुनिया भर की कंपनियों से बोली मंगाई थी। अडानी पोर्ट ने इस बोली को अपनी इजराइली सहयोगी गडोट (Gadot) के साथ साझेदारी में जारी है। गडोट, इजराइल की एक केमिकल और लॉजिस्टिक्सग्रुप है।
गौतम अडानी ने ट्वीट में कहा, “अपने पार्टनर गडोट के साथ मिलकर इजराइल के हाइफा बंदरगाह के निजीकरण के लिए बोली जीतने की खुशी है। यह बंदरगाह दोनों देशों के लिए अत्यधिक सामरिक और ऐतिहासिक महत्व वाला है।” न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दावा किया कि विजेता बोली 4.1 अरब इजराइली मुद्रा (करीब 1.18 अरब डॉलर) की लगाई गई थी।
बताया जा रहा है कि हाइफा बंदरगाह की बहुसंख्यक हिस्सेदारी (70 फीसदी) अडानी पोर्ट्स के पास रहेगी, जबकि 30 फीसदी हिस्सेदारी गडोट के पास रहेगी। नए मालिक एक निजी बंदरगाह के साथ मुकाबला करेंगे, जिसे पिछले साल खाड़ी में खोला गया था, जो शंघाई इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप (एसआईपीजी) द्वारा संचालित है।
इससे पहले मई में कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करण अडानी ने कहा था कि अडानी पोर्ट्स प्रमुख वैश्विक बंदरगाह समूह बनना चाहता है।
इस बीच, हाइफा बंदरगाह के चेयरमैन एथेल अर्मोनी ने निजीकरण प्रक्रिया के पूरी होने की पुष्टि की है। कहा कि नया ग्रुप इस पोर्ट को 2054 तक ऑपरेट करेगा। अर्मोनी ने बताया, “एक जटिल प्रक्रिया के बाद हम हाइफा पोर्ट के भविष्य और आने वाले सालों में प्रतिस्पर्धा करने की इसकी क्षमता को सुनिश्चित करने में सक्षम रहे।”