दिसंबर 2019 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा वित्तीय अपराधों, पहचान की चोरी बदमाशी, उत्पीड़न और यहां तक कि ऑनलाइन जैसे विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन अपराधों से स्पष्ट रूप से निपटने के लिए गुजरात पुलिस के साइबर अपराध प्रकोष्ठ की एक पहल, साइबर अश्वस्त परियोजना, की स्थापना की गई। एंटी साइबर बुलिंग यूनिट साइबर अश्वस्त परियोजना के तहत काम करने वाली चार इकाइयों में से एक है, जो ऑनलाइन परेशान करने, उत्पीड़न, धमकाने, मॉर्फ्ड तस्वीरों का उपयोग करने, यौन उत्पीड़न के मामलों से संबंधित है और पीड़ितों की मदद के लिए पुलिस कर्मियों और परामर्शदाताओं की एक समर्पित टीम है। जो उनकी गोपनीयता बनाए रखते हुए मामले की तह तक पहुँचती है।
अहमदाबाद साइबर क्राइम सेल के अधिकारियों के अनुसार, सोशल मीडिया पर लगभग 5000 लोगों को जिसमें भारी संख्या में युवतियों को धमकाया गया, परेशान किया गया और उनका पीछा किया गया। गुजरात पुलिस द्वारा सामने आए आंकड़ों में कहा गया है कि जनवरी 2020 से जुलाई 2021 तक पीड़ितों द्वारा 4,985 शिकायतें की गई हैं।
पुलिस उपायुक्त, अमित वसावा ने कहा कि प्राप्त 5,000 शिकायतों में से अधिकांश शिकायतें न केवल अहमदाबाद की बल्कि पूरे गुजरात की युवतियों की थीं।जिसमें सोशल मीडिया वेबसाइटों पर की गई छेड़छाड़ या अभद्र टिप्पणियों से संबंधित शिकायतें दर्ज की गईं।
फर्जी अकाउंट से संबंधित कई मामले सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत आपराधिक कृत्य के रूप में दर्ज नहीं किए गए, साइबर-विरोधी इकाई ने अकाउंट को बंद करके कार्रवाई की। बदमाशी या पीछा करने के ज्यादातर मामलों में आरोपी पीड़िता को जानता था। यूनिट ने महिला पीड़ितों को सेल की चार महिला अधिकारियों द्वारा जानकारी व परामर्श देना शुरू किया, जिन्हें बेंगलुरु में मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान के राष्ट्रीय संस्थान में प्रशिक्षित किया गया है।