गुजरात के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले भावनगर डमी कांड में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।इस मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों में से 3 पहले से ही सरकारी कर्मचारी थे ,बाकी 32 आरोपियों में एक पुलिसकर्मी और उसका भाई शामिल है। आरोपी बगदाणा थाने का पुलिसकर्मी दिनेश बटुकभाई पंड्या है। पुलिसकर्मी और उसका भाई भद्रेश पांड्या फरार हैं। भावनगर पुलिस फिलहाल अपने ही पुलिसकर्मी की तलाश कर रही है।
विदित हो कि भावनगर एलसीबी पीआई ने सूचना के आधार पर पिछले एक दशक में विभिन्न परीक्षाओं में डमी उम्मीदवारों को बैठाकर पैसा बनाने के घोटाला को उजागर किया है । पुलिस ने दिहोर के शरदकुमार भानुशंकर पनोत को एक गुप्त सूचना के आधार पर गिरफ्तार किया, जिसमें खुलासा हुआ कि उसने 2012 से 2023 तक विभिन्न परीक्षाओं में एक से अधिक छात्रों को डमी बनाया था। इसको लेकर एलसीबी प्रभारी पीआई सिंगारखिया ने 36 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और सभी व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है कि उन्होंने कंप्यूटर के माध्यम से आधार कार्ड और हॉल टिकट में फोटो बदलकर पूरे कांड को अंजाम पहुंचाया और सरकार को नुकसान पहुंचाया है. डमी कांड के संबंध में भावनगर एलसीबीए द्वारा दायर शिकायत से, एक स्पष्ट तस्वीर उभरती है कि भावेणा इस कांड का एपी सेंटर है, क्योंकि शिकायत में नामित 36 अभियुक्तों में से 33 अभियुक्त भावनगर जिले के हैं।
डमी कांड में हैरान करने वाली बात यह है कि गिरफ्तार चार आरोपियों में तीन सरकारी कर्मचारी हैं. इससे कोई भी यह समझ सकता है कि गुजरात में सरकारी भर्तियां और प्रतियोगी परीक्षाएं कैसे होती होंगी भर्ती कौन और कैसे करता होगा । पुलिस ने डमी मामले में शरद कुमार पनोत, प्रकाश उर्फ पीके दवे, प्रदीप और बलदेव को गिरफ्तार किया है. उसने विभिन्न परीक्षाओं में डमी छात्रों को बैठाकर वर्ष 2012 से 2023 तक पूरे घोटाले को अंजाम दिया।
हैरानी की बात यह है कि इन चार मुख्य आरोपियों में तीन सरकारी कर्मचारी हैं। आरोपी शरद पनोत कोबडी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक है। एक अन्य आरोपी प्रकाश दवे तलाजा बीआरसी स्कूल में काम करता है। तीसरा आरोपी प्रदीप बारैया जेसर कोर्ट में क्लर्क के तौर पर काम करता है, जबकि बलदेव राठौर डाक्यूमेंट एडिटिंग का काम कर रहा था। ये सभी लोग गुजरात में आयोजित होने वाले शैक्षिक बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं में डमी छात्रों को बैठाकर लाखों रुपये कमा रहे थे. उनकी योजना काफी सरल थी। उनके एजेंट पूरे गुजरात में फैले हुए थे। अगर कोई सरकारी परीक्षा पास करना चाहता है, तो वे उससे परीक्षा के स्तर और विभाग के लिहाज से 10 लाख से 50 लाख तक रुपये लेते थे।
फर्जी पहचान पत्र बनाने में शरद, प्रकाश और बलदेव को खास महारत हासिल थी। इसके लिए वे पेड कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते थे। साथ ही पूरे गुजरात में उसका नेटवर्क था। पिछले 11 सालों में उन्होंने मेधावी छात्रों का एक “बैंक” भी बनाया था। जिसके लिए वे प्रत्येक युवक को डमी छात्र के रूप में परीक्षा में बैठकर बदले में उन्हें 25,000 रुपये देते थे। मिलन बारिया का उदाहरण लें। उसने अन्य लोगों के नाम पर 11 अलग-अलग परीक्षाएं दी हैं। आज इन 11 में से दो न्यायपालिका में कार्यरत हैं। बताया जा रहा है कि 2012 से 2023 तक इन लोगों ने डमी छात्रों के जरिए कई लोगों की परीक्षा कराकर लाखों रुपए कमाए। गुजरात में सरकारी भर्ती परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार के स्तर की कल्पना कीजिए!
भावनगर डमी कांड की पुलिस जांच में सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। पता चला है कि करई एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे युवक ने डमी कैंडिडेट के तौर पर परीक्षा दी है. अक्षर बरैया की जगह संजय पंड्या ने परीक्षा दी है, इस खुलासे के बाद जांच एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। जांच में वर्ष 2022 में लिपिक एवं कार्यालय सहायक वर्ग-तृतीय परीक्षा में भी डमी परीक्षार्थियों का समावेश किया गया है । खास बात यह है कि डमी कैंडिडेट के तौर पर पेश हुए संजय पंड्या फिलहाल कराई एकेडमी में ट्रेनिंग ले रहे हैं। फिर भावनगर पुलिस ने दोनों युवकों को आरोपी बनाया और आगे की कार्रवाई की।
पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गयी है । नायब पुलिस अधीक्षक आर आर सिंघल की निगरानी में अब पुरे मामले की जाँच की जाएगी। एसआईटी में 1 पीआई , 9 पीएसआई तथा अन्य पुलिसकर्मियों का समावेश किया गया है। पुलिस और सबूत जुटाने के लिए चारों गिरफ्तार आरोपियों के घर पर सर्च ऑपरेशन चलाएगी. जिसमें उनके बैंक लेन-देन की भी जांच की जाएगी। भावनगर एसओजी, एलसीबी और फर्लो कॉर्डन ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस ने ऑपरेशन के लिए कुल 10 टीमें लगाई हैं।
भावनगर डमी कांड : गुजरात के ईमानदार युवाओं के भविष्य से कौन खिलवाड़ कर रहा है?