बीते कई दिनों से देश के बड़े उद्योगपति और दुनिया के शीर्ष अमीरों में गिने जाने वाले गौतम अडानी या उनकी पत्नी डॉ. प्रीति अडानी को राज्यसभा सांसद बनाए जाने की अटकलो के बीच अडानी समूह साफ़ किया है की समूह के प्रमुख गौतम अडानी या उनकी पत्नी अथवा परिवार का कोई सदस्य राजनीति में नहीं जा रहा है। समूह की ओर से आए बयान के अनुसार अडानी परिवार के किसी भी सदस्य की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है. अपनी सफाई में अडानी ग्रुप ने कहा कि समूह को गौतम अडानी और डॉ.प्रीति अडानी के राज्यसभा भेजे जाने की खबरों के बारे में पता चला है. समूह ने पूरी तरह से इन बातों का खंडन किया है. मीडिया रिपोर्ट के जरिए दूसरे लोग अपने लाभ के लिए हमारा नाम खराब कर रहे हैं. गौतम अडानी, डॉ. प्रीति अडानी और अडानी परिवार को कोई भी सदस्य किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ने नहीं जा रहा है. यह खबरें पूरी तरह से गलत हैं.
5 लाख रुपए से शुरू किया व्यापार ,वारेन वाफेट को पीछे छोड़ा
अडानी ने अपने कारोबार की शुरुआत मात्र 5 लाख रुपये से शुरू की थी.इस निवेश से उसने धीरे-धीरे विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया. अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी की इस सफलता के पीछे उनकी मेहनत,चतुराई, कुशलता,नेटवर्किंग जैसे गुण हैं. कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी न कर पाने गौतम अडानी की कहानी हीरे के कारोबार से शुरू हुई है. वह 16 साल की उम्र में मुंबई चले गए. हीरे का कारोबार सीखने लगे. इसके बाद वह 1981 में गुजरात लौट गए और अपने भाई की प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगे.
अडानी ने कारोबार जगत में पहला बड़ा कदम 1988 में रखा.
उनकी पहली कंपनी अडानी एक्सपोर्ट्स बाजार में आई. महज 5 लाख रुपये की पूंजी से शुरू हुई यह कंपनी बाद में अडानी एंटरप्राइजेज बनी.अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को 1994 में शेयर बाजार में उतरने से बूस्ट मिला. जब 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में आर्थिक उदारीकरण का रास्ता तैयार किया, तो इससे देश के कारोबार जगत में व्यापक बदलाव देखने को मिला. अडानी परिवार को इससे अपने ब्रांड को आगे बढ़ाने में खास मदद मिली.