शेफाली शाह स्वीकार करती हैं कि यह न केवल उनकी दो लघु फिल्मों की पृष्ठभूमि बनाती है, बल्कि उन्हें निर्देशक बनने के लिए प्रेरित भी करती है।
हैप्पी बर्थडे मम्मीजी, आपके द्वारा निर्देशित एक लघु फिल्म है, जो 75 वें जन्मदिन के उत्सव पर है। लेकिन पिछले डेढ़ साल को देखें तो हमारे जीवन से उत्सव का मजा ही चला गया है.
सचमुच। मेरे बेटे ने स्नातक किया, लेकिन वह इस मौके पर हुए समारोह में शामिल नहीं हो सका। मैं भी नहीं। जब वह विश्वविद्यालय गया, तो मैं उसे वहां जाकर उसका सब कुछ ठीक-ठाक कर देना चाहती थी, लेकिन मैं नहीं कर सकी। जबकि ये उसके और हमारे जीवन के लिए बड़े ऐतिहासिक क्षण हैं।
मुझे अपनी टीम के साथ तब रहना अच्छा लगता, जब इंटरनेशनल एमी अवार्ड्स में दिल्ली क्राइम को बेस्ट ड्रामा सीरीज़ चुना गया और जब अजीब दास्तान रिलीज़ हुई, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकी। हां, महामारी ने हमसे बहुत कुछ छीन लिया है। इसलिए अब किसी घटना की प्रतीक्षा करने के बजाय मैं अपने दैनिक जीवन में छोटी-छोटी चीजों का जश्न मनाती हूं। जैसे लॉकडाउन के दौरान एक शाम मैंने उपहारों की टोकरी एक साथ रखी और हम डेक पर बैठ कर पिकनिक मनाने लगे। (हंसते हुए) यह क्षणिक था, क्योंकि सैंडविच बहुत तेजी से खत्म हो गए थे।
एक संवेदनशील अभिनेत्री और निर्देशक के तौर पर लगातार बीमारी के डर के साथ रहना कैसा होता है?
भयानक! महामारी अब तक लिखी गई सबसे खराब पटकथाओं में से एक है। हममें से किसी ने भी सपनों में भी नहीं सोचा था। पिछले डेढ़ साल में मानसिक और भावनात्मक तौर पर बहुत नुकसान हुआ है। लगता जैसा हमारे सिर पर तलवार लटकी हुई है। इससे मुझे एहसास हुआ कि हमारे पास कितना कम समय हो सकता है। मैं लंबे समय से निर्देशन करना चाहती थी। लेकिन आज मुझे इस अहसास के साथ करना पड़ा। उस सही दिन का इंतजार नहीं करना था, जो शायद कभी न आए। इस तरह स्टटगार्ट फिल्म फेस्टिवल में समडे दिखाई जा रही है, और फिर हैप्पी बर्थडे मम्मीजी भी बन गई।
आपने लॉकडाउन के दौरान किताब भी लिखी है?
यह अभी सिर्फ एक पांडुलिपि यानी मैन्युस्क्रिप्ट है। लेकिन हां, मैं इसे प्रकाशित करना चाहती हूं। यह एक प्रेम कहानी है। मेरा झुकाव बड़े फलक वाले रोमांच के प्रति रहा है। मैं जीवन के पहलुओं पर भी स्टोरी लिखना चाहती हूं। वैसे अभी तक मैंने उस पर काम शुरू नहीं किया है, लेकिन मैंने दो स्क्रिप्ट जरूर लिखी हैं, दोनों प्रेम कहानियां हैं।
नेटफ्लिक्स पर अजीब दास्तान्स की कड़ियों में अनकही ने प्यार और रोमांस पर अलग दृष्टिकोण पेश किया है। इसमें एक बहरे फोटोग्राफर और एक विवाहित महिला को एक साथ लाया गया है, जिसकी बेटी धीरे-धीरे बहरी हो रही है। इसके लिए बहुत अधिक तैयारी की आवश्यकता हुई होगी?
मैं सांकेतिक भाषा सीखने के लिए तैयार थी, और फिर बाकी तो मैं सिर्फ नताशा बन गई। फिर महसूस किया कि उसने क्या किया। ऐसा मैं किसी भी चरित्र को निभाने के लिए करती हूं। मैं शेफाली होना भूलकर उस चरित्र में ढल जाती हूं। अनकही एक प्यारी कहानी है, मानव (सह-कलाकार मानव कौल) ने बेजोड़ काम किया है। इससे कबीर और नताशा एक साथ सुंदर लगे।
अगर आपने कायोज ईरानी की जगह अनकही को निर्देशित किया होता, तो क्या आपने अंत को बदल दिया होता?
नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि कबीर की एक झलक पाने के लिए नताशा फिर से उसके स्टूडियो जाएगी। मुझे नहीं पता कि अगर वह जाएगी तो उसके साथ उसने जो किया उसपर सफाई देगी, क्योंकि उसका कोई औचित्य नहीं है। उसने झूठ नहीं बोला था कि वह उसके लिए कैसा महसूस करती थी, वह उससे प्यार करती थी।
दिल्ली क्राइम की डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी अविस्मरणीय हैं। दूसरा सीजन आसमानी उम्मीदों के साथ आता है, क्योंकि नेटफ्लिक्स पर इस क्राइम-ड्रामा ने एक नई राह का अनुसरण किया है। क्या भाग-2 उन उम्मीदों पर खरा उतर सकता है?
दिल्ली क्राइम जैसा प्रोजेक्ट बस हो जाता है। साथ ही, इसने एक विषय के बारे में बात की, निर्भया कांड, जिसने हम सभी को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित किया था। दूसरे सीजन में अलग क्रिएटर है, जो एक नए विजन के साथ आता है। उनकी तुलना करना अनुचित होगा। दिल्ली क्राइम-2 अपने आप में एक अच्छा शो है, इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि इसकी साख बनी रहेगी।
क्या आप अमेरिकी शो की तरह दिल्ली क्राइम को फ्रैंचाइज़ी उठाती देखती हैं?
मुझे लगता है कि यह हो सकता है, लेकिन यह सब सोचना निर्माताओं और नेटवर्क का काम है। अपनी ओर से, मुझे वर्तिका जैसी भूमिका निभाना हमेशा अच्छा लगता है।
दिल्ली क्राइम और अजीब दास्तां जैसे शो करने के बाद एक अभिनेत्री के रूप में क्या संतोष देने वाला ऐसा ही प्रोजेक्ट ढूंढना मुश्किल है?
ईमानदारी से कहूं तो अब तक ऐसा करना मुश्किल था, लेकिन डीसी मेरे लिए गेम चेंजर रहा है। आखिरकार मुझे वह काम मिल रहा है जो मैं करना चाहती हूं। सभी स्क्रिप्ट शानदार हैं, जैसे डॉक्टर जी एक मजाकिया और संवेदनशील सामाजिक नाटक है। मैं इस तरह के कामों में घुस रही हूं, जिनकी संभावनाओं के बारे में पहले पता नहीं था। जैसे डार्लिंग्स, जो वास्तव में एक मजेदार डार्क कॉमेडी है। इसमें मेरा चरित्र वैसा ही व्यवहार करता है, जैसा वह महसूस करता है, कहता है और जैसा वह चाहता है।
अब मैं जितने भी किरदार कर रही हूं वे बहुत अलग तरह के हैं। पति विपुल शाह और मोज़ेज़ सिंह की ह्यूमन में मैं अलग तरह की हूं, जो चिकित्सा जगत के अंधेरे पक्ष पर है, ऐसा किरदार जिससे मैं वास्तविक जीवन में कभी नहीं मिली हूं। दरअसल इस प्रोजेक्ट में शामिल किसी ने भी अपने जीवन में आई ऐसी कोई किरदार नहीं देखी है। इस शो में कीर्ति कुल्हारी और मैं हूं। मुझे अब मुख्य भूमिका से लेकर समानांतर लीड, प्रमुख किरदार तक का मौका मिल रहा है और मैं इसके हर पल का आनंद उठा रही हूं।
आप जैसी अभिनेत्री के लिए ओटीटी बूम वाकई वरदान बनकर आया?
बिल्कुल। विषय वस्तु से लेकर प्रतिभा और प्रदर्शन तक ओटीटी ने सभी रचनात्मक लोगों के लिए नई दुनिया खोल दी है। चाहे वह निर्माता हो या लेखक, निर्देशक या अभिनेता। किसी पर भी स्टार या फिल्म के रिलीज वाले दिन यानी शुक्रवार के बॉक्स-ऑफिस के आंकड़ों का दबाव नहीं होता है। आप केवल हीरो और हीरोइन ही नहीं, बल्कि पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती दिलचस्प कहानियां सुना सकते हैं।