यह ऐसा परिणाम था, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। केंद्र शासित चंडीगढ़ जैसे शहर में, जहां हमेशा कांग्रेस या भाजपा का शासन रहा है, वहां आम आदमी पार्टी (आप) ने निकाय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीतकर सबको चकित कर दिया है।
आप ने 14 सीटें जीतीं, 12 सीटों के साथ भाजपा दूसरे स्थान पर रही। जबकि कांग्रेस ने आठ वार्डों में तो अकाली दल ने केवल एक पर जीत हासिल की। आइए, आप की इस बड़ी सफलता के पांच प्रमख कारणों को समझते हैं।
शासन का आप का दिल्ली मॉडल
ऐसा लगता है कि आप के दिल्ली मॉडल ने लोकप्रियता हासिल कर ली है। इसलिए यह मुख्य कारणों में से एक है कि पार्टी ने निकाय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीतीं। पानी के शुल्क को लेकर व्यापक असंतोष था, जिसमें पिछले साल भाजपा के नेतृत्व में 200 गुना की वृद्धि की गई थी। आप के प्रमुख वादों में से एक था- चंडीगढ़ में प्रत्येक परिवार को हर महीने 20,000 लीटर तक मुफ्त पानी उपलब्ध कराना।
सत्ता विरोधी लहर
मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा ने 2016 में नगर निगम चुनावों में जीत हासिल की थी। चूंकि पार्टी ने 26 में से 21 सीटें (गठबंधन में शामिल अकाली दल ने एक सीट जीती थी) हासिल की थी, इसलिए चंडीगढ़ में भाजपा के मेयर थे।
पिछले पांच वर्षों के दौरान कूड़ा-कचरा उठाने का भारी शुल्क, पानी और संपत्ति कर की दरों में वृद्धि ने चंडीगढ़ के वार्डों में मजबूत सत्ता विरोधी लहर बना दिया था। बुनियादी सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए भारी शुल्क के भुगतान को लेकर कॉलोनियों में विशेष रूप से भारी असंतोष था।
इसके अलावा चंडीगढ़, जो अपने खुले क्षेत्रों के लिए जाना जाता है, पार्किंग के लिए जगह की भारी कमी का सामना कर रहा था। जैसे-जैसे जगह की कमी होती गई, पार्किंग शुल्क भी बढ़ा दिया गया। इन सभी ने मतदाताओं में सत्ता विरोधी भावनाओं को खूब भड़काया।
स्वच्छता मामले में चंडीगढ़ का खराब प्रदर्शन
चंडीगढ़ के निवासी न केवल पानी, बिजली और कचरे के ऊंचे बिलों से परेशान थे, बल्कि शहर की सफाई में खराब प्रदर्शन भी भाजपा के पतन का प्रमुख कारण बना। 2016 में चंडीगढ़ देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर था। लेकिन 2021 में शहर 66 वें स्थान पर आ गया, जो निवासियों के लिए बड़ी निराशा की बात थी।
सत्ता पक्ष द्वारा कूड़ा निस्तारण की समस्या से ठीक से निपटा नहीं गया। दादूमाजरा में कूड़ा-कचरा जमा होने के कारण कचरा निपटान या प्रसंस्करण के लिए कोई उचित तंत्र नहीं था। बता दें कि चंडीगढ़ ने हमेशा सबसे स्वच्छ शहरों में से एक होने पर गर्व किया है। इसलिए यह एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा था। अब ऐसा नहीं रह जाने कारण असंतोष और भी बढ़ गया।
आप ने स्थानीय मुद्दों पर जोर लगाया, तो मोदी लहर के भरोसे रह गई भाजपा
इन चुनावों से पहले भाजपा के कई उम्मीदवार मोदी लहर का भरोसा कर उस पर सवार होने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन आप उम्मीदवार, जो नए थे, स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते थे और जमीनी स्तर पर निवासियों से जुड़ते थे। उन्होंने लोगों से संपर्क किया और सत्ता में आने पर व्यवस्था में बदलाव लाने का वादा किया।
आप उम्मीदवार मतदाताओं के साथ अच्छी तरह से जुड़े, क्योंकि उन्होंने स्थानीय मुद्दों जैसे पार्किंग, कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
दूसरी ओर, भाजपा उम्मीदवारों ने प्रचार के दौरान ‘जय श्री राम’ जैसे नारों का इस्तेमाल करते हुए हिंदुत्व की विचारधारा के पक्ष में अपील की। स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत हुए विकास कार्यों को उजागर करने का प्रयास किया।
कोविड -19 दूसरी लहर से भाजपा की छवि धूमिल
कोविड -19 की दूसरी लहर ने भी भाजपा की छवि को धूमिल किया, क्योंकि मतदाताओं को लगता है कि उस समय अस्पताल के बिस्तर और ऑक्सीजन की मांग बढ़ने पर उन्हें जनप्रतिनिधियों से वांछित मदद नहीं मिली।
कई लोगों ने कहा है कि मौजूदा पार्षदों से संपर्क नहीं किया जा सकता था, यहां तक कि जब लोगों ने जीवन के लिए संघर्ष किया, तब निवासियों को समर्थन की सख्त जरूरत थी। हालांकि, उस समय स्थानीय स्तर पर कोई बड़ा राहत उपाय नहीं बढ़ाया गया था। तब सिर्फ पानी के शुल्क में प्रस्तावित बढ़ोतरी को रोक कर रखा गया था।