हाल ही में सामने आए 4,120 करोड़ रुपये के फर्जी बिलिंग घोटाले में राज्य के माल और सेवा कर (SGST) विभाग की जांच में पाया गया है कि 1,545 आधार कार्डों के डेटा को गलत तरीके से संशोधित किया गया था। इन कार्डों का उपयोग तब 2,721 जीएसटी (GST) रजिस्ट्रेशन पाने के लिए किया गया था। इन पंजीकरणों (registrations) में से 1,662 या लगभग 61% गुजरात के थे।
लगभग 10 दिन पहले जीएसटी अधिकारियों ने पलिताना में एक आधार केंद्र पर छापा मारा था। वहां पाया गया कि कार्ड से जुड़े मोबाइल नंबर को बदल कर लगभग 1,545 आधार कार्डों के डेटा से छेड़छाड़ की गई थी। इन कार्डों का इस्तेमाल तब जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए किया जाता था। एसजीएसटी अधिकारियों ने इस संबंध में करीब 1,763 फोन नंबरों का पता लगाया था।
एक अधिकारी ने कहा, “इनमें से कुछ 548 जीएसटी रजिस्ट्रेशन एसजीएसटी विभाग द्वारा फर्जी बिलिंग के लिए पहले ही रद्द कर दिए गए थे। बाकी 1,114 रजिस्ट्रेशन की जांच चल रही है। हमें संदेह है कि इनमें से कम से कम 35% पंजीकरण फर्जी हैं। जांच पूरी होने के बाद सही संख्या स्पष्ट होगी।’
नवंबर से 20 फरवरी तक विभाग ने 663 फर्जी जीएसटी पंजीकरणों का पता लगाया और उन्हें रद्द कर दिया। इन जीएसटी नंबरों का इस्तेमाल 1,140 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के लिए 14,596 करोड़ रुपये के फर्जी बिल बनाने के लिए किया गया था।
इस घोटाले में जीएसटी रजिस्ट्रेशन पाने के लिए फर्जी आधार डेटा का उपयोग करने की कार्यप्रणाली का पर्दाफाश किया गया था।
यह घोटाला तब सामने आया जब एसजीएसटी अधिकारियों ने अहमदाबाद, सूरत, भावनगर और राजकोट में मौके पर जाकर पड़ताल की। 4,120 करोड़ रुपये के फर्जी बिलिंग घोटाले की जांच के दौरान जीएसटी पंजीकरण और आधार डेटा पर स्थानों में मेल नहीं पाया गया। इसके बाद विभाग ने पलिताना में आधार केंद्र पर छापा मारा। फिलहाल
विभाग मामले की जांच कर रहा है। अभी और आधार केंद्रों पर छापे मारे जाने की उम्मीद है।
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