एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान के तरीके का विश्लेषण किया है। इससे संकेत मिलता है कि 182 में से 108 या 59% विधायक 50% और इससे अधिक वोट से जीते। 35% का औसत विजयी वोट शेयर (winning vote share) 2017 के चुनावों में दर्ज 36% के बहुत करीब था।
विश्लेषण ने यह भी संकेत दिया कि 2017 के चुनाव में 5.5 लाख नोटा यानी कोई नहीं वाले (None Of The Above) वोटों की तुलना में इस साल नोटा वोटों की संख्या 5.01 लाख रही, जो 3.18 करोड़ वोटों का 1.5% थी।
15 महिला विधायकों में से केवल तीन ही 50% या उससे अधिक वोटों से जीत पाईं। वड़ोदरा से बीजेपी विधायक मनीषा वकील का 71% पर महिला विधायकों में सबसे अधिक वोटिंग शेयर था। विधायकों को दोहराने का जुआ भी रंग लाया। 182 में से 74 यानी 41% विधायक फिर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे। उन सभी को न केवल 30% से अधिक वोट शेयर प्राप्त हुआ, बल्कि 62% या 46 विधायक 50% या उससे अधिक के वोट शेयर के साथ जीते।
आपराधिक मामलों (40) वाले विधायकों में से 57% या 23 50% वोट शेयर या अधिक के साथ जीते। 151 करोड़पति विधायकों में से 60% या 91 ने 50% या उससे अधिक मतों से जीत हासिल की। रिपोर्ट के मुताबिक, “भाजपा के 156 विजेताओं में से 33 (21%) ने निर्वाचन क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओं के 30% से कम वोट से जीते। कांग्रेस के 17 विजेताओं में से छह (35%); आप के 5 विजेताओं में से 3 (60%); सपा से 1 (100%) और 3 निर्दलीय विजेताओं में से 1 (33%) ने 30% से कम मतों से जीत हासिल की है। ”